Politics
आतंकवाद पर दोहरे मापदंड अब नहीं चलेंगे: ब्राज़ील में PM मोदी का कड़ा संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान और चीन को अप्रत्यक्ष निशाने पर लेते हुए कहा – “आतंकवाद पर ज़ीरो टॉलरेंस और ज़ीरो डबल स्टैंडर्ड”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ब्राज़ील दौरे के दौरान आतंकवाद को लेकर एक बार फिर स्पष्ट और कठोर रुख अपनाते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कोई दोहरा मापदंड स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह बयान उन्होंने ब्राज़ील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान दिया।
हालांकि मोदी ने किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा स्पष्ट रूप से पाकिस्तान और चीन की ओर था — जो अक्सर भारत द्वारा आतंकवाद के समर्थन के लिए घिरे रहते हैं।
“हम आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस और जीरो डबल स्टैंडर्ड के सिद्धांत में विश्वास करते हैं,” – प्रधानमंत्री मोदी
पहलगाम हमले पर ब्राज़ील के समर्थन के लिए आभार
प्रधानमंत्री मोदी ने अप्रैल 2025 में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद ब्राज़ील द्वारा दिए गए समर्थन के लिए विशेष आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भारत और ब्राज़ील दोनों आतंकवाद और उसके समर्थकों का विरोध करते हैं, और यह साझेदारी इस वैश्विक खतरे से निपटने में अहम भूमिका निभाएगी।
व्यापार से लेकर तकनीक तक हुई गहन बातचीत
ब्राज़ील की राजकीय यात्रा के दौरान दोनों नेताओं ने कई अहम मुद्दों पर चर्चा की, जिनमें शामिल थे:
- व्यापार और निवेश
- रक्षा और सुरक्षा सहयोग
- स्वास्थ्य और फार्मास्यूटिकल्स
- स्पेस और रिन्यूएबल एनर्जी
- फूड और एनर्जी सिक्योरिटी
- डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और एआई
भारत और ब्राज़ील ने मिलकर अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को 20 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य भी तय किया।
नई तकनीक, खनिज और सहयोग के नए रास्ते खुलेंगे
दोनों देशों ने क्रिटिकल मिनरल्स, नई उभरती तकनीकों, सुपरकंप्यूटिंग, डिजिटल मोबिलिटी और एआई के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की दिशा में सहमति जताई। इस दौरान कई द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर भी हुए, जो इस रिश्ते को और मजबूती देंगे।
मोदी को मिला ब्राज़ील में भव्य स्वागत
PM मोदी का Alvorada Palace में बेहद भव्य तरीके से स्वागत किया गया, जहां 114 घोड़ों की परेड और भारतीय भजन प्रस्तुतियों ने स्वागत समारोह को खास बना दिया।
यह दौरा BRICS शिखर सम्मेलन के तुरंत बाद हुआ है, और इससे भारत-ब्राज़ील संबंधों में एक नई गति आने की उम्मीद की जा रही है।
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राहुल गांधी का आरोप बिहार में भी वोट की चोरी हो रही है जैसे महाराष्ट्र में की गई थी
पटना में INDIA गठबंधन के प्रदर्शन में बोले राहुल – “चुनाव आयोग BJP और RSS का एजेंट बन गया है, गरीबों के हक पर हो रहा है हमला”

राहुल गांधी ने एक बार फिर से केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर करारा हमला बोला है। बिहार बंद के दौरान पटना के फुलवारी शरीफ में आयोजित INDIA गठबंधन के चक्काजाम प्रदर्शन में राहुल ने कहा कि “जैसे महाराष्ट्र में हमारा चुनाव चुराया गया, वैसा ही षड्यंत्र अब बिहार में रचा जा रहा है।”
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने दावा किया कि चुनाव आयोग का रवैया पक्षपातपूर्ण है और वह BJP व RSS के इशारे पर काम कर रहा है। उन्होंने मंच से जनता से कहा, “यह बिहार है, यहां के लोग वोट और हक छिनने नहीं देंगे।”
महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी वोटरों की हेराफेरी
राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में INDIA गठबंधन की हार के बाद जब जांच की गई, तो पाया गया कि एक करोड़ फर्जी वोट जुड़ चुके थे।
उन्होंने कहा – “हमने चुनाव आयोग से वोटर लिस्ट मांगी, जो हमें कानून के तहत मिलनी चाहिए थी, लेकिन आज तक नहीं दी गई। क्यों? क्योंकि सच्चाई छिपाई जा रही है।”
अब वही स्थिति बिहार में देखने को मिल रही है। एक ही दिन में 4-5 हज़ार वोट जुड़ना, गरीबों के नाम कटना – ये सब चोरी की सुनियोजित तैयारी है, जिसका खुलासा राहुल ने अपने भाषण में किया।
चुनाव आयोग अब एजेंट की तरह बर्ताव कर रहा है
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा,
“पहले चुनाव आयुक्त का चयन सुप्रीम कोर्ट और सभी पार्टियों की सहमति से होता था। अब भाजपा खुद चुनाव आयुक्त चुनती है।”
उन्होंने चेतावनी दी कि
“आप संविधान की रक्षा करने के लिए शपथ लेते हैं, लेकिन जो लोग उसका उल्लंघन कर रहे हैं, कानून उन्हें छोड़ेगा नहीं।”
उनके साथ मंच पर तेजस्वी यादव और दीपंकर भट्टाचार्य जैसे नेता भी मौजूद थे जिन्होंने भी चुनावी अनियमितताओं को लेकर सवाल उठाए।
INDIA गठबंधन बिहार के साथ है
राहुल गांधी ने भरोसा दिलाया कि INDIA गठबंधन बिहार की जनता के साथ खड़ा है और किसी भी कीमत पर वोट की चोरी नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने जनता से जागरूक रहने और अपने वोट के अधिकार को लेकर सजग रहने की अपील की।
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बिक्रम सिंह मजीठिया को झटका, disproportionate assets केस में अब 29 जुलाई को होगी सुनवाई
अवैध संपत्ति मामले में मजीठिया की गिरफ्तारी को बताया ‘राजनीतिक साजिश’, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने दी संशोधित याचिका दाखिल करने की मोहलत

शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रहीं। 540 करोड़ रुपये के कथित ड्रग मनी से जुड़ी disproportionate assets (DA) केस में उनकी गिरफ्तारी को लेकर दाखिल याचिका पर अब 29 जुलाई को सुनवाई होगी।
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को मामले की सुनवाई को स्थगित करते हुए मजीठिया के वकीलों को संशोधित याचिका दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया। अदालत ने कहा कि अगली सुनवाई अब 29 जुलाई को होगी।
क्या है पूरा मामला?
पंजाब विजिलेंस ब्यूरो (Punjab VB) ने 25 जून को बिक्रम मजीठिया को गिरफ्तार किया था। VB का दावा है कि प्रारंभिक जांच में मजीठिया द्वारा 540 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति इकट्ठा करने और मनी लॉन्ड्रिंग का पता चला है।
VB के अनुसार, यह पैसा ड्रग ट्रैफिकिंग से अर्जित किया गया था और मजीठिया ने विभिन्न माध्यमों से इसे सफेद करने में मदद की।
“राजनीतिक प्रतिशोध है यह कार्रवाई” – मजीठिया का पक्ष
1 जुलाई को दाखिल याचिका में मजीठिया ने अपनी गिरफ्तारी को “गैरकानूनी और मनमानी” बताते हुए आरोप लगाया कि यह मामला एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा है।
याचिका में कहा गया:
“FIR पूरी तरह से अवैध है और गिरफ्तारी कानूनी प्रक्रिया का घोर उल्लंघन है। यह पूरी कार्रवाई मुझे बदनाम करने और प्रताड़ित करने के उद्देश्य से की गई है, क्योंकि मैं मौजूदा सरकार का मुखर आलोचक हूं।”
कब-कब हुआ रिमांड और न्यायिक हिरासत का आदेश
- 26 जून: मजीठिया को 7 दिन के विजिलेंस रिमांड पर भेजा गया
- 2 जुलाई: रिमांड 4 दिन और बढ़ाया गया
- 6 जुलाई: उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया
मजीठिया की ओर से कोर्ट में FIR रद्द करने, रिमांड आदेश को अवैध ठहराने और भविष्य में इस प्रक्रिया के दुरुपयोग से रोकने की मांग की गई है।
पिछले मामलों से भी जुड़ता है यह केस
मजीठिया पहले भी 2021 के NDPS (नारकोटिक्स) केस में जेल जा चुके हैं। यह केस 2018 में एसटीएफ द्वारा तैयार रिपोर्ट के आधार पर दर्ज किया गया था। वह 5 महीने तक पटियाला जेल में बंद रहे और अगस्त 2022 में हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद बाहर आए।
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क्या राष्ट्रपति शी जिनपिंग जल्द लेने वाले हैं रिटायरमेंट? सत्ता के विकेंद्रीकरण से अटकलें तेज
13 साल से चीन की सत्ता संभाल रहे शी जिनपिंग ने पार्टी की संस्थाओं में अधिकार बांटने की पहल की, राजनीतिक हलकों में उठे नेतृत्व परिवर्तन के संकेत

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को लेकर एक बार फिर राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। हाल ही में चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) की एक अहम बैठक में उन्होंने पार्टी की संस्थाओं की भूमिका और संचालन को “मानकीकृत” करने वाले नए नियमों को पेश किया।
हालांकि यह एक आंतरिक प्रक्रिया मानी जा रही थी, लेकिन कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम राष्ट्रपति शी की ओर से सत्ता के सुचारू हस्तांतरण की तैयारी हो सकती है।
पार्टी संस्थाओं में बदलाव या सत्ता हस्तांतरण की भूमिका?
30 जून को आयोजित इस बैठक की अध्यक्षता स्वयं शी जिनपिंग ने की थी, जिसमें 24 सदस्यीय CPC पोलित ब्यूरो ने नए विनियमों पर चर्चा की। इन नियमों के तहत पार्टी संस्थाओं की संरचना, कार्य और संचालन प्रक्रिया को स्पष्ट किया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ये नियम शी जिनपिंग के उत्तराधिकार की रणनीतिक तैयारी का हिस्सा हो सकते हैं। South China Morning Post से बात करते हुए एक विश्लेषक ने कहा:
“यह वक्त सत्ता हस्तांतरण की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है, और यह प्रक्रिया एक स्थिर संरचना की ओर इशारा करती है।”
शी जिनपिंग की गैरमौजूदगी ने और बढ़ाई अटकलें
शी जिनपिंग 21 मई से 5 जून 2025 तक सार्वजनिक मंचों से अनुपस्थित रहे, और फिर उन्होंने BRICS 2025 शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा नहीं लिया। इससे उनकी सेहत या संभावित रिटायरमेंट को लेकर अटकलें और तेज हो गईं।
University of California San Diego के चीन मामलों के विशेषज्ञ Victor Shih का कहना है:
“ऐसा लगता है कि शी अब रोज़मर्रा के प्रशासनिक मामलों से दूरी बना सकते हैं और नीति निर्धारण की बड़ी जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। इसके लिए एक स्पष्ट निगरानी तंत्र की आवश्यकता होगी।”
Mao Zedong के बाद सबसे ताकतवर नेता
शी जिनपिंग को माओ ज़ेडॉन्ग के बाद चीन का सबसे शक्तिशाली नेता माना जाता है। 2012 से सत्ता में हैं और 2022 में उन्होंने तीसरी बार राष्ट्रपति का कार्यकाल शुरू किया।
लेकिन अब जब वे नए नेतृत्व की ओर रास्ता खोलते दिख रहे हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या चीन वास्तव में अगले कुछ वर्षों में नेतृत्व परिवर्तन की ओर बढ़ रहा है।
अमेरिका से व्यापार युद्ध के बीच सामने आया यह कदम
शी जिनपिंग का यह ‘सत्ता का वितरण’ उस समय सामने आया है जब डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर चीन पर अधिक शुल्क लगाने की चेतावनी दी है। ऐसे में यह बदलाव क्या सिर्फ आंतरिक सुधार है या वैश्विक दबावों से निपटने की रणनीति — यह फिलहाल एक रहस्य बना हुआ है।
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