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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश: स्कूल, अस्पताल और रेलवे स्टेशन से हटाए जाएं आवारा कुत्ते, शेल्टर में होगी देखभाल
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों और नगर निकायों को निर्देश दिए — सार्वजनिक स्थानों से आवारा कुत्तों को तुरंत हटाकर नसबंदी और टीकाकरण के बाद शेल्टर होम में रखा जाए।
नई दिल्ली। देशभर में बढ़ती आवारा कुत्तों की घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। शुक्रवार को न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एन वी अंजारिया की तीन सदस्यीय पीठ ने आदेश दिया कि सभी राज्य सरकारें और नगर निगम अपने-अपने क्षेत्रों में मौजूद स्कूलों, अस्पतालों, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, बस स्टैंड, डिपो और रेलवे स्टेशनों से आवारा कुत्तों को तुरंत हटाएं और उन्हें नसबंदी व टीकाकरण के बाद निर्दिष्ट शेल्टर में स्थानांतरित करें।
“वापस उसी जगह न छोड़े जाएं”
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि “इन आवारा कुत्तों को दोबारा उसी स्थान पर नहीं छोड़ा जाएगा जहाँ से उन्हें पकड़ा गया था।” न्यायालय ने कहा कि ऐसा करने से निर्देशों का मूल उद्देश्य विफल हो जाएगा क्योंकि सार्वजनिक संस्थानों को इनसे मुक्त रखना जरूरी है।
जिम्मेदारी नगर निगमों पर
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इन कुत्तों को हटाने और पुनर्वास की जिम्मेदारी संबंधित नगर निकायों या स्थानीय प्रशासनिक संस्थाओं की होगी। अदालत ने राज्यों से आठ सप्ताह के भीतर पालन रिपोर्ट (Compliance Report) प्रस्तुत करने को कहा है।
राज्य सरकारों के लिए विस्तृत निर्देश
अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे दो सप्ताह के भीतर अपने क्षेत्र में आने वाले सभी सरकारी व निजी शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों की पहचान करें और वहां सुरक्षा दीवार, गेट और आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करें ताकि आवारा कुत्ते परिसर में प्रवेश न कर सकें।
प्रत्येक संस्था को एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने के लिए कहा गया है जो परिसर की साफ-सफाई और कुत्तों के प्रवेश पर निगरानी रखेगा। उस अधिकारी का नाम और संपर्क विवरण संस्थान के मुख्य द्वार पर स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा।
“तीन महीने में एक बार निरीक्षण”
अदालत ने यह भी कहा कि सभी स्थानीय निकाय और पंचायतें हर तीन महीने में ऐसे सभी स्थलों का नियमित निरीक्षण करें। यदि किसी परिसर में कुत्तों की मौजूदगी पाई जाती है तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

सड़क और हाईवे पर भी सख्त निर्देश
सिर्फ कुत्तों तक सीमित न रहते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य परिवहन विभागों, लोक निर्माण विभाग (PWD) और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को भी आदेश दिया कि वे सड़कों और हाईवे पर घूमने वाले मवेशियों और अन्य जानवरों को पहचानें और उन्हें तुरंत गौशाला या पशु शरण स्थलों में स्थानांतरित करें।
इन जानवरों को भोजन, पानी और पशु-चिकित्सा सुविधा दी जाएगी ताकि प्रिवेंशन ऑफ क्रूएल्टी टू एनिमल्स एक्ट और एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स 2023 का पूर्ण पालन हो सके।
“24×7 निगरानी और हेल्पलाइन अनिवार्य”
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया कि राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर 24×7 हाईवे पेट्रोल टीम बनाई जाए, जो स्थानीय पुलिस, पशु चिकित्सक और नगर निकायों के साथ समन्वय में रहे।
हर राजमार्ग और एक्सप्रेसवे पर हेल्पलाइन नंबरों के बोर्ड लगाए जाएंगे, जिनसे लोग तुरंत सूचना दे सकें यदि सड़क पर कोई पशु मौजूद हो या दुर्घटना घटे। ये हेल्पलाइन नंबर स्थानीय पुलिस कंट्रोल रूम और NHAI से रीयल-टाइम में जुड़े रहेंगे।
अफसरों की जवाबदेही तय
अदालत ने कहा कि यदि भविष्य में भी ऐसे मामले सामने आते हैं तो संबंधित मुख्य सचिव, NHAI चेयरपर्सन और सड़क परिवहन मंत्रालय को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा। कोर्ट ने चेतावनी दी कि किसी भी तरह की लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा।
“मानव और पशु दोनों के लिए सुरक्षित वातावरण जरूरी”
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर सामाजिक संगठनों और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। जहां एक वर्ग ने इसे “मानव सुरक्षा के लिए जरूरी कदम” बताया है, वहीं कुछ पशु प्रेमियों ने कहा कि “कुत्तों को बस हटाना समाधान नहीं है, उनके पुनर्वास और देखभाल पर भी समान ध्यान देना होगा।”
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार यह आदेश भारत में पशु प्रबंधन और सार्वजनिक सुरक्षा नीति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
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