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‘10 रन आ गए थे रोहित भैया’—19 नवंबर आज भी क्यों चुभता है? दो साल, दो ICC ट्रॉफी बाद भी दर्द जस का तस
2023 वर्ल्ड कप फाइनल की हार को 730 दिन बीत गए, भारत ने दो ICC खिताब जीत लिए—फिर भी 19 नवंबर का जख्म अब तक भरा क्यों नहीं?
19 नवंबर… यह तारीख भारतीय क्रिकेट फैंस के दिल में आज भी वही टीस छोड़ती है जो दो साल पहले छोड़ी थी। विडंबना देखिए—इन दो सालों में टीम इंडिया ने T20 वर्ल्ड कप और चैंपियंस ट्रॉफी दोनों जीत लीं, रोहित शर्मा और विराट कोहली ने साथ में ट्रॉफी उठाने का सपना पूरा कर लिया, राहुल द्रविड़ विश्व विजेता कोच बनकर अपने 2007 के दर्द को धो चुके हैं—फिर भी 19 नवंबर 2023 की हार अब तक भूली क्यों नहीं जाती?
दरअसल, यह सिर्फ हार नहीं थी—यह एक ऐसे सफर का अंत था जो परफेक्ट लग रहा था। दस मैचों तक भारत ने हर टीम को ध्वस्त किया था। हर गेंद, हर ओवर, हर रात—भारत अजेय लग रहा था। फैंस को नहीं, पूरी दुनिया को यकीन था कि होम वर्ल्ड कप 12 साल बाद वापस घर आएगा। रात से पहले कलपट गया था—पटाखे, नीली जर्सियों से भरी सड़के, इंडिया गेट की तस्वीरें, कोहली-रोहित का भावुक पल—सब तैयार था।
लेकिन 19 नवंबर भारत का दिन था ही नहीं।
हर दिल टूटा, लेकिन सबसे ज्यादा टूटे रोहित
उस रात की तस्वीरे आज भी सोशल मीडिया पर घूमती दिख जाती हैं—
- केएल राहुल घुटनों पर गिर पड़े
- जसप्रीत बुमराह ने रोते हुए मोहम्मद सिराज को पकड़ा
- कोहली ने कैप नीचे करके चेहरा छुपाया
- और सबसे दर्दनाक… लाल आंखें लिए रोहित शर्मा, बिना किसी से नज़र मिलाए ड्रेसिंग रूम की तरफ जाते हुए
उस रात grown men रोए थे—पूरा देश थम गया था।
दो ICC ट्रॉफी आईं, पर यह दर्द क्यों नहीं गया?
कई लोग पूछते हैं—अगर 9 महीनों में दो ICC खिताब जीत लिए, तो फिर यह पुराना घाव क्यों नहीं भरता?
क्योंकि 2023 सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं था—वह दो महीनों की जादुई कहानी थी।
- कोहली के 700+ रन
- सचिन का रिकॉर्ड टूटना
- शमी के 7 विकेट
- फील्डिंग मेडल नाइट्स
- न्यूज़ीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल जीत
- भारत की अपराजेय छवि
हर मैच एक त्योहार था।
हर जीत एक जश्न थी।
सपना सिर्फ ट्रॉफी का नहीं था—उस इमोशन का था जो देश को जोड़ देता है।
इसलिए, जब फाइनल में सब कुछ बिखर गया… लगा जैसे कहानी का अंत लिखा ही न गया।
‘10 रन आ गए थे रोहित भैया’ – एक मीम नहीं, एक मलाल
सोशल मीडिया पर आज भी रील्स आती हैं—
“10 runs aa gaye the Rohit bhai…”
“There will never be another October like 2023”
यह लाइनें सिर्फ मीम नहीं हैं—वे उस अपूर्ण सपने की याद दिलाती हैं जो देश ने रोहित की आंखों में देखा था।

2003 vs 2023—कौन सी हार बड़ी थी?
2003 की हार दर्दनाक थी, पर स्वीकार्य भी।
क्योंकि ऑस्ट्रेलिया उस समय दुनिया की सबसे मजबूत टीम थी।
लेकिन 2023 में?
- ऑस्ट्रेलिया पहले दो मैच हार चुका था
- अफगानिस्तान के खिलाफ लगभग बाहर हो चुका था
- भारत 10 में 10 मैच जीत चुका था
और इसी वजह से यह हार और बड़ी, और चुभने वाली बन गई।
क्यों 2023 की कहानी कभी नहीं मिटेगी?
क्योंकि वह सिर्फ क्रिकेट नहीं था—वह देश की धड़कन था।
क्योंकि वह सिर्फ रन, विकेट या ट्रॉफी नहीं था—वह उम्मीद, जुनून और एक भावनात्मक सफर था।
और क्योंकि ऐसा सफर हर पीढ़ी को सिर्फ एक बार मिलता है।
इसलिए 19 नवंबर आज भी दर्द देता है।
और शायद हमेशा देगा।
पर यही तो खेल की खूबसूरती है—हर चोट एक नई जीत का रास्ता बनाती है।
भारत 2023 वर्ल्ड कप नहीं जीत पाया—
लेकिन उन दो महीनों की यादें?
वे हमेशा नीले रंग में चमकती रहेंगी—थोड़ी मुस्कान, थोड़ी चुभन छोड़ते हुए।
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