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5 बड़े वादों से भरी Donald Trump की नई AI योजना जिसे Silicon Valley ने बताया गेमचेंजर
Donald Trump की नई AI योजना में अमेरिका को तकनीकी सुपरपावर बनाने का दावा और कम रेगुलेशन की राह

Donald Trump ने एक बार फिर वैश्विक स्तर पर अमेरिका की दावेदारी मजबूत करने की तैयारी कर ली है और इस बार मैदान है — AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। बुधवार को जारी की गई Trump Administration की नई AI योजना को अमेरिका की तकनीकी जगत की दिग्गज कंपनियों ने हाथों-हाथ लिया है। इस योजना का उद्देश्य है अमेरिका को AI रेस में न केवल आगे रखना, बल्कि “डॉमिनेंस” यानी प्रभुत्व स्थापित करना।
Donald Trump ने अपने भाषण में कहा, “America is going to WIN it.” यानी अमेरिका ने जिस रेस की शुरुआत की, वो अब जीतने का संकल्प भी ले रहा है।

यह योजना तीन प्रमुख स्तंभों पर आधारित है —
- AI डेवलपमेंट पर कम रेगुलेशन और बाधाओं को हटाना
- डेटा सेंटर्स और एनर्जी इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में सरल परमिटिंग
- अमेरिकी AI स्टैक को वैश्विक स्तर पर एक्सपोर्ट करना
Palantir Technologies, जो अमेरिकी रक्षा और इंटेलिजेंस एजेंसियों के साथ मिलकर काम करती है, ने बयान जारी कर कहा, “AI is the birthright of the country that harnessed the atom and put a man on the moon.” Palantir का कहना है कि अमेरिका ने जिस तरह अतीत में वैज्ञानिक क्रांति की अगुवाई की थी, अब AI उसी दिशा में अगला कदम है।
NetChoice, एक प्रमुख इंडस्ट्री ट्रेड ग्रुप जिसमें Meta, Amazon और Google जैसी कंपनियाँ शामिल हैं, ने भी इस योजना की सराहना की है। उनके पॉलिसी डायरेक्टर Patrick Hegder ने कहा कि यह योजना “रेगुलेटरी विनम्रता” और “इनोवेशन के लिए स्पेस” देती है।

Donald Trump की AI योजना का एक अलग ही दृष्टिकोण भी है:
- अमेरिका अपने AI मॉडल, सॉफ़्टवेयर, हार्डवेयर और स्टैंडर्ड्स को उन देशों को निर्यात करेगा जो अमेरिका के तकनीकी गठबंधन में शामिल होना चाहते हैं।
- यह रणनीति अमेरिका के प्रतिस्पर्धियों — खासकर चीन — की पकड़ को कमजोर करने के उद्देश्य से बनाई गई है।
- साथ ही, यह भी कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में भी चीन के प्रभाव को संतुलित किया जाएगा।
हालांकि योजना में एक और बिंदु भी शामिल है — AI मॉडल्स में वैचारिक पक्षपात (ideological bias) को सुधारने का वादा। लेकिन इस पर विशेषज्ञों ने सावधानी बरतने की सलाह दी है।
CNAS (Center for a New American Security) के रिसर्चर Caleb Withers ने कहा कि, “Bias की परिभाषा अक्सर व्यक्ति विशेष की नजर में होती है, और इसे लागू करना इतना आसान नहीं होगा।”
इसी संस्था के निदेशक Vivek Chilukuri ने ध्यान दिलाया कि “डॉमिनेंस” जैसे शब्द सहयोगी देशों को असहज कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “दुनिया के कई देश पहले ही अमेरिकी क्लाउड प्रोवाइडर्स पर निर्भरता से चिंतित हैं, और अब AI तकनीक पर भी यही स्थिति बन सकती है।” उनका सुझाव था कि अमेरिका को AI डिप्लोमेसी में बैलेंस बनाकर चलना होगा, ताकि सहयोगी देशों का आत्मनिर्भरता का अधिकार भी सुरक्षित रहे।

तो क्या है इस योजना का असली असर?
- अमेरिकी कंपनियों को अधिक स्वतंत्रता मिलेगी
- दुनिया भर में अमेरिकी AI तकनीक की पहुंच बढ़ेगी
- चीन जैसी प्रतिस्पर्धी शक्तियों को पीछे रखने की रणनीति सशक्त होगी
- लेकिन साथ ही, अमेरिका को सहयोगी देशों के साथ अपने शब्दों और नीतियों में संतुलन भी बनाए रखना होगा
AI युद्ध अब शून्य से शुरू नहीं हो रहा — यह दौड़ पहले से जारी है। लेकिन Donald Trump की यह नई AI योजना इस रेस में अमेरिका को एक नई दिशा जरूर दे सकती है।