Law & Governance
आज़ादी के बाद सबसे बड़ा सुधार नए आपराधिक कानूनों पर बोले अमित शाह अब न्याय प्रणाली होगी तेज पारदर्शी और नागरिक केंद्रित
एक साल पूरे होने पर बोले गृह मंत्री: पुलिस, अभियोजन और न्यायपालिका पर तय समयसीमा का दबाव, 14.8 लाख पुलिसकर्मियों को मिला प्रशिक्षण

देश की न्यायिक व्यवस्था को मजबूत और आधुनिक बनाने की दिशा में लागू किए गए नए आपराधिक कानूनों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बड़ा बयान दिया है। 1 जुलाई 2025 को नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम A Golden Year of Trust in the Justice System में बोलते हुए उन्होंने कहा कि ये तीनों नए कानून स्वतंत्र भारत के सबसे बड़े न्यायिक सुधार हैं, जो न केवल नागरिकों को सशक्त बनाएंगे बल्कि पुलिस और अदालतों की जवाबदेही भी सुनिश्चित करेंगे।
गृह मंत्री ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (IPC) भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) और दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) जैसी औपनिवेशिक सोच वाली व्यवस्थाओं को हटाकर, अब भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BS) और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) लागू की गई हैं। इन कानूनों ने न्याय व्यवस्था को तकनीक आधारित, तेज और पारदर्शी बनाने की दिशा में नया रास्ता खोला है।
टाइमबाउंड सिस्टम और डिजिटल साक्ष्य का प्रावधान
नए कानूनों के तहत पुलिस, अभियोजन और न्यायपालिका— इन तीनों स्तंभों के लिए निर्धारित समयसीमाएं तय की गई हैं ताकि मुकदमों को वर्षों तक लटकने से रोका जा सके। अमित शाह ने यह भी बताया कि ई-एविडेंस, ई-समन और सामुदायिक सेवा जैसी सजाओं के प्रावधानों को 11 से अधिक राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में लागू किया जा चुका है।
जवाबदेही बढ़ेगी, दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा
गृह मंत्री ने कहा कि नए प्रावधानों के तहत यदि कोई पुलिस अधिकारी जांच में लापरवाही करता है, तो उस पर भी कड़ी कार्रवाई होगी। अब पुलिसकर्मियों से लेकर न्यायालय तक हर स्तर पर जवाबदेही तय की गई है।
1 साल में इतने लोगों को मिला प्रशिक्षण
अमित शाह ने बताया कि पिछले एक साल में—
- 14.8 लाख पुलिसकर्मियों
- 42,000 जेल कर्मियों
- 19,000 न्यायिक अधिकारियों
- 11,000 से अधिक सरकारी वकीलों
को नए कानूनों के तहत काम करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
एफआईआर कराना डर नहीं भरोसे की बात होगी
कार्यक्रम में गृह मंत्री ने कहा कि अब मानसिकता बदलेगी — लोग सोचते थे कि “एफआईआर कराई तो क्या होगा?”, लेकिन अब भरोसा होगा कि “एफआईआर से न्याय जरूर मिलेगा।
कार्यक्रम में दिल्ली की उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता गृह सचिव गोविंद मोहन और खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन कुमार डेका भी मौजूद रहे।
