Cricket
‘Siraj ने जैसे ही आखिरी विकेट लिया, मैं निराश होते हुए भी…’ – इंग्लैंड कोच मैक्कलम का दिल जीतने वाला बयान
2-2 की ऐतिहासिक ड्रॉ टेस्ट सीरीज़ के बाद इंग्लैंड कोच ब्रेंडन मैक्कलम ने मोहम्मद सिराज की तारीफ में बांधे पुल, बोले – ये मेरी जिंदगी की सबसे रोमांचक टेस्ट सीरीज़ थी

भारत और इंग्लैंड के बीच खेली गई पांच मैचों की टेस्ट सीरीज़ 2-2 से ड्रॉ हो गई, लेकिन इस नतीजे से पहले जो रोमांच, संघर्ष और जज़्बा मैदान पर दिखा, उसने क्रिकेट प्रेमियों के दिल में एक अमिट छाप छोड़ दी। और इस रोमांच के केंद्र में थे – टीम इंडिया के तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद सिराज।
जब द ओवल टेस्ट के आखिरी दिन इंग्लैंड को जीत के लिए महज़ 35 रन चाहिए थे और भारत को 4 विकेट, तब मैदान पर सिराज ने वो कर दिखाया जो शायद ही किसी ने सोचा हो। अंतिम सुबह 3 विकेट लेकर 9 रन पर बिखेर देने वाले इस हैदराबादी तूफ़ान ने जब गस एटकिन्सन को आउट कर सीरीज़ बराबर कराई, तो मैदान में मौजूद हर कोई उछल पड़ा – सिवाय एक शख्स के।

वो थे इंग्लैंड के मुख्य कोच ब्रेंडन मैक्कलम। लेकिन उन्होंने हार के बाद जो कहा, उसने भी फैंस का दिल जीत लिया। “जब सिराज ने आखिरी विकेट लिया, मैं जितना निराश था, उतना ही प्रभावित भी।” मैक्कलम ने स्काई स्पोर्ट्स से बात करते हुए ये बयान दिया।
“सिराज ने जिस तरह से दबाव में खुद को संभाला और पूरी शिद्दत से गेंदबाज़ी की, वो सराहनीय था। वो कभी पीछे नहीं हटा, और जब टीम को ज़रूरत थी, उसने वो किया जिसकी उम्मीद होती है एक सच्चे फाइटर से,” उन्होंने आगे कहा।
ब्रेंडन मैक्कलम ने केवल सिराज ही नहीं, बल्कि पूरी सीरीज़ को अपने करियर की अब तक की सबसे बेहतरीन टेस्ट सीरीज़ बताया। उनका कहना था कि यह पांच टेस्ट की लड़ाई केवल क्रिकेट नहीं थी, बल्कि यह चरित्र, मानसिक शक्ति और जज़्बे की भी परीक्षा थी।

उन्होंने कहा, “यह सीरीज़ कभी एकतरफा नहीं रही। छह हफ्तों तक दोनों टीमें एक-दूसरे को हर संभव तरीके से चुनौती देती रहीं। कहीं दोस्ती दिखी, कहीं गर्मागर्म बहसें, लेकिन हर पल दर्शकों के लिए रोमांच से भरा था।”
इंग्लैंड कोच ने स्वीकार किया कि पांच-पांच दिन लगातार खेलने से मानसिक थकावट होती है और यही वजह थी कि उन्होंने अंतिम टेस्ट के लिए नए खिलाड़ियों को बुलाया।

“2-2 का परिणाम एकदम न्यायसंगत था,” उन्होंने कहा। “ये केवल खेल नहीं था, ये एक यात्रा थी – एक मानसिक और शारीरिक लड़ाई, जहां हर खिलाड़ी ने अपनी सीमा को पार किया।”
इस सीरीज़ ने क्रिकेट को फिर से यह साबित कर दिया कि टेस्ट क्रिकेट आज भी जिंदा है, और वो भी पूरे जुनून और इज़्ज़त के साथ। ब्रेंडन मैक्कलम के ये शब्द न केवल भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को गर्व से भरते हैं, बल्कि सिराज जैसे खिलाड़ियों के प्रति दुनिया भर में एक नई इज़्ज़त भी बनाते हैं।
दैनिक डायरी टेक: सिराज की गेंदबाज़ी और मैक्कलम की स्पोर्ट्समैनशिप दोनों ही क्रिकेट की असली आत्मा की झलक हैं – जहां हार-जीत से बड़ी बात होती है जज़्बा और सम्मान।