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भारत के साथ डील के करीब हैं डोनाल्ड ट्रंप ने बताया क्यों नहीं लगाया टैरिफ
अमेरिका ने 14 देशों को भेजा टैरिफ लेटर, लेकिन भारत को छोड़ा डेयरी और कृषि क्षेत्र बना वार्ता में रोड़ा

वॉशिंगटन-नई दिल्ली व्यापार वार्ता में नया मोड़ आया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद यह साफ किया कि 14 देशों पर टैरिफ थोपने के बावजूद भारत को इससे बाहर रखा गया है क्योंकि अमेरिका, भारत के साथ एक व्यापक व्यापार समझौते के बेहद करीब है।
व्हाइट हाउस से जारी एक बयान में ट्रंप ने कहा हमने यूनाइटेड किंगडम और चीन के साथ डील की है। भारत के साथ भी हम डील करने के बेहद करीब हैं।” यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका ने जापान साउथ कोरिया बांग्लादेश और थाईलैंड जैसे बड़े सहयोगियों को टैरिफ लेटर भेजकर 1 अगस्त से लागू होने वाले हाई टैरिफ की चेतावनी दी है।
भारत को क्यों दी जा रही है छूट
द 45th प्रेसिडेंट ऑफ अमेरिका’, जो अब दोबारा चुनावी मैदान में हैं, इस रणनीति के जरिए नई दिल्ली से व्यापारिक तालमेल को प्राथमिकता दे रहे हैं। लेकिन अमेरिका और भारत के बीच सबसे बड़ा मतभेद डेयरी और कृषि उत्पादों पर टैरिफ को लेकर है। अमेरिका चाहता है कि भारत इन क्षेत्रों में रियायत दे, जबकि भारत की दलील है कि इन क्षेत्रों में छूट देना देश की खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण आजीविका के लिए खतरनाक हो सकता है।
कृषि पर रियायत: भारत के लिए मुश्किल फैसला
भारत की $3.9 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में कृषि का सीधा योगदान भले ही 16% हो, लेकिन यह देश की लगभग आधी आबादी का पेट भरती है। अमेरिका से सस्ते कृषि और डेयरी उत्पादों के आयात से स्थानीय उत्पादकों को नुकसान हो सकता है, जिससे कीमतें गिर सकती हैं और राजनीतिक विवाद खड़ा हो सकता है।
ट्रंप की रणनीति और चुनावी राजनीति
ट्रंप की यह व्यापारिक चाल सिर्फ आर्थिक नहीं बल्कि राजनीतिक भी मानी जा रही है। वे 2024 की तरह 2028 के चुनावी अभियान के लिए अमेरिका फर्स्ट नीति को फिर से सामने लाने की कोशिश में हैं। भारत को टैरिफ से बाहर रखना एक तरफ जहां व्यापारिक संतुलन की दिशा है, वहीं दूसरी तरफ भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत बनाने का प्रयास भी है।
क्या जल्द होगी भारत-अमेरिका डील
सूत्रों की मानें तो भारत और अमेरिका के व्यापार वार्ताकार एक अंतरिम ट्रेड डील को अंतिम रूप देने की तैयारी में हैं, लेकिन यह तब तक संभव नहीं होगा जब तक डेयरी और कृषि जैसे मुद्दों पर सहमति नहीं बनती। नई दिल्ली ने स्पष्ट संकेत दिया है कि इन क्षेत्रों को किसी भी मुक्त व्यापार समझौते से बाहर रखा जाना चाहिए।
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