Gold
सोना खरीदारों के लिए अलर्ट घटते तनाव और व्यापार डील की उम्मीदों से दबाव में आया गोल्ड
ईरान-इज़राइल संघर्ष में शांति, अमेरिकी डेटा में कमजोरी और व्यापार समझौतों की उम्मीदों ने बदला सोने का रुख, आगे कैसा रहेगा बाजार?

सोने के निवेशकों के लिए यह सप्ताह उतार-चढ़ाव भरा रहा है। 30 जून को स्पॉट गोल्ड ने $3,248 से $3,300 के बीच कारोबार किया, और लगातार दूसरे दिन $3,250 का सपोर्ट ज़ोन बना रहा। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि निकट भविष्य में सोने की चाल थोड़ी कमजोर यानी ‘बियरिश’ रह सकती है।
क्यों आया दबाव?
सोने की कीमतों में हालिया गिरावट की मुख्य वजह है अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भू-राजनीतिक तनावों में कमी। ईरान और इज़राइल के बीच संभावित संघर्ष विराम, साथ ही अमेरिका और कई देशों के बीच सकारात्मक व्यापार वार्ताएं, निवेशकों के ‘सेफ हेवन’ के रुख को कमजोर कर रही हैं।
हालात अभी भी स्थिर क्यों हैं?
हालांकि यूरोपीय सत्र में सोने ने हल्की रिकवरी दिखाई और अमेरिकी सत्र में भी स्थिर रहा। वजह? अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की संभावना। जैसे-जैसे अमेरिका के आर्थिक आंकड़े—खासतौर पर रोजगार और विनिर्माण सेक्टर—उम्मीद से कमजोर आ रहे हैं, निवेशकों को लगता है कि फेडरल रिजर्व इस साल 50 बेसिस पॉइंट्स से ज्यादा कटौती कर सकता है।
टैरिफ और ट्रम्प का रवैया
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कर दिया है कि 9 जुलाई की टैरिफ डेडलाइन को बढ़ाने का उनका कोई इरादा नहीं है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि वे सभी देशों को “फेयर लेटर” भेजेंगे ताकि टैरिफ विवाद बातचीत से हल हो सके। अमेरिका, जापान, भारत, मैक्सिको और वियतनाम के साथ डील की कोशिशों में जुटा है।
विश्लेषकों की राय
मिरे एसेट शेयरखान के वरिष्ठ विश्लेषक प्रवीण सिंह के मुताबिक, जब तक अमेरिका का आर्थिक डेटा कमजोर बना रहता है और फेड दरें घटाने की ओर बढ़ता है, तब तक सोने को ज़मीन नहीं छोड़नी पड़ेगी। लेकिन अल्पकाल में दबाव बना रह सकता है।
निवेशकों के लिए क्या संकेत?
अगर आप सोने में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो आने वाले कुछ दिन सतर्क रहने वाले हैं। बाजार $3,250 का सपोर्ट टेस्ट कर रहा है, और यदि यह स्तर टूटता है तो गिरावट और तेज हो सकती है। वहीं, फेड की अगली बैठक और अमेरिकी नौकरियों से जुड़े आंकड़े इस हफ्ते बाजार की दिशा तय करेंगे।
