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केरल की नर्स को 6 दिन बाद यमन में cक्या बचा पाएगी सरकार निमिषा प्रिया की जान
यमन में हत्या के आरोप में मौत की सजा पा चुकी भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी दी जानी है, लेकिन अब ब्लड मनी के जरिए आखिरी कोशिशें की जा रही हैं।

सना जेल में बंद केरल की नर्स निमिषा प्रिया के लिए वक्त तेजी से खत्म हो रहा है। सिर्फ 6 दिन बचे हैं, जब उसे यमन की अदालत द्वारा सुनाई गई मौत की सजा को अंजाम दिया जाएगा। लेकिन क्या भारत सरकार, राजनयिक हस्तक्षेप और ब्लड मनी की व्यवस्था इस मां और बेटी को फिर से मिला सकेगी?
केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली निमिषा प्रिया, 2008 में यमन गई थीं, जहां उन्होंने एक निजी क्लिनिक खोलने का सपना देखा। लेकिन यमन के कानूनों के चलते उन्होंने एक स्थानीय नागरिक तलाल अब्दो मेहदी के साथ साझेदारी की। यहीं से शुरू हुई एक भयावह कहानी — शोषण, ब्लैकमेल और अंत में हत्या तक की।
द नर्स बनी कैदी
‘द इंडियन एक्सप्रेस‘ और ANI की रिपोर्ट के अनुसार, मेहदी ने धोखे से खुद को निमिषा का पति साबित करने की कोशिश की, उसके क्लिनिक के स्वामित्व पर अधिकार जताया, उसका पासपोर्ट जब्त किया और उसे बार-बार मानसिक और शारीरिक यातनाएं दीं। आरोप है कि ड्रग्स देकर उसे नियंत्रित करने की भी कोशिश की गई। आखिरकार, जुलाई 2017 में जब निमिषा ने उसे बेहोश कर पासपोर्ट वापस लेने की कोशिश की, तो ज़्यादा मात्रा में दी गई दवा के चलते मेहदी की मौत हो गई।
2020 में मौत की सजा, अब सिर्फ ब्लड मनी ही है उम्मीद:
यमन की अदालत ने निमिषा को 2018 में हत्या का दोषी करार देते हुए 2020 में फांसी की सजा सुना दी। इसके बाद 2023 में यमन की न्यायिक परिषद ने इस सजा को बरकरार रखा, लेकिन ब्लड मनी का विकल्प खुला रखा — यानि दोषी पीड़ित परिवार को मुआवजा देकर फांसी से बच सकता है।
परिवार और भारत सरकार की जद्दोजहद:
निमिषा की मां प्रेमा कुमारी लगातार यमन और भारत के दरवाज़े खटखटा रही हैं। उन्होंने सना तक जाकर पीड़ित परिवार से ब्लड मनी के लिए बातचीत की, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर (X | Wikipedia) को पत्र लिखकर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ पहले ही $40,000 ब्लड मनी के तौर पर जमा कर चुका है, लेकिन अभी तक यमन सरकार की तरफ से कोई स्पष्ट उत्तर नहीं मिला है।
भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA LinkedIn) ने कहा है कि वे 2018 से ही इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं और यमन के स्थानीय अधिकारियों से लगातार संपर्क में हैं।
क्या बच पाएगी जान?
जैसे-जैसे 16 जुलाई करीब आ रहा है, इस सवाल ने सभी को बेचैन कर दिया है कि क्या भारत सरकार आखिरी वक्त में निमिषा को मौत के मुंह से निकाल पाएगी।
12 साल की बेटी की अपील, एक मां की गुहार और करोड़ों देशवासियों की नजरें अब यमन की जेल की ओर टिकी हैं।

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