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हिमाचल में 14 होटलों की निजीकरण प्रक्रिया पर भाजपा का हमला त्रिलोक कपूर बोले – सरकार बेच रही है राज्य की धरोहर

धर्मशाला में भाजपा नेता त्रिलोक कपूर ने कांग्रेस सरकार को घेरा, कहा- ‘आर्थिक संकट की आड़ में जनता की संपत्ति को बेचने की तैयारी’, HPTDC के 14 होटलों को निजी हाथों में देने पर विरोध तेज।

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BJP Criticizes Himachal Govt Over Privatization of 14 HPTDC Hotels: Trilok Kapoor Slams Congress
हिमाचल के HPTDC होटल जिन्हें निजी हाथों में सौंपने की तैयारी पर मचा सियासी बवाल

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार द्वारा HPTDC (हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम) के 14 होटलों को निजी प्रबंधन को सौंपने के फैसले पर सियासत गरमा गई है। भाजपा ने इस निर्णय को जनविरोधी करार देते हुए तीखा हमला बोला है। पार्टी के प्रदेश महासचिव त्रिलोक कपूर ने धर्मशाला में प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार आर्थिक संकट का बहाना बनाकर राज्य की धरोहरों को नीलाम करने की ओर बढ़ रही है।

कपूर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने पहले हाईकोर्ट से 18 घाटे में चल रहे होटलों को लाभ में बदलने के लिए समय मांगा था, लेकिन वह इसमें असफल रही। अब उन्हीं में से 14 होटलों को आउटसोर्स करने का रास्ता अपनाया जा रहा है।

कैबिनेट बैठक में हुआ था फैसला

राज्य कैबिनेट ने 28 जून को इन होटलों के संचालन और प्रबंधन को आउटसोर्स करने का प्रस्ताव पारित किया था। इसके तहत 14 ऐसे होटल जिनका संचालन घाटे में था, उन्हें निजी एजेंसियों को सौंपा जाएगा। 9 जुलाई को पर्यटन विभाग ने HPTDC के प्रबंध निदेशक को निर्देश जारी कर दिए, जिससे प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो गई।

BJP Criticizes Himachal Govt Over Privatization of 14 HPTDC Hotels: Trilok Kapoor Slams Congress



हालांकि, HPTDC के कर्मचारियों और स्थानीय लोगों के एक बड़े वर्ग ने इस फैसले का विरोध किया है। उनका कहना है कि सरकार ने इस निर्णय से पहले न कर्मचारियों की राय ली, न ही वैकल्पिक योजनाएं प्रस्तुत कीं।

‘धरोहर को कैसे बेच सकते हैं?’

त्रिलोक कपूर ने कहा, “इन होटलों में कई ऐसे होटल हैं जो केवल व्यावसायिक संपत्ति नहीं, बल्कि हिमाचल की सांस्कृतिक धरोहर हैं। सरकार इन होटलों की बिक्री कर न केवल पर्यटन को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि हजारों कर्मचारियों के भविष्य पर भी खतरा मंडरा रहा है।”

उन्होंने यह भी दावा किया कि अगर समय रहते सरकार ने इन होटलों के संचालन में पारदर्शिता और नवाचार अपनाया होता, तो आज उन्हें बेचने की नौबत नहीं आती।

कांग्रेस सरकार की चुप्पी

सरकार की ओर से अभी तक इस मसले पर कोई औपचारिक बयान नहीं आया है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने केवल इतना कहा है कि यह कदम राज्य की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए उठाया गया है और इससे राजस्व में वृद्धि होगी।

हालांकि विपक्ष का तर्क है कि यह सिर्फ ‘शॉर्ट टर्म गेन, लॉन्ग टर्म पेन’ है और इससे हिमाचल की पहचान और रोजगार व्यवस्था दोनों को नुकसान पहुंचेगा।

राजनीतिक माहौल गरम, कर्मचारियों में असंतोष

प्रदेश में अब यह मामला राजनीति और सामाजिक चिंता का विषय बन गया है। भाजपा ने साफ कर दिया है कि वह इस मुद्दे को विधानसभा से लेकर सड़क तक उठाएगी। साथ ही, HPTDC के सैकड़ों कर्मचारी भी प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं।

एक कर्मचारी नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हमें डर है कि निजीकरण के बाद हमारी नौकरी सुरक्षित नहीं रहेगी। सरकार ने हमसे कोई संवाद नहीं किया।”

पर्यटन व्यवसाय को झटका?

हिमाचल प्रदेश में पर्यटन न केवल राज्य की आय का एक प्रमुख स्रोत है, बल्कि हज़ारों लोगों की आजीविका भी इससे जुड़ी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकारी होटलों का निजीकरण अंधाधुंध तरीके से किया गया, तो इससे स्थानीय पर्यटन व्यवसाय, सेवा गुणवत्ता और पारंपरिक आतिथ्य पर गहरा असर पड़ सकता है।

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