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‘3BHK’ फिल्म रिव्यू: सिद्धार्थ-सारथ कुमार की इस फैमिली ड्रामा ने दिल छू लिया, घर की तलाश में जिंदगी की कहानी
एक ऐसा इमोशनल सफर जो हर मिडल क्लास परिवार की उस ख्वाहिश को दिखाता है — अपने खुद के घर का सपना

तमिल सिनेमा की नई पेशकश ‘3BHK’ ने एक बेहद आम लेकिन दिल से जुड़ी हुई कहानी को परदे पर लाकर दर्शकों को गहराई से छू लिया है। निर्देशक श्री गणेश की यह नई फिल्म उस भावनात्मक संघर्ष को दिखाती है जिसे हर मध्यमवर्गीय परिवार महसूस करता है — “क्या हम कभी अपना खुद का घर ले पाएंगे?”
फिल्म की कहानी सारथ कुमार द्वारा निभाए गए वासुदेवन और उनके परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक छोटे से किराए के घर में रहते हैं और अपना एक स्थायी आशियाना बनाने का सपना देखते हैं। उनके बेटे प्रभु (जिसे बॉयज़ फेम सिद्धार्थ ने निभाया है), बेटी आरती और पत्नी शांति (देवयानी) के साथ मिलकर यह परिवार शहर में एक 3BHK खरीदने का सपना देखता है — एक सपना जो सिर्फ ईंटों का नहीं, आत्मसम्मान और स्थायित्व का प्रतीक बन जाता है।
द रंग दे बसंती स्टार की यह परफॉर्मेंस एक ऐसे युवा की है जो असफलताओं के बावजूद अपने परिवार की उम्मीदों को ज़िंदा रखता है। सिद्धार्थ ने प्रभु के संघर्ष, गुस्से और प्यार को बेहद सच्चाई के साथ निभाया है, खासकर उस दृश्य में जब बॉस उन्हें औसत रेटिंग देता है, और वो घर की छत पर पिता से गले लगते हैं।
The Raees actor की तरह ही सारथ कुमार का किरदार वासुदेवन भी सच्चाई की धरती से जुड़ा है — एक पिता जो अपने परिवार को बेहतर भविष्य देना चाहता है। घर चलाने के लिए शांति अपनी खुद की होम-फूड सर्विस शुरू करती हैं, आरती अपनी शिक्षा में अव्वल रहती है और गणना करती है कि कितनी बचत से घर खरीदा जा सकता है।
फिल्म की सबसे खूबसूरत बात ये है कि इसमें कोई सुपरहीरो नहीं है, बल्कि एक पूरा परिवार है जो मिलकर अपने सपने को जिंदा रखता है।
‘Sapta Saagaradaache Ello’ फेम चैत्रा का कैमियो छोटा लेकिन प्रभावशाली है और मीथा रघुनाथ ने आरती के किरदार में जान डाल दी है। उनके और परिवार के बीच की केमिस्ट्री फिल्म को और भी असली बना देती है।
हालांकि फिल्म का एक हिस्सा जिसमें एक फोर्स्ड एंगेजमेंट को दिखाया गया है, वह मुख्य विषय से थोड़ा भटकता है और दर्शक को भ्रमित कर सकता है। इसके बावजूद फिल्म की सादगी और इमोशन आपको बांधे रखते हैं।
Varshangalukku Shesham के म्यूजिक डायरेक्टर का तमिल डेब्यू भी इस फिल्म में शानदार रहा। ‘कनवेल्लम निज़मागा…’ जैसे ट्यून फिल्म के भावनात्मक दृश्यों को और गहराई देते हैं। सिनेमैटोग्राफर दिनेश कृष्णन और जितिन स्टानिस्लॉस ने 90s के दौर को बखूबी रीक्रिएट किया है।
3BHK कोई सिर्फ फिल्म नहीं है, यह एक भावनात्मक अनुभव है। एक ऐसा अनुभव जो आपको आपके परिवार की याद दिलाता है, उन छोटे-बड़े संघर्षों की याद दिलाता है जिनके बीच भी सपनों को जिंदा रखा जाता है।