Connect with us

Uttar Pradesh News

2017 के बाद ट्रांसफर-पोस्टिंग और भर्ती में बंद हुई दलाली अब गरीब के बच्चे पढ़ेंगे वर्ल्ड क्लास स्कूल में

जीरो टॉलरेंस नीति से बदला उत्तर प्रदेश का सिस्टम, अटल आवासीय विद्यालय और मुख्यमंत्री विद्यालयों से शिक्षा को नई उड़ान

Published

on

Uttar Pradesh में जीरो टॉलरेंस के बाद भर्ती और पोस्टिंग से खत्म हुई दलाली, अब शिक्षा बनी प्राथमिकता
उत्तर प्रदेश में गरीब बच्चों के लिए खुल रहे हैं वर्ल्ड क्लास अटल आवासीय विद्यालय

उत्तर प्रदेश में 2017 के बाद की सरकार ने ना केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोला बल्कि शिक्षा और विकास के क्षेत्र में ऐसा मॉडल खड़ा किया जिसे लोग अब मिसाल के तौर पर देखने लगे हैं। पहले जहां भर्ती और ट्रांसफर-पोस्टिंग एक धंधा बन चुका था, वहीं अब सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत इसे पूरी तरह बंद कर दिया गया है।

और भी पढ़ें : मुरादाबाद में बाढ़ का डर! रामगंगा नदी ने पार किया खतरे का स्तर

आज कोई अधिकारी या कर्मचारी ये सोच भी नहीं सकता कि किसी की पोस्टिंग या भर्ती के नाम पर पैसा लिया जाए, क्योंकि अब ऐसा करने वालों के लिए जेल ही आखिरी मंज़िल होगी।

मुरादाबाद में शिक्षा और बुनियादी ढांचे का कायाकल्प

2017 से पहले मुरादाबाद के विकास को लेकर कई चुनौतियां थीं। शहर दो हिस्सों में बंटा था—रेलवे क्रॉसिंग के इस पार और उस पार। जाम और अव्यवस्था आम बात थी। लेकिन अब, मुरादाबाद शहर में फोर लेन कनेक्टिविटी की व्यवस्था हो चुकी है, जो कभी कल्पना मात्र थी।

अब मुरादाबाद के पास अपना विश्वविद्यालय है, जो शिक्षा के क्षेत्र में नई क्रांति ला रहा है। साथ ही, बिलारी तहसील में अटल आवासीय विद्यालय का शुभारंभ हो चुका है, जो गरीब और श्रमिक परिवारों के बच्चों को विश्वस्तरीय शिक्षा देने का सपना साकार कर रहा है।

Uttar Pradesh में जीरो टॉलरेंस के बाद भर्ती और पोस्टिंग से खत्म हुई दलाली, अब शिक्षा बनी प्राथमिकता


गरीब बच्चों को मिला शिक्षा का संबल

सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि इन स्कूलों में किसी नेता या अफसर के बच्चे नहीं पढ़ेंगे। यहां प्राथमिकता उन बच्चों को दी जाएगी जिनके माता-पिता कोरोना काल में चल बसे, या जो समाज के सबसे पिछड़े तबके से आते हैं। पहले चरण में शुरू हुए 18 अटल आवासीय विद्यालयों में 18,000 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।

इन छात्रों के लिए रहना, खाना, पहनना और पढ़ाई—सब कुछ राज्य सरकार की तरफ से मुफ्त में उपलब्ध कराया जा रहा है। यही नहीं, राज्य में मुख्यमंत्री अभ्युदय विद्यालय, पीएम श्री विद्यालय, और मुख्यमंत्री कंपोजिट विद्यालय जैसी योजनाएं युद्ध स्तर पर चल रही हैं, जिससे उत्तर प्रदेश की शिक्षा प्रणाली पूरी तरह रूपांतरित हो रही है।

नकल मुक्त परीक्षा, पहचान की वापसी

2017 से पहले की सरकार में नकल को जैसे अधिकार मान लिया गया था। परीक्षा केंद्रों पर चोरी-छिपे ही नहीं, खुलेआम नकल होती थी। लेकिन अब परीक्षा प्रक्रिया पारदर्शी और सख्त हो गई है। यूपी बोर्ड, UPTET और अन्य परीक्षाओं में नकल पर कड़ा प्रहार हुआ है। इससे न केवल प्रदेश की साख बढ़ी है बल्कि युवाओं को भी आत्मविश्वास मिला है।

राज्य सरकार की सोच: शिक्षा ही भविष्य है

सरकार का मानना है कि कोई भी समाज या राष्ट्र तब तक विकसित नहीं हो सकता, जब तक उसमें संस्कारयुक्त और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा न हो। आज के दौर में यूपी सरकार शिक्षा को सिर्फ स्कूल खोलने तक सीमित नहीं रख रही, बल्कि उसे इन्फ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी और नैतिक मूल्यों के साथ जोड़ रही है।