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Defence News

राफेल को मार गिराने का पाक दावा झूठा निकला ऑपरेशन सिंदूर पर डसॉल्ट CEO ने तोड़ी चुप्पी

डसॉल्ट एविएशन के CEO एरिक ट्रैपियर का बड़ा खुलासा—“एक ही राफेल गिरा, वो भी तकनीकी खराबी से, पाकिस्तानी फायरिंग से नहीं”

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Dassault CEO Eric Trappier Denies Pakistan Shot Down Rafale Jet in Op Sindoor | Dainik Diary
Dassault CEO Eric Trappier ने ऑपरेशन सिंदूर में राफेल के नुकसान पर किया बड़ा खुलासा – पाक का दावा झूठा निकला

भारत और पाकिस्तान के बीच हुए चर्चित ऑपरेशन सिंदूर को लेकर अब एक नई सच्चाई सामने आई है। Dassault Aviation के CEO Eric Trappier ने फ्रेंच डिफेंस आउटलेट Avion Chasse को दिए गए इंटरव्यू में साफ किया है कि पाकिस्तान वायुसेना द्वारा किए गए “तीन राफेल गिराने” के दावे पूरी तरह से झूठे हैं।

ट्रैपियर ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान सिर्फ एक राफेल फाइटर जेट क्रैश हुआ था और वो भी किसी तकनीकी खराबी के कारण, न कि दुश्मन की गोलीबारी से। उन्होंने कहा कि राफेल में लगे उन्नत SPECTRA इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम में किसी भी प्रकार के hostile engagement का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।

भारत का पक्ष पूरी तरह सही निकला फ्रांस की पुष्टि

Dassault CEO ने जोर देकर कहा कि सभी फ्लाइट लॉग्स और डेटा रिकॉर्ड्स भारत के आधिकारिक बयानों से मेल खाते हैं। यह दावा उस वक्त आया है जब पाकिस्तान की मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म्स पर एक अभियान चलाया जा रहा था जिसमें कहा गया कि उन्होंने तीन राफेल को मार गिराया।

फ्रांस के रक्षा मंत्रालय ने भी इस दुष्प्रचार को एक “रणनीतिक हमले” की संज्ञा दी है जो फ्रांस की डिफेंस क्रेडिबिलिटी और रणनीतिक स्वायत्तता को कमजोर करने के उद्देश्य से किया गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस फर्जी प्रचार के पीछे चीनी लॉबीज़ का हाथ हो सकता है जो अपने J-10C फाइटर जेट्स को प्रमोट करना चाहती हैं।

पाकिस्तान की साख पर सवाल, भारत की स्थिति मज़बूत

इस पूरे घटनाक्रम ने Pakistan Air Force की विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। जहां एक तरफ पाकिस्तान का दावा मीडिया में उछलता रहा, वहीं फ्रांस की आधिकारिक पुष्टि ने भारत के Indian Air Force को वैश्विक स्तर पर मजबूती दी है।

ट्रैपियर के अनुसार, “अगर राफेल पर हमला होता तो उसके सेंसर अलर्ट जरूर करते। लेकिन स्पेक्ट्रा सिस्टम में ऐसा कुछ भी रिकॉर्ड नहीं हुआ।”

राफेल बनाम J-10C: एक रणनीतिक प्रतिस्पर्धा

विशेषज्ञों का मानना है कि इस अफवाहबाजी का एक बड़ा मकसद फ्रांस के राफेल विमानों की छवि खराब करना और चीनी J-10C को बेहतर विकल्प के तौर पर प्रस्तुत करना था। लेकिन फ्रांस की सख्त प्रतिक्रिया और डसॉल्ट की पारदर्शिता ने यह कोशिश विफल कर दी।

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