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जब जडेजा-सुंदर नहीं माने स्टोक्स की हैंडशेक ऑफर अंग्रेज कप्तान का गुस्सा झलका कैमरे पर
दूसरी तरफ बल्लेबाज़ शतक के करीब थे, स्टोक्स को उम्मीद थी ड्रॉ पर सहमति होगी, लेकिन भारतीय बल्लेबाज़ों ने इंग्लिश संस्कृति को दिखाई दुविधा

इंग्लैंड के टेस्ट कप्तान बेन स्टोक्स एक बार फिर चर्चा में हैं, लेकिन इस बार उनकी कप्तानी नहीं, बल्कि उनका गुस्सा सुर्खियों में है। मैनचेस्टर टेस्ट के आखिरी दिन जब रविंद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर अपनी सेंचुरी के करीब पहुंच गए थे, तब स्टोक्स ने खेल खत्म करने का प्रस्ताव दिया। लेकिन जब भारतीय बल्लेबाज़ों ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया, तो द थ्री लायंस के लीडर कैमरे पर गुस्से में नजर आए।
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संजय मांजरेकर ने इस घटनाक्रम पर अपने कॉलम में लिखा कि भारत की स्थिति में सभी क्रिकेट राष्ट्र वही करते जो जडेजा और सुंदर ने किया। उन्होंने लिखा, “स्टोक्स का गुस्सा असल में उनकी अपनी टीम की असफलता पर था, जो उन्होंने विरोधी पर जाहिर किया।”
दरअसल, जब टेस्ट के आखिरी दिन केएल राहुल और शुभमन गिल का विकेट गिरा तो इंग्लैंड जीत की ओर बढ़ रहा था। लेकिन भारतीय मध्यक्रम के दो बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों ने 218 मिनट की साझेदारी कर मुकाबला ड्रॉ की ओर मोड़ दिया। इंग्लैंड की स्पिन उम्मीदें भी लियम डॉसन से पूरी नहीं हुईं, और अंत में बेन स्टोक्स का धैर्य जवाब दे गया।
स्टोक्स ने मैदान पर आकर हैंडशेक ऑफर किया, लेकिन भारतीय बल्लेबाज़ों ने खेल जारी रखने का फैसला किया क्योंकि दोनों अपने-अपने व्यक्तिगत माइलस्टोन के बेहद करीब थे। खासकर वॉशिंगटन सुंदर, जो अपने टेस्ट करियर का पहला शतक जड़ने के करीब थे।

स्टोक्स का मानना था कि जब नतीजा तय हो गया हो और ड्रॉ ही संभावित हो, तो खेल खत्म कर देना चाहिए—यह इंग्लैंड की क्रिकेट संस्कृति का हिस्सा है। जोनाथन ट्रॉट, जो उस समय कमेंट्री में थे, ने भी इसी बात का समर्थन किया।
लेकिन सवाल ये है कि क्या भारत या अन्य क्रिकेट देश इस विचारधारा से सहमत हैं? मांजरेकर का जवाब था—नहीं। उन्होंने लिखा, “स्टोक्स को ये समझना होगा कि भारत में क्रिकेट मील के पत्थरों के लिए भी खेला जाता है, और हर शतक खिलाड़ी के करियर का अहम पड़ाव होता है।”
यह बात भी गौरतलब है कि स्टोक्स खुद भारत में IPL खेल चुके हैं, यहां की मानसिकता को अच्छे से जानते हैं। फिर भी उनसे ऐसी प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं थी। ये कहीं ना कहीं उनकी खुद की टीम से निराशा थी, जो बाहर निकलकर भारतीय खिलाड़ियों पर निकल गई।
भारतीय बल्लेबाज़ों की मानसिकता, खासकर युवा IPL सितारों की, आज इस मैच में दिखी। 20-22 साल के खिलाड़ी, जो टी20 क्रिकेट में नाम कमा चुके हैं, टेस्ट क्रिकेट में 80 ओवर डॉट खेलकर मैच बचाते हैं—यह असाधारण है।
संजय मांजरेकर ने लिखा, “जो युवा खिलाड़ी आमतौर पर छोटे फॉर्मेट से नाम कमाने का रास्ता अपनाते हैं, वे अब टेस्ट में भी पूरी जान लगा रहे हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि इस टीम ने कमज़ोर चयन और रणनीति के बावजूद प्रदर्शन कर दिखाया है, और यही इस टीम को खास बनाता है।
इस सीरीज़ के परिणाम जो भी हों, ये युवा भारतीय बल्लेबाज़ पहले से ही हमारे लिए हीरो बन चुके हैं।