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Meta छोड़ बिहार लौटे IIT ग्रेजुएट अमित कुमार का स्टार्टअप सपना टूटा — बोले “सच्चाई बहुत कड़वी थी”
अमेरिका में ऊँची सैलरी छोड़ बिहार लौटे IIT दिल्ली और MIT स्लोन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के पूर्व छात्र अमित कुमार ने राज्य में स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें मिली सिर्फ निराशा और हकीकत की सच्चाई।
Meta जैसी दिग्गज टेक कंपनी में ऊँचे पद पर काम करने वाले अमित कुमार का सपना था — अपने गृह राज्य बिहार में एक ऐसा स्टार्टअप इकोसिस्टम खड़ा करना, जो देश के बड़े शहरों को टक्कर दे सके। लेकिन दो साल की मेहनत के बाद, उन्हें अपने इस सपने को अधूरा छोड़ना पड़ा।
IIT दिल्ली और MIT Sloan School of Management से पढ़ाई करने वाले अमित ने 2023 में अमेरिका की नौकरी छोड़ भारत वापसी की थी।
Meta में वे Vice President of Product Development के पद पर थे और सिलिकॉन वैली में काम कर रहे थे। उनका मकसद था — बिहार में युवाओं के लिए रोज़गार, नवाचार और निवेश के नए अवसर पैदा करना।
एक सपना — बिहार को नवाचार का हब बनाना
अमित कुमार ने अपने वायरल LinkedIn पोस्ट में लिखा —
“दो साल पहले मैंने ज़िंदगी का सबसे बड़ा फैसला लिया था। मैंने Meta USA की नौकरी छोड़ी और बिहार लौट आया — कुछ बड़ा और सार्थक बनाने के लिए।”
उनका लक्ष्य था बिहार को सिर्फ कृषि या निर्माण उद्योग तक सीमित न रहने देना, बल्कि इसे टेक्नोलॉजी और एंटरप्रेन्योरशिप का केंद्र बनाना।
उन्होंने कई वर्कशॉप्स, मेंटरशिप सेशन्स और इन्वेस्टर कनेक्ट्स आयोजित किए, जहां सिलिकॉन वैली के प्रोडक्ट लीडर्स और निवेशक बिहार के युवा उद्यमियों से जुड़े।

जमीनी सच्चाई — “वहां सहयोग से ज्यादा स्वार्थ दिखा”
लेकिन जल्द ही अमित को हकीकत का सामना करना पड़ा।
उन्होंने लिखा —
“जमीनी स्तर की सच्चाई बहुत अलग थी। मैंने वहां सहयोग से ज्यादा स्वार्थ, वादों से ज्यादा दिखावा और प्रोफेशनलिज्म से ज्यादा राजनीति देखी।”
उन्होंने बताया कि उन्होंने ग्लोबल निवेशकों से करीब ₹130 करोड़ का प्री-सीड कैपिटल जुटाया था, ताकि शुरुआती स्टार्टअप्स को समर्थन दिया जा सके।
फिर भी, ब्यूरोक्रेसी, पारदर्शिता की कमी और सिस्टम की लापरवाही ने उनके काम को आगे बढ़ने नहीं दिया।
“यह असफलता फंडिंग या आइडिया की नहीं थी — यह नैतिकता और ईमानदारी की कमी से उपजी थी,” उन्होंने लिखा।
“मैं बहुत भावुक था” — अपनी गलती खुद मानी
अमित कुमार ने माना कि उनका भावनात्मक जुड़ाव ही उनकी सबसे बड़ी गलती थी।
“मैंने कुछ लोगों पर भरोसा किया, प्रोसेस फॉलो नहीं किए, क्योंकि मैं बिहार से भावनात्मक रूप से जुड़ा था। लेकिन उस भरोसे का कई बार गलत फायदा उठाया गया।”
उनकी पोस्ट में यह भी इशारा था कि बिहार के स्टार्टअप समुदाय में आंतरिक राजनीति और व्यक्तिगत हितों ने सामूहिक प्रयासों को कमजोर किया।
“हार नहीं मानी, बस रास्ता बदला”
दो साल की कोशिशों के बाद अमित को बिहार से अपने ऑपरेशन्स किसी अन्य राज्य में शिफ्ट करना पड़ा।
उन्होंने लिखा —
“यह निर्णय निराशा से नहीं, बल्कि स्वीकार्यता से लिया गया। आगे बढ़ने के लिए ज़रूरी था कि मैं उस सच्चाई को स्वीकार करूं।”
फिर भी उन्होंने बिहार के लिए उम्मीद जताई —
“बदलाव तभी आएगा जब सच्चाई को स्वीकार किया जाएगा। बिहार उठेगा — नारेबाज़ी से नहीं, ईमानदारी और अनुशासन से।”

कौन हैं अमित कुमार?
अमित कुमार ने IIT Delhi से इंजीनियरिंग और MIT Sloan School of Management से MBA किया है।
उन्होंने Google और Amazon जैसी कंपनियों में भी प्रोडक्ट लीडरशिप भूमिकाएँ निभाई थीं।
Meta में वे ग्लोबल इनोवेशन प्रोजेक्ट्स पर काम करते थे, लेकिन 2023 में उन्होंने “Reverse Brain Drain” यानी प्रतिभाओं की वापसी का उदाहरण पेश करते हुए भारत लौटने का निर्णय लिया था।
निष्कर्ष — उम्मीद अभी बाकी है
अमित कुमार की कहानी सिर्फ एक असफलता की नहीं, बल्कि उस कड़वी सच्चाई की है जो कई भारतीय राज्यों के उद्यमी झेलते हैं।
फिर भी उनका संदेश स्पष्ट है —
“बदलाव के लिए सिर्फ विचार नहीं, ईमानदारी और व्यवस्था की ज़रूरत है।”
