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भारत ने बांग्लादेश से जूट और फ्लैक्स उत्पादों के आयात पर कसी लगाम सीमा से सीधे आयात पर रोक

भारत सरकार का बड़ा कदम, अब केवल चुनिंदा समुद्री बंदरगाहों से ही हो सकेगा आयात; रेडीमेड वस्त्रों और प्रोसेस्ड उत्पादों पर ज़मीनी रास्ते से रोक

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भारत-बांग्लादेश सीमा पर रुके जूट उत्पादों से लदे ट्रक – नए नियमों के बाद व्यापार पर असर
भारत-बांग्लादेश सीमा पर रुके जूट उत्पादों से लदे ट्रक – नए नियमों के बाद व्यापार पर असर

भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक रिश्तों में एक नया मोड़ आया है। भारत सरकार ने बांग्लादेश से जूट, फ्लैक्स और उनसे बने कई प्रोसेस्ड उत्पादों के आयात पर कड़े नियम लागू कर दिए हैं। नवीनतम अधिसूचना के अनुसार, इन उत्पादों को अब केवल महाराष्ट्र के नवी मुंबई स्थित न्हावा शेवा बंदरगाह से ही देश में प्रवेश की अनुमति होगी।

विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, बांग्लादेश से आने वाले रेडीमेड वस्त्रों और कुछ विशेष प्रोसेस्ड उत्पादों का ज़मीनी सीमा से आयात पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। यह फैसला भारत-बांग्लादेश व्यापार में बढ़ते तनाव और सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए लिया गया है।

हालांकि, यह प्रतिबंध बांग्लादेश से नेपाल और भूटान को होने वाले निर्यात पर लागू नहीं होगा, भले ही वह भारत से होकर क्यों न गुजरे। लेकिन इन देशों से भारत को होने वाले पुनः-निर्यात (Re-export) पर भी रोक लगा दी गई है।

इससे पहले अप्रैल 2025 में, भारत सरकार ने बांग्लादेश को दी गई ट्रांज़िट सुविधा वापस ले ली थी, जिसके तहत बांग्लादेश अपने उत्पादों को भारत के बंदरगाहों और हवाई अड्डों के जरिए तीसरे देशों को निर्यात कर सकता था। यह कदम दोनों देशों के बीच कूटनीतिक खींचतान और सुरक्षा मसलों के कारण उठाया गया था।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रतिबंध भारत के घरेलू उत्पादकों, विशेषकर जूट उद्योग के हितों की रक्षा के लिए लाया गया है। लंबे समय से भारतीय जूट उत्पादकों द्वारा बांग्लादेशी सस्ते उत्पादों की वजह से बाजार में प्रतिस्पर्धा की शिकायत की जा रही थी।

वाणिज्यिक नीतियों पर नज़र रखने वाले व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि यह निर्णय भले ही घरेलू उद्योग को राहत दे, लेकिन दोनों देशों के बीच व्यापारिक संतुलन और विश्वास पर दीर्घकालिक असर डाल सकता है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बांग्लादेश की सरकार इस कदम पर क्या प्रतिक्रिया देती है और दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में आगे क्या बदलाव आते हैं।

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