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गंभीर चेतावनी: गांगुली नहीं, अब सुनील गावस्कर ने गांभीर-अगर्कर को दी कड़ी नसीहत
दक्षिण अफ्रीका से मिली हार ने जगाई चुनौतियाँ; टेस्ट टीम में पार्ट-टाइम ऑलराउंडर की जगह नहीं
कोलकाता के ईडन गार्डन्स में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मिली 30 रन की हार ने भारतीय टेस्ट टीम की सोच और चयन नीति पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। टीम इंडिया तीन दिनों में मैच हार गई, और इसी हार ने महान बल्लेबाज़ सुनील गावस्कर को भी चिंतित कर दिया है। गावस्कर ने अपने ताज़ा कॉलम में चयन समिति और टीम प्रबंधन, जिसमें हेड कोच गौतम गंभीर और मुख्य चयनकर्ता अजीत अगर्कर शामिल हैं, को सीधी चेतावनी दी है।
गावस्कर ने साफ कहा कि टेस्ट क्रिकेट में पार्ट-टाइम ऑलराउंडर्स नहीं, बल्कि विशेषज्ञ खिलाड़ियों की जरूरत होती है। उनका मानना है कि अगर चयनकर्ता अब भी घरेलू क्रिकेट के टॉप रन-स्कोरर खिलाड़ियों को नजरअंदाज करते रहे, तो भारत एक बार फिर वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल से बाहर हो सकता है।
गावस्कर का करारा संदेश: टेस्ट क्रिकेट अहंकार से नहीं, धैर्य से खेला जाता है
गावस्कर ने लिखा,
“टेस्ट बल्लेबाजी धैर्य मांगती है। आपको अपनी ईगो को ड्रेसिंग रूम में ही छोड़ना होता है। कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी स्पिन और लो बाउंस वाली घरेलू पिचों पर अभ्यास नहीं करते। इसलिए जब गेंद घूमती है तो वे संघर्ष करते हुए दिखते हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि घरेलू क्रिकेट में ढेरों रन बनाने वाले बल्लेबाज महीनों से नजरअंदाज हो रहे हैं, जबकि टीम मैनेजमेंट सीमित-ओवर वाले ऑलराउंडर्स को टेस्ट क्रिकेट में जगह दे रहा है, जो इस फॉर्मेट की मांगों को पूरा नहीं करते।
इशारों-इशारों में नितीश रेड्डी पर भी सवाल
हालांकि गावस्कर ने किसी खिलाड़ी का नाम सीधे नहीं लिया, लेकिन टेस्ट टीम में लगातार चुने जा रहे नितीश कुमार रेड्डी पर उनका तंज साफ नजर आया। रेड्डी वेस्टइंडीज सीरीज़ में मुश्किल से 4 ओवर फेंक पाए थे, जबकि बल्लेबाज़ी में भी उनका योगदान सीमित रहा।
गावस्कर ने लिखा:
“एक सही टेस्ट ऑलराउंडर वही है जो केवल बल्लेबाज़ या सिर्फ गेंदबाज़ के तौर पर भी टीम में जगह बना सके। जो खिलाड़ी सिर्फ 5–6 ओवर डाल सके या 20–25 रन कर दे, वह टेस्ट क्रिकेट के लिए पर्याप्त नहीं।”
गिल की फिटनेस समस्या से चयन नीति पर और सवाल
कोलकाता टेस्ट में गर्दन की चोट झेल रहे कप्तान शुभमन गिल अभी भी पूरी तरह फिट नहीं हैं, लेकिन भारतीय टीम ने उनके स्थान पर किसी नए बल्लेबाज़ को नहीं बुलाया। सर्फराज खान, करुण नायर, ईश्वरन, सभी को नजरअंदाज कर दिया गया।

पीटीआई रिपोर्ट के अनुसार, चयनकर्ता इन घरेलू दिग्गजों पर भरोसा करते ही नहीं, और यही कारण है कि आधा-फिट गिल भी उन्हें पूरी तरह फिट घरेलू बल्लेबाज़ों से ज्यादा बेहतर विकल्प लगते हैं।
क्या भारत फिर WTC फाइनल से बाहर होगा?
गावस्कर ने चेताया:
“अगर चयनकर्ता टेस्ट क्रिकेट और सीमित-ओवरों के फर्क को नहीं समझे, और घरेलू खिलाड़ियों को मौका नहीं दिया, तो भारत अगले साल भी WTC फाइनल से बाहर रह सकता है।”
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि दक्षिण अफ्रीका सीरीज के बाद भारत को एक साल तक एक भी घरेलू टेस्ट नहीं खेलना है, इसलिए अभी निर्णायक कदम उठाना अनिवार्य है।
फैसला अब गांगुली या द्रविड़ जैसा कोई नहीं, खुद गंभीर को लेना होगा
गौतम गंभीर, जो आक्रामक और बेबाक फैसलों के लिए जाने जाते हैं, अब भारतीय टेस्ट टीम के आगे की दिशा तय करने वाले व्यक्ति हैं। टीम का भविष्य इस पर निर्भर करेगा कि वे गावस्कर जैसी महान हस्तियों की सलाह को कैसे लेते हैं।
