Politics
सूत्र नहीं मूत्र है वोटर लिस्ट में विदेशी नागरिकों की मौजूदगी पर भड़के तेजस्वी यादव
तेजस्वी यादव ने बिहार में नेपाल-बांग्लादेशी नागरिकों के नाम वोटर लिस्ट में होने के दावों को सिरे से नकारा, चुनाव आयोग की प्रक्रिया को बताया ‘आंखों में धूल झोंकने वाली कवायद’

पटना: बिहार की राजनीति में उस समय गरमा-गरमी और तीखी बयानबाज़ी देखने को मिली जब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने राज्य की वोटर लिस्ट में विदेशी नागरिकों की मौजूदगी को लेकर आई खबरों पर तीखा पलटवार किया। तेजस्वी ने इसे “सूत्र नहीं, मूत्र है” कहते हुए खारिज कर दिया।
पटना में आयोजित महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए तेजस्वी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग कह रहा है कि उन्हें ‘सूत्रों’ से जानकारी मिली है कि वोटर लिस्ट में नेपाल और बांग्लादेश जैसे देशों के लोगों के नाम शामिल हैं। मैं कहता हूं ये कोई सूत्र नहीं, ये मूत्र हैं। इस तरह की बातें झूठ और अफवाह हैं।”
तेजस्वी ने Special Intensive Revision (SIR) प्रक्रिया को लेकर भी कड़ी आलोचना की और इसे “आंखों में धूल झोंकने वाला नाटक” करार दिया। उन्होंने कहा कि तकनीकी समस्याएं, सर्वर की खराबी, OTP से जुड़ी शिकायतें और बिना स्पष्ट SOP के पूरी प्रक्रिया एकतरफा हो रही है।
वोट कटने की आशंका और आंकड़े
तेजस्वी ने कहा, “अगर सिर्फ 1% वोटरों को भी बाहर किया गया तो करीब 7.9 लाख वोटरों का नाम लिस्ट से गायब हो जाएगा। पिछली बार 52 सीटों पर जीत का अंतर केवल 5,000 वोट था। ऐसे में यदि हर सीट पर औसतन 3,200 वोट कट जाते हैं, तो परिणाम बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि यह पूरी कवायद भारतीय जनता पार्टी (BJP) के इशारे पर हो रही है ताकि बिहारी प्रवासी मतदाताओं को निष्कासित किया जा सके।
अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया
महागठबंधन के सहयोगी और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख मुकेश सहनी ने भी इस प्रक्रिया को ‘वोटबंदी’ करार दिया। उन्होंने कहा, “मैं खुद पटना में हूं, लेकिन सत्यापन के लिए अपने गांव जाकर BLO को फॉर्म दिया। यह पूरी प्रक्रिया नोटबंदी जैसी है — गरीबों को उनके वोटिंग अधिकार से वंचित करने की कोशिश।”
चुनाव आयोग की कार्रवाई
बिहार में 25 जून से चल रही SIR प्रक्रिया के तहत 77,000 से ज्यादा BLO और सरकारी कर्मचारी 7.8 करोड़ मतदाताओं की नागरिकता की जांच कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, इस दौरान बड़ी संख्या में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के नागरिकों की उपस्थिति पाई गई है।
चुनाव आयोग का कहना है कि इस तरह के लोगों के नाम अंतिम वोटर लिस्ट में शामिल नहीं किए जाएंगे, जिसकी घोषणा 30 सितंबर को की जाएगी। साथ ही यह प्रक्रिया पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी जैसे राज्यों में भी शुरू होने की संभावना है।
सवालों के घेरे में आयोग
तेजस्वी यादव ने बार-बार दोहराया कि चुनाव आयोग को BJP के राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने वीडियो सहित बयान X (पूर्व ट्विटर) पर भी साझा किया, जिसमें उन्होंने पत्रकार के सवाल पर फिर कहा – “ये सूत्र नहीं, मूत्र है।”
क्या यह बयानबाज़ी बिहार चुनाव से पहले एक बड़ा सियासी तूफान ला सकती है? और क्या चुनाव आयोग की निष्पक्षता अब सवालों के घेरे में है? जवाब आने वाले महीनों में मिलेगा, लेकिन महागठबंधन ने अपना तेवर साफ कर दिया है।