India News
CJI पर हमला करने वाले वकील पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी कार्रवाई – अब नहीं कर पाएंगे प्रैक्टिस, बार एसोसिएशन ने की सदस्यता रद्द
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर की सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द की, ‘गंभीर दुराचार’ के आरोप में अब नहीं कर सकेंगे सुप्रीम कोर्ट में वकालत
सुप्रीम कोर्ट के भीतर मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील राकेश किशोर पर अब कड़ी कार्रवाई हुई है।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने उन्हें “गंभीर दुराचार (Grave Misconduct)” के आरोप में तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया है।
इस फैसले के बाद राकेश किशोर की SCBA की अस्थायी सदस्यता रद्द कर दी गई है, और अब वे सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे।

SCBA का आदेश – सदस्यता तत्काल प्रभाव से समाप्त
SCBA के प्रस्ताव में कहा गया है कि वकील राकेश किशोर (सदस्य संख्या K-01029/RES, दिनांक 27.07.2011) की सदस्यता “तत्काल प्रभाव से समाप्त की जाती है और उनका नाम एसोसिएशन के रजिस्टर से हटा दिया जाए।”
साथ ही यह भी आदेश दिया गया है कि,
“उनका सदस्यता कार्ड रद्द और जब्त किया जाए तथा सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी-जनरल को निर्देश भेजा जाए कि उनका प्रॉक्सिमिटी एक्सेस कार्ड (Access Pass) तुरंत रद्द कर दिया जाए।”
जूता फेंकने की कोशिश के बाद मचा था हंगामा
राकेश किशोर पर आरोप है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट परिसर में मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की थी। यह घटना अदालत की कार्यवाही के दौरान हुई, जिससे पूरे न्यायिक समुदाय में आक्रोश फैल गया।
घटना के बाद अदालत में सुरक्षा और अनुशासन को लेकर सख्त कदम उठाने की मांग की गई।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी की सस्पेंशन
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने भी वकील राकेश किशोर को निलंबित कर दिया है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में क्रिमिनल कंटेम्प्ट (Criminal Contempt) की कार्यवाही शुरू करने पर भी विचार चल रहा है। इसके लिए अटॉर्नी जनरल को पत्र भेजकर अनुमति मांगी गई है।
“मैंने भावनात्मक पीड़ा में आकर ऐसा किया” – राकेश किशोर
घटना के बाद मीडिया से बात करते हुए 71 वर्षीय राकेश किशोर ने कहा कि उन्होंने यह कदम किसी राजनीतिक कारण से नहीं, बल्कि “भावनात्मक पीड़ा” के चलते उठाया।
उन्होंने कहा,
“मैंने हिंदू धार्मिक मामलों में बार-बार हो रही न्यायिक दखलअंदाजी के खिलाफ भावनात्मक प्रतिक्रिया दी। मुझे कोई पछतावा नहीं है।”
किशोर ने यह भी दावा किया कि 16 सितंबर को दायर एक जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई के दौरान, उन्हें लगा कि अदालत ने धार्मिक भावनाओं का “मजाक उड़ाया” था।
अदालत परिसर में सुरक्षा पर उठे सवाल
इस घटना ने सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बार एसोसिएशन ने स्पष्ट किया है कि इस तरह का व्यवहार “न्यायपालिका की गरिमा के खिलाफ” है और इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
