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लियाम डॉसन की वापसी ने बदली टेस्ट की हवा, जेसवाल का विकेट बना निर्णायक मोड़
8 साल बाद टेस्ट में लौटे लियाम डॉसन ने यशस्वी जेसवाल का अहम विकेट लेकर इंग्लैंड को दी शुरुआती सफलता, शुभमन गिल असमंजस में दिखे

ओल्ड ट्रैफर्ड में खेले जा रहे भारत बनाम इंग्लैंड चौथे टेस्ट मैच के पहले दिन 35 वर्षीय स्पिनर लियाम डॉसन की वापसी सबसे खास लम्हा बन गई। 8 साल के लंबे इंतजार के बाद टेस्ट क्रिकेट में लौटे इस अनुभवी खिलाड़ी ने अपने पहले ही स्पेल में यशस्वी जेसवाल का विकेट चटकाकर खुद को साबित कर दिया।
इंग्लैंड का यह पुराना सिपाही जो वर्षों से टीम में वापसी का इंतजार कर रहा था, मैदान पर उतरा तो मानो हवा बदल गई। डॉसन के पास वो आत्मविश्वास और रणनीति थी, जो शायद शुभमन गिल जैसे युवा बल्लेबाज़ भी बस चाह ही सकते हैं। कंधों पर धूप के चश्मे, चेहरे पर गंभीरता और गेंदबाज़ी में संतुलन – हर एक पल उन्होंने अपने अनुभव को जिया।
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जब लियाम डॉसन ने अपने दूसरे ओवर की पहली ही गेंद पर जेसवाल को चकमा देकर स्लिप में हैरी ब्रूक के हाथों कैच कराया, तो पूरा स्टेडियम झूम उठा। लेकिन डॉसन ने जश्न मनाने से पहले अगली गेंद की प्लानिंग शुरू कर दी। “साउथहैम्प्टन ऑलराउंडर” ने तुरंत हडल से बाहर निकल कर अपनी मार्किंग कर ली और दाएं हाथ के बल्लेबाज़ गिल का सामना करने को तैयार हो गए।
दूसरी ओर, भारत की ओर से युवा कप्तान शुभमन गिल मैदान पर न सिर्फ बैटिंग में बल्कि निर्णयों में भी असमंजस में नजर आए। टॉस हारने के बाद जब उनसे पूछा गया कि अगर वो टॉस जीतते तो क्या करते, तो उन्होंने ईमानदारी से स्वीकार किया – “मैं खुद कन्फ्यूज था”। यह कन्फ्यूजन बाद में उनकी बैटिंग में भी दिखा, जब उन्होंने बेन स्टोक्स की गेंद को छोड़ने की कोशिश की, जो सीधा मिडिल और ऑफ पर आकर पैड से टकरा गई।

इस मुकाबले में टीम इंडिया की किस्मत भी उसके साथ नहीं रही। एक ओर यशस्वी जेसवाल का बल्ला बीच में टूट गया तो दूसरी ओर “दिल्ली के डैशिंग विकेटकीपर” ऋषभ पंत एक दर्दनाक चोट के शिकार हो गए। क्रिस वोक्स की एक गेंद, जो रिवर्स स्वीप करते समय पंत के टखने से टकराई, ने मैच की दिशा ही बदल दी।
किस्मत की बात करें तो गिल ने भी मैच से पहले कहा था, “अब तक किस्मत हमारे साथ नहीं रही है, उम्मीद है अगले दो टेस्ट में रहेगी।” लेकिन जिस तरह से पंत का चोटिल होना और जेसवाल का टूटता बल्ला देखने को मिला, उससे साफ है कि भारत की परेशानियां अभी खत्म नहीं हुई हैं।
गौरतलब है कि इंग्लैंड कप्तान बेन स्टोक्स ने ओल्ड ट्रैफर्ड में टॉस जीतकर एक बार फिर फील्डिंग चुनी – कुछ ऐसा जो इंग्लैंड के इतिहास में अब तक बहुत कम हुआ है। स्टोक्स का यह फैसला परंपराओं को चुनौती देने वाला रहा, लेकिन हालात और मौसम को देखते हुए शायद यही उपयुक्त था।
लियाम डॉसन के लिए यह दिन एक ‘कमबैक क्लासिक’ जैसा रहा। भले ही उन्होंने केवल एक विकेट लिया, लेकिन जिस आत्मविश्वास, अनुभव और मैच की समझ का प्रदर्शन उन्होंने किया, वह उन्हें बाकी स्पिनरों से अलग करता है।
जब अन्य इंग्लिश स्पिनर्स जैसे टॉम हार्टले और रिहान अहमद घरेलू क्रिकेट में प्रदर्शन कर रहे थे, तब डॉसन ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान दोबारा स्थापित की। उनकी प्रतिस्पर्धात्मक भावना की तारीफ खुद कप्तान स्टोक्स और हैरी ब्रूक भी पहले ही कर चुके थे – और इस दिन उन्होंने इसे पूरी तरह साबित कर दिखाया।