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फर्जी देशों के नकली राजदूत का राज खुला 3 देशों के नाम पर बनाए दूतावास और पीएम मोदी संग एडिटेड फोटो से बढ़ा रहा था प्रभाव
गाजियाबाद में फर्जी दूतावास चलाकर हवाला, विदेशी मुद्रा और नकली पासपोर्ट से अंतरराष्ट्रीय गिरोह की तरह काम कर रहा था हरवर्धन जैन

उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने एक ऐसा खुलासा किया है जिसने न सिर्फ सुरक्षा एजेंसियों को बल्कि खुफिया तंत्र को भी चौंका दिया है। नोएडा STF यूनिट ने गाजियाबाद के हरवर्धन जैन को गिरफ्तार कर उसके द्वारा चलाई जा रही फर्जी ‘राजनयिक दुनिया’ का भंडाफोड़ किया। हरवर्धन जैन ने न केवल ऐसे देशों का प्रतिनिधित्व किया जो असल में अस्तित्व में ही नहीं हैं, बल्कि गाजियाबाद के कविनगर क्षेत्र में एक पूरी दूतावास जैसी व्यवस्था भी तैयार कर ली थी।
यह व्यक्ति West Arctica, Saborga, Poulvia और Lodonia जैसे काल्पनिक देशों के नाम पर खुद को ‘राजदूत’ बताकर फर्जी पासपोर्ट, विदेशी मुद्रा और हवाला नेटवर्क का संचालन कर रहा था।
प्रधानमंत्री मोदी और एपीजे अब्दुल कलाम के साथ बनाई थी फर्जी तस्वीरें
STF के अनुसार, हरवर्धन जैन ने अपनी विश्वसनीयता को बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और अन्य विदेशी नेताओं के साथ एडिटेड फोटोज सोशल मीडिया पर साझा की थीं। इन फोटोज को दिखाकर वह खुद को अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रभावशाली व्यक्ति साबित करने का प्रयास कर रहा था।
यह भी सामने आया कि वह इन नकली देशों की ओर से दूतावास खोलने, विज़ा दिलाने, और नौकरी दिलवाने के नाम पर लोगों से बड़ी रकम वसूलता था।

फर्जी देशों के नाम पर खोले दूतावास
STF जांच में सामने आया कि हरवर्धन West Arctica, Saborga, Poulvia, और Lodonia जैसे नामों को आधार बनाकर दूतावास चलाता था।
Saborga: वास्तव में एक गांव है जिसे देश का दर्जा नहीं मिला।
Palvia: इंटरनेट पर नाम डालने पर लोगों का टाइटल निकलता है, देश नहीं।
Lodania: एक किताब में उल्लेख है लेकिन आधिकारिक देश नहीं।
West Arctica: असल में अमेरिका की एक नॉन-प्रॉफिट संस्था है, जिसे उसने देश बताकर फर्जी दावा किया।
हरवर्धन ने इन नामों पर गाजियाबाद की कविनगर स्थित एक कोठी में सेटअप तैयार किया था।
विदेशी झंडे और नकली दस्तावेजों का जखीरा
STF की छापेमारी में चौंकाने वाली चीजें बरामद हुईं:
- चार लग्जरी गाड़ियाँ जिन पर डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट्स लगी थीं।
- 12 डिप्लोमैटिक पासपोर्ट जो फर्जी माइक्रोनेशनों के नाम पर बनाए गए।
- नकली प्रेस कार्ड, फर्जी डॉक्युमेंट्स, पेन कार्ड, और विदेश मंत्रालय की नकली मुहरें।
- 44,70,000 रुपये की नकदी
- 18 अलग-अलग डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट्स
- कई विदेशी देशों की मुद्रा और नकली वीज़ा
इन सब चीजों का प्रयोग हरवर्धन खुद को अंतरराष्ट्रीय राजनयिक व्यक्ति साबित करने के लिए करता था।
हवाला और पासपोर्ट रैकेट का बड़ा नेटवर्क
पूछताछ में STF को पता चला कि हरवर्धन जैन न सिर्फ हवाला ट्रांजैक्शन में लिप्त था बल्कि फर्जी दस्तावेजों और पासपोर्ट के जरिए निजी कंपनियों को भी विदेशी संबंधों के नाम पर सेवाएं देता था।
इसका इस्तेमाल नकली नौकरियों, फर्जी वीजा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दलाली के काम में किया जाता था।

कोई नया नाम नहीं है हरवर्धन
जांच में यह भी पता चला कि हरवर्धन का आपराधिक इतिहास पहले से ही रहा है।
- 2011 में उस पर अवैध सैटेलाइट फोन रखने का मामला दर्ज हुआ था।
- विवादित आध्यात्मिक गुरु चंद्रस्वामी और इंटरनेशनल आर्म्स डीलर अदनान खशोगी से संपर्क की खबरें भी जुड़ी हैं।
- इसके नाम पर पहले भी कई फर्जी कंपनियाँ और NGO काम करती रही हैं।
यह सब दर्शाता है कि हरवर्धन का नेटवर्क सिर्फ स्थानीय नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय संदिग्ध नेटवर्क से भी जुड़ा हो सकता है।
एसटीएफ की पूछताछ और अगली रणनीति
STF अब यह पता लगाने में जुटी है कि यह शख्स किन-किन देशों और कंपनियों के संपर्क में था।
फिलहाल कविनगर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है और आगे की पूछताछ में कई नई परतें खुलने की उम्मीद है।