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गोवा में बीफ बैन की अफवाह पर मंत्री का बड़ा बयान: “जो खाना है खाओ…”
पर्यटन मंत्री रोहन खाउंटे ने साफ किया — राज्य में बीफ पर बैन लगाने की कोई योजना नहीं, कहा गोवा की पहचान उसकी खान-पान की आज़ादी और साम्प्रदायिक सौहार्द में है

दैनिक डायरी, पणजी — गोवा सरकार ने बीफ पर बैन की खबरों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। गोवा के पर्यटन मंत्री रोहन खाउंटे (Rohan Khaunte) ने शुक्रवार को स्पष्ट कहा कि राज्य में बीफ पर किसी भी तरह का प्रतिबंध लगाने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि गोवा की आत्मा उसकी खान-पान की विविधता और सांस्कृतिक सौहार्द में बसती है, और सरकार इसे कायम रखेगी।
“गोवा में हर स्वाद की इज़्ज़त है”
एक मीडिया संवाद में, जब खाउंटे से पूछा गया कि क्या राज्य को “Dakshin Ka Kashi (दक्षिण का काशी)” के रूप में विकसित करने की पहल से खान-पान पर कोई रोक लग सकती है, तो मंत्री ने हँसते हुए कहा —

“मैंने अपने भाषण में कहा था कि गोवा में हम साम्प्रदायिक सौहार्द के रूप में जीते हैं। चाहे दीवाली, चतुर्थी या क्रिसमस हो, हम सब एक-दूसरे के घर जाते हैं और एक-दूसरे के व्यंजनों का आनंद लेते हैं।”
खाउंटे ने आगे कहा, “हम हर समुदाय की भावनाओं का सम्मान करते हैं। इस तरह के विचार तभी आते हैं जब कोई मीडिया इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है। हमारे यहाँ ऐसा कुछ नहीं है।”
खान-पान पर कोई पाबंदी नहीं
बीफ बैन को लेकर उठी अटकलों पर मंत्री ने साफ किया कि गोवा आने वाले पर्यटकों पर किसी भी तरह की डायटरी लिमिटेशन (भोजन संबंधी पाबंदी) नहीं लगाई जाएगी।
“जो टूरिस्ट गोवा आता है, उसके पास खाने-पीने के लिए कई विकल्प होते हैं। किसी चीज़ पर बैन नहीं है। हम विकल्प देते हैं, पाबंदी नहीं लगाते,” उन्होंने कहा।
मंत्री ने मज़ाकिया अंदाज में कहा —
“मैं आपको कुछ खाने के लिए मजबूर नहीं करूंगा। इसलिए जो खाना है, खाओ, मजा करो!”
“अतिथि देवो भव” की भावना
खाउंटे ने कहा कि ‘खाने की आज़ादी’ भारत की पारंपरिक अतिथि सत्कार संस्कृति का हिस्सा है।

“हम कहते हैं — अतिथि देवो भव (अतिथि भगवान है) और सेवा देवो भव (सेवा भगवान है)। इसलिए जो भी गोवा आता है, वो अपने स्वाद, अपनी पसंद और अपनी संस्कृति के साथ लौटे, यही हमारी पहचान है।”
गोवा — पर्यटन और आध्यात्मिकता का संगम
खाउंटे ने बताया कि राज्य सरकार गोवा को आध्यात्मिक पर्यटन के नए केंद्र के रूप में विकसित कर रही है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि पारंपरिक खान-पान या जीवनशैली पर कोई रोक लगेगी। “हमारा उद्देश्य संतुलन है — आध्यात्मिकता और आनंद दोनों गोवा की पहचान बने रहें।”
उन्होंने यह भी कहा कि गोवा की सफलता उसकी समावेशी संस्कृति में है, जहाँ हिंदू, ईसाई, मुस्लिम और अन्य समुदाय साथ रहते हैं और एक-दूसरे की परंपराओं का सम्मान करते हैं।
निष्कर्ष
रोहन खाउंटे का यह बयान स्पष्ट करता है कि गोवा अपने पुराने रूप में ही रहेगा — एक ऐसा राज्य जो स्वाद, संगीत, उत्सव और स्वतंत्रता का संगम है। यहाँ आने वाले पर्यटकों को किसी भी प्रकार की पाबंदी का सामना नहीं करना पड़ेगा। जैसा कि मंत्री ने कहा —
“गोवा में जो खाना है, खाओ और मजा करो।”