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संभल की शाही जामा मस्जिद पर नमाज रोकने की मांग, मंदिर-मस्जिद विवाद में आया नया मोड़
याचिकाकर्ता सिमरन गुप्ता ने मस्जिद में सामूहिक नमाज पर अस्थायी रोक और स्थल को सील कर जिलाधिकारी की निगरानी में देने की अपील की, 21 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

उत्तर प्रदेश के संभल में स्थित शाही जामा मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद ने अब एक नया रूप ले लिया है। इस बार याचिकाकर्ता सिमरन गुप्ता ने अदालत में याचिका दाखिल कर मस्जिद में सामूहिक नमाज पर अस्थायी रोक लगाने की मांग की है। साथ ही उन्होंने विवादित स्थल को सील कर जिलाधिकारी की निगरानी में देने की भी अपील की है। यह मामला अब और संवेदनशील होता जा रहा है, क्योंकि इसमें धार्मिक भावनाएं, ऐतिहासिक दावे और कानून — तीनों की टकराहट साफ दिखाई दे रही है।
विवाद की जड़: मंदिर या मस्जिद?
इस भूमि को लेकर वर्षों से दावा किया जा रहा है कि जहां आज शाही जामा मस्जिद स्थित है, वहां पहले हरिहर मंदिर था। नवंबर 2023 में आठ हिंदू याचिकाकर्ताओं ने इस बात को अदालत में उठाया, जिसके आधार पर दो बार पुरातात्विक सर्वेक्षण कराया गया — एक 19 नवंबर को और दूसरा 24 नवंबर को।
दूसरे सर्वे के दौरान क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें चार लोगों की मौत और 29 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। इसके बाद समाजवादी पार्टी सांसद जियाउर्रहमान बर्क, मस्जिद कमेटी अध्यक्ष जफर अली, सहित 2750 लोगों पर केस दर्ज हुआ। अब तक 96 आरोपियों को जेल भेजा जा चुका है।
सिमरन गुप्ता की याचिका में क्या है खास?
सिमरन गुप्ता की ओर से पेश हुए वकील बाबू लाल सक्सेना ने तर्क दिया कि जब तक यह तय नहीं हो जाता कि विवादित स्थल मस्जिद है या मंदिर, तब तक किसी भी धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उनका कहना है कि “जैसे हिंदू पक्ष को पूजा से रोका गया, वैसे ही मुस्लिम पक्ष को भी नमाज पढ़ने से रोका जाना चाहिए” — यानी दोनों पक्षों के लिए समान नियम लागू किए जाएं।
21 जुलाई को होगी अगली सुनवाई
यह याचिका चंदौसी की अदालत में दाखिल की गई है, जहां 21 जुलाई 2025 को मामले की अगली सुनवाई होगी। इसी दिन अदालत यह तय करेगी कि क्या मस्जिद में सामूहिक नमाज पर अस्थायी रोक लगाई जाएगी और क्या स्थल को सील करने का आदेश दिया जाएगा।
राज्य सरकार को कानूनी राहत
गौरतलब है कि ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए सर्वे आदेश को हाईकोर्ट ने सही ठहराया है, जिससे योगी सरकार को इस केस में कानूनी राहत मिली है। अब राज्य सरकार को इस संवेदनशील मामले में अदालत से आगे का रास्ता मिलने की उम्मीद है।
फैसले पर टिकीं सबकी निगाहें
देशभर की नज़रें अब 21 जुलाई पर टिकी हैं, जब अदालत यह तय करेगी कि क्या धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगाने का आदेश जारी होगा या नहीं। यह फैसला न सिर्फ संभल बल्कि देश के अन्य विवादित स्थलों पर भी प्रभाव डाल सकता है।