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बिहार चुनाव 2025 एग्जिट पोल में फिर NDA को बढ़त, लेकिन बढ़त ‘कमजोर’ क्यों बताई जा रही है?
वोट वाइब समेत कई एग्जिट पोल्स ने NDA को बहुमत के करीब बताया, जबकि महागठबंधन पिछड़ता नजर आ रहा है
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आने से पहले ही एग्जिट पोल्स ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। ताज़ा सर्वे Vote Vibe ने भविष्यवाणी की है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) इस बार भी सरकार बनाने में सफल हो सकता है, लेकिन बहुमत की दहलीज पर उसकी स्थिति पहले जितनी मजबूत नहीं है।
वोट वाइब के आंकड़ों के अनुसार, NDA को 125 से 145 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि बहुमत का आंकड़ा 122 है। वहीं, महागठबंधन (RJD, कांग्रेस और वाम दलों का गठजोड़) को 95 से 115 सीटों के बीच सीमित बताया गया है। इस बीच, प्रशांत किशोर की नई पार्टी जन सुराज पार्टी या तो खाता नहीं खोल पाएगी या सिर्फ 1-2 सीटों तक सीमित रह सकती है।

दिलचस्प बात यह है कि यह बिहार चुनाव का दसवां एग्जिट पोल है जो NDA को बढ़त दे रहा है, लेकिन बाकी सर्वेक्षणों की तुलना में इसका अंतर सबसे कम बताया गया है। Chanakya Strategies ने NDA को 130–138 सीटों की बढ़त दी थी, जबकि People’s Insight और People’s Pulse दोनों ने 133 सीटों तक की संभावना जताई थी। वहीं, Matrize ने तो NDA को 147–167 सीटों तक का अनुमान देकर लगभग दो-तिहाई बहुमत का दावा किया था।
NDTV के ‘Poll of Exit Polls’ औसत के अनुसार, NDA को लगभग 146 सीटें मिलने की संभावना है, जबकि महागठबंधन को 91 सीटों पर सिमटने की भविष्यवाणी की गई है। जन सुराज पार्टी के हिस्से में महज एक सीट बताई जा रही है।
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अगर नतीजे शुक्रवार को इसी दिशा में आते हैं, तो यह भारतीय जनता पार्टी (BJP) और NDA के लिए एक और बड़ी सफलता होगी। लोकसभा चुनावों में अपेक्षा से कमजोर प्रदर्शन के बाद, भाजपा के लिए यह चौथी बड़ी राहत साबित हो सकती है। इससे पहले पार्टी ने हरियाणा, दिल्ली, और महाराष्ट्र में भी सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखी थी।
बिहार चुनाव को भाजपा और जनता दल (यूनाइटेड) के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण माना जा रहा था, खासकर इसलिए क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले 20 वर्षों से (9 महीने के छोटे अंतराल को छोड़कर) लगातार सत्ता में हैं। एग्जिट पोल्स से यह संकेत तो मिला है कि बिहार की जनता ने अभी भी NDA पर भरोसा दिखाया है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि यह भरोसा पहले जितना प्रचंड नहीं रहा।

विश्लेषकों का कहना है कि मतदाताओं में बदलाव की लहर धीमी लेकिन स्पष्ट है। युवा वोटर विकास और बेरोजगारी के मुद्दों पर अधिक जागरूक हुए हैं। वहीं, ग्रामीण इलाकों में अब भी लालू यादव परिवार की जमीनी पकड़ कायम है, जो राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को उसकी पारंपरिक सीटों पर टिकाए हुए है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अंतिम नतीजे एग्जिट पोल्स के अनुरूप आते हैं, तो यह NDA के लिए एक ‘थकी हुई जीत’ कही जाएगी — ऐसी जीत जिसमें बहुमत तो होगा, पर आराम नहीं।
राज्य में अब नज़रें शुक्रवार के नतीजों पर टिकी हैं। यह तय करेगा कि नीतीश कुमार अपनी दो दशक पुरानी कुर्सी पर कायम रहते हैं या बिहार की सियासत में कोई नया अध्याय लिखा जाता है।
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