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अंतरिक्ष से लौटे शुभांशु शुक्ला 18 दिन बाद पृथ्वी पर वापसी | स्पेसएक्स मिशन में रचा गया इतिहास

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने Axiom Mission 4 के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर 18 दिन बिताने के बाद स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल के जरिए सुरक्षित वापसी की।

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Shubhanshu Shukla Returns to Earth After 18-Day Space Mission with Axiom 4
अंतरिक्ष से लौटते शुभांशु शुक्ला और Axiom Mission 4 के दल के सदस्य, स्पेसएक्स कैप्सूल में सुरक्षित वापसी

भारत के लिए एक और ऐतिहासिक पल की वापसी हुई है—जब भारतीय वायुसेना के जांबाज़ पायलट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष की 18 दिवसीय यात्रा के बाद सोमवार को पृथ्वी की ज़मीन पर कदम रखा। Axiom Space द्वारा संचालित Axiom Mission 4 (Ax-4) के इस मिशन में वे अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पर रहकर कई वैज्ञानिक और तकनीकी प्रयोगों का हिस्सा बने।

स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल सोमवार, 14 जुलाई 2025 को भारतीय समयानुसार शाम 4:45 बजे आईएसएस के Harmony module से स्वतः डिटैच होकर धरती की ओर रवाना हुआ। यह यात्रा मंगलवार, 15 जुलाई को कैलिफोर्निया तट के पास समुद्र में स्प्लैशडाउन के साथ समाप्त होनी तय है।

भारत की नई अंतरिक्ष पहचान

इसरो और निजी कंपनियों के साथ मिलकर भारत अब केवल उपग्रह प्रक्षेपण ही नहीं, बल्कि मानव मिशन में भी बड़ी छलांगें लगा रहा है। शुभांशु शुक्ला जैसे अधिकारी, जो वायुसेना के साथ-साथ अंतरिक्ष मिशन में भी अपना योगदान दे रहे हैं, भारत के भविष्य के गगनयान मिशन और अन्य अंतरराष्ट्रीय अभियानों के लिए प्रेरणा हैं।

इस मिशन के दौरान Ax-4 दल ने पृथ्वी की कक्षा में रहते हुए सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (microgravity) में व्यवहारिक अनुसंधान किया, जिससे भविष्य में दवाओं की खोज, उपग्रह डिजाइन और पृथ्वी विज्ञान में मदद मिलेगी।

इंटरनेशनल सहयोग और निजी अंतरिक्ष क्षेत्र की ताकत

Axiom Space और SpaceX की साझेदारी ने दिखा दिया कि अंतरिक्ष अन्वेषण अब केवल सरकारी संस्थाओं की एकाधिकार में नहीं है। Ax-4 मिशन में अलग-अलग देशों के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया, और भारत का नाम इस वैश्विक मंच पर मजबूती से उभरा।

स्पेसएक्स के Crew Dragon कैप्सूल ने एक बार फिर यह साबित किया कि स्वचालित टेक्नोलॉजी के ज़रिए सुरक्षित अंतरिक्ष यात्रा और वापसी अब सटीकता के साथ की जा सकती है।

शुभांशु शुक्ला का योगदान

शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा केवल एक मिशन नहीं थी, यह एक प्रतीक थी भारत की बढ़ती क्षमताओं और महत्वाकांक्षाओं की। एक पायलट के तौर पर जिनका प्रशिक्षण ज़मीन से 50,000 फीट ऊपर होता है, उन्होंने अब अंतरिक्ष में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया।

उनकी वापसी पर देश भर में खुशी की लहर है। सोशल मीडिया से लेकर वैज्ञानिक समुदाय तक, हर जगह इस मिशन की सफलता की चर्चा हो रही है।