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बेंगलुरु में ‘भारत बंद’ की गूंज: फ्रीडम पार्क पर हजारों लोगों की भीड़, ट्रैफिक हुआ जाम!
सरकारी नीतियों के खिलाफ हज़ारों कर्मचारी फ्रीडम पार्क पर जुटे, शहर में यातायात व्यवस्था चरमराई, पुलिस ने जारी की एडवाइजरी

बेंगलुरु के Freedom Park में मंगलवार सुबह से ही जनसैलाब उमड़ पड़ा। वजह? केंद्र सरकार की “श्रम विरोधी और कॉरपोरेट समर्थक” नीतियों के खिलाफ भारत बंद आंदोलन के तहत हज़ारों की संख्या में कर्मचारी संगठनों का प्रदर्शन। इस भीड़भाड़ का असर पूरे शहर की ट्रैफिक व्यवस्था पर पड़ा और प्रशासन को अलर्ट पर रहना पड़ा।
भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC), सीटू (CITU) और अन्य केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने इस प्रदर्शन का आह्वान किया है। इनका आरोप है कि सरकार की नई आर्थिक और श्रम नीतियाँ मज़दूरों के अधिकारों को कमजोर करती हैं और कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाती हैं।
The protest, जो आज के भारत बंद का अहम हिस्सा है, के दौरान फ्रीडम पार्क में लगभग 4,000 से 5,000 लोगों के एकत्रित होने का अनुमान लगाया गया है। इसी को देखते हुए उप्परपेट ट्रैफिक पुलिस स्टेशन द्वारा जारी की गई एडवाइजरी में कहा गया:
“09.07.25 को फ्रीडम पार्क में विभिन्न संगठनों की मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया है। इसमें 4,000 से 5,000 लोगों के शामिल होने की संभावना है। इस क्षेत्र में यातायात जाम हो सकता है। कृपया वैकल्पिक मार्गों का प्रयोग करें।”
ट्रैफिक पुलिस ने यह सूचना अपने X (Twitter) हैंडल पर भी साझा की, ताकि आम लोग ट्रैफिक से बच सकें।
सेवाएं होंगी प्रभावित, लेकिन आपातकालीन व्यवस्थाएं रहेंगी चालू
शहर की पब्लिक ट्रांसपोर्ट, बैंकिंग, डाक सेवा और सार्वजनिक निर्माण क्षेत्र जैसे कई आवश्यक सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। हालांकि, आपातकालीन सेवाएं जैसे एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड को इससे बाहर रखा गया है।
बेंगलुरु ट्रैफिक पुलिस, जिसने भीड़ प्रबंधन के लिए अतिरिक्त बल तैनात किया है, ने जनता से सहयोग की अपील की है। पुलिस का कहना है कि “यात्रा करने से पहले रूट प्लान करें, और यदि संभव हो तो फ्रीडम पार्क से दूरी बनाए रखें।”
क्यों हो रहा है ये विरोध?
कई श्रमिक संगठनों का आरोप है कि सरकार की लेबर कोड्स, निजीकरण की नीति, और न्यूनतम वेतन तय न करना जैसे फैसले मज़दूर वर्ग के खिलाफ हैं। ये प्रदर्शन इस असंतोष की मुखर अभिव्यक्ति है।
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा,
“ये सिर्फ मज़दूरों का नहीं, किसानों और आम जनता का भी विरोध है। भारत के कोने-कोने से लोग इस प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं।”