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“25 जून संविधान हत्या दिवस है” — शाइना एन.सी. का कांग्रेस पर तीखा हमला, आपातकाल को बताया लोकतंत्र पर कलंक

शिवसेना नेता शाइना एन.सी. ने आपातकाल की 50वीं बरसी पर कांग्रेस को घेरा, कहा – “1 लाख से अधिक विपक्षी नेताओं को जेल में ठूंसा गया, आज हमें पीएम मोदी ने आज़ादी का असली अर्थ समझाया”

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शिवसेना नेता शाइना एन.सी. का आपातकाल पर बयान, कांग्रेस पर बोला तीखा हमला

मुंबई, 25 जून 2025:
आज से ठीक 50 वर्ष पहले, 25 जून 1975 को भारत में एक ऐसा निर्णय लिया गया था जिसने लोकतंत्र की आत्मा को झकझोर दिया। इसी दिन देश में आपातकाल लागू किया गया था—एक ऐसा काला अध्याय जिसे आज भी लोकतंत्रप्रेमी भूले नहीं हैं। इस अवसर पर शिवसेना की नेता शाइना एन.सी. ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ करार दिया है।

“बिना बहस, बिना चेतावनी… देश की आवाज़ कुचल दी गई” — शाइना एन.सी.
शाइना एन.सी. ने कहा कि यह वही दिन था जब कांग्रेस पार्टी ने लोकतंत्र को कुचलने का फैसला लिया। न कोई संसद में बहस, न जनता से राय—सीधे 1 लाख से अधिक विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया। न्यायपालिका को दबा दिया गया और मीडिया की आवाज़ को बंद कर दिया गया।

“हमें गर्व है कि पीएम मोदी ने भारत को फिर से लोकतंत्र की राह पर लाया”
उन्होंने आगे कहा, “हमें गर्व है कि आज देश का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे जनप्रिय नेता के हाथ में है, जिन्होंने दिखा दिया है कि भारत में तानाशाही नहीं चल सकती। उन्होंने न सिर्फ हमें हमारा संविधानिक गौरव लौटाया बल्कि विश्व स्तर पर भारत की लोकतांत्रिक पहचान को और सशक्त किया है।”

कांग्रेस पर फिर उठे सवाल, विपक्षी खेमे में हलचल
शाइना की इस टिप्पणी के बाद राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर आपातकाल की चर्चा गर्म हो गई है। कांग्रेस इस मुद्दे पर पहले भी सवालों के घेरे में रही है, लेकिन 50वीं बरसी के मौके पर यह मुद्दा और भी संवेदनशील बन गया है। विपक्षी दलों में भी इस बयान के बाद प्रतिक्रिया की संभावना जताई जा रही है।

“25 जून हमें याद दिलाता है कि संविधान की रक्षा सिर्फ किताबों से नहीं होती, बल्कि चेतन नागरिकों और जागरूक नेतृत्व से होती है” — शिवसेना नेता
शाइना एन.सी. के इस बयान को लेकर राजनीतिक विश्लेषक भी कह रहे हैं कि यह 2024 के बाद बदले हुए राजनीतिक परिदृश्य का हिस्सा है, जहां राष्ट्रवाद और लोकतंत्र के बीच संतुलन की मांग और ज़्यादा तीव्र हो गई है।

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