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रूस में 8.8 तीव्रता का भूकंप, हवाई और जापान में सुनामी अलर्ट से मचा हड़कंप
कमचटका प्रायद्वीप के पास आए शक्तिशाली भूकंप के बाद अमेरिका और जापान के तटीय इलाकों में जारी किए गए सुनामी चेतावनी, हवाई में उड़ानों पर भी पड़ा असर

रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र कमचटका प्रायद्वीप के तट के पास बुधवार सुबह आए 8.8 तीव्रता के भीषण भूकंप ने वैश्विक स्तर पर चिंता की लहर दौड़ा दी है। इस शक्तिशाली भूकंप के बाद अमेरिका और जापान में सुनामी चेतावनी जारी की गई है, जिसमें हवाई, अलास्का और कैलिफोर्निया जैसे तटीय इलाकों को सतर्क किया गया है।
हवाई प्रांत के गवर्नर जोश ग्रीन ने बुधवार देर शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि अभी तक “कोई बड़ी लहर नहीं देखी गई है, जो हमारे लिए राहत की बात है।” उन्होंने कहा कि मिडवे अटोल के माध्यम से दो लहरें दर्ज की गईं, एक 30 सेंटीमीटर और दूसरी लगभग 3 फीट ऊंची थी। उन्होंने आगे कहा कि जब तक ‘बिग आइलैंड’ के बाद कोई बड़ी हलचल नहीं दिखती, तब तक पूर्ण सुरक्षित स्थिति घोषित नहीं की जा सकती।
दूसरी ओर, जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने होक्काइडो सहित पूर्वी तट के अधिकांश हिस्सों में सुनामी की चेतावनी जारी की है। एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि भूकंप के केंद्र से निकटतम क्षेत्र होक्काइडो में सुबह 10 बजे तक 3 मीटर ऊंची लहरें आ सकती हैं।
जापानी अधिकारियों ने नागरिकों से आग्रह किया है कि वे तुरंत ऊंचाई वाले स्थानों की ओर चले जाएं। जापान के इवाते प्रान्त के कुजी पोर्ट में सबसे ऊंची लहर 1.3 मीटर रिकॉर्ड की गई है। वहीं रूस के कमचटका क्षेत्र में 3 से 4 मीटर ऊंची लहरों की पुष्टि की गई है, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।

हवाई यात्रा पर पड़ा असर
हवाई में सुनामी की चेतावनी के चलते हवाईयन एयरलाइंस और अलास्का एयरलाइंस ने कई उड़ानों को रोका है या वापस अमेरिका की मुख्य भूमि की ओर मोड़ दिया है। हवाई के गवर्नर जोश ग्रीन के अनुसार, माउई द्वीप से आने-जाने वाली सभी उड़ानों को स्थगित कर दिया गया है।
सुनामी का खतरा अभी खत्म नहीं
माउई काउंटी की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, “सुनामी लहरें घंटों तक आती-जाती रह सकती हैं और सभी तटों को खतरा हो सकता है, चाहे वे किसी भी दिशा में हों।” विशेषज्ञों का कहना है कि सुनामी की लहरें द्वीपों के चारों ओर घूमकर किसी भी कोने पर असर डाल सकती हैं, इसलिए सतर्कता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
यह प्राकृतिक आपदा एक बार फिर हमें यह याद दिलाती है कि तकनीकी और वैज्ञानिक विकास के बावजूद, प्रकृति के सामने इंसान अभी भी बहुत नाजुक है। सरकारें और आपदा प्रबंधन टीमें पूरी तरह से तैयार हैं, लेकिन आम लोगों को भी सतर्कता और जागरूकता की जरूरत है।