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मुंबई में 3 घंटे तक चला खौफनाक ड्रामा: 17 बच्चों को बंधक बनाकर ₹2 करोड़ की मांग करने वाला रोहित आर्या ढेर

मुंबई के पवई इलाके में गुरुवार को 17 बच्चों और दो बड़ों को बंधक बनाकर ₹2 करोड़ की मांग करने वाले व्यक्ति रोहित आर्या की पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई — जानिए मिनट-दर-मिनट क्या हुआ।

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मुंबई पवई के RA स्टूडियो से 17 बच्चों को बचाती पुलिस — 3 घंटे के रोमांचक ऑपरेशन ने टाली बड़ी त्रासदी।
मुंबई पवई के RA स्टूडियो से 17 बच्चों को बचाती पुलिस — 3 घंटे के रोमांचक ऑपरेशन ने टाली बड़ी त्रासदी।

मुंबई गुरुवार दोपहर एक ऐसे दिल दहला देने वाले घटनाक्रम का गवाह बना जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। पवई के महावीर क्लासिक बिल्डिंग स्थित RA स्टूडियो में एक 50 वर्षीय व्यक्ति रोहित आर्या ने 17 बच्चों और दो वयस्कों को करीब तीन घंटे तक बंधक बनाए रखा। अंत में, मुंबई पुलिस की त्वरित कार्रवाई में सभी बच्चों को सुरक्षित बचा लिया गया जबकि आर्या की मौत गोली लगने से हो गई।

कैसे शुरू हुआ यह खतरनाक खेल

पुलिस के अनुसार, दोपहर करीब 1.30 बजे पवई पुलिस स्टेशन को सूचना मिली कि RA स्टूडियो में कुछ बच्चों को बंधक बना लिया गया है।
जांच में पता चला कि रोहित आर्या, जो पुणे का रहने वाला था, ने महज़ चार दिन पहले यह स्टूडियो किराए पर लिया था। उसने झूठ बोला कि वह एक वेब सीरीज़ के लिए ऑडिशन करवा रहा है और 10 से 15 वर्ष के बच्चों को बुलाया था।

मुंबई पवई के RA स्टूडियो से 17 बच्चों को बचाती पुलिस — 3 घंटे के रोमांचक ऑपरेशन ने टाली बड़ी त्रासदी।


जब बच्चों के माता-पिता दोपहर 1 बजे तक बाहर इंतजार करते रहे और कोई बच्चा बाहर नहीं आया, तो शक गहराने लगा। पड़ोसी बिल्डिंग के लोगों ने जब बच्चों को खिड़की से रोते और मदद मांगते देखा, तो तुरंत पुलिस को सूचना दी।

₹2 करोड़ के ‘सरकारी बकाया’ की मांग

करीब 2.15 बजे रोहित आर्या ने एक वीडियो जारी किया जिसमें उसने कहा कि वह किसी भी तरह का आतंकवादी नहीं है। उसने दावा किया कि महाराष्ट्र शिक्षा विभाग ने उसके बनाए ‘माझी शाला, सुंदर शाला’ नामक सरकारी अभियान के तहत बनाए शॉर्ट फिल्मों के ₹2 करोड़ नहीं दिए।
वीडियो में वह बेहद शांत आवाज़ में कहता है —

और भी पढ़ें : ‘₹2 करोड़ के बकाया’ और ‘Swachhata Monitor’ प्रोजेक्ट की पूरी कहानी: कौन था मुंबई होस्टेज कांड का आरोपी रोहित आर्या?
“मैं आत्महत्या नहीं करना चाहता था, इसलिए मैंने यह रास्ता चुना है ताकि मुझे जवाब मिले।”

उसने धमकी दी कि यदि पुलिस अंदर घुसी तो वह स्प्रे और एयरगन से हमला करेगा और जगह को जला देगा।

मिनट-दर-मिनट क्या हुआ

1.30 बजे: पवई पुलिस को RA स्टूडियो में बच्चों के बंधक बनाए जाने की सूचना मिली।
1.45 बजे: क्विक रिस्पॉन्स टीम (QRT), बम स्क्वॉड और फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची; बातचीत शुरू हुई।
2.15 बजे: आर्या ने वीडियो जारी कर ₹2 करोड़ की मांग दोहराई।
2.45 बजे: खिड़कियों से बच्चों को रोते देखा गया; उसने surrender से इनकार किया।
3.15 बजे: पुलिस टीम बिल्डिंग की डक्ट लाइन से ऊपर चढ़कर पहुंची; एक टीम ने ग्लास वॉल काटी, दूसरी ने बाथरूम वेंट से एंट्री की।
4.30 बजे: आर्या ने अंतिम बार आत्मसमर्पण से इनकार किया।
4.45 बजे: पुलिस ने एक गोली चलाई, जो उसकी छाती में लगी।
5.00 बजे: सभी बच्चे सुरक्षित निकाले गए और आर्या को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।

“हर सेकंड कीमती था” — पुलिस अधिकारी

ऑपरेशन में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “यह बेहद तनावपूर्ण स्थिति थी। हमने लगातार बातचीत के ज़रिए समय खरीदने की कोशिश की, ताकि बच्चों को बिना नुकसान पहुंचाए बचाया जा सके। हर सेकंड कीमती था।”

एंटी-टेरर सेल के अधिकारी अमोल वाघमारे ने वह गोली चलाई जिससे रोहित आर्या घायल हुआ। बाद में उसकी मौत हिंदू हृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे अस्पताल में हुई।

मुंबई पवई के RA स्टूडियो से 17 बच्चों को बचाती पुलिस — 3 घंटे के रोमांचक ऑपरेशन ने टाली बड़ी त्रासदी।


अतीत में भी कर चुका था विरोध प्रदर्शन

पुलिस सूत्रों ने बताया कि आर्या पहले भी पूर्व शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर के घर और आजाद मैदान में अपने भुगतान की मांग को लेकर धरना दे चुका था। पिछले साल पुणे में इसी दौरान उसे मिर्गी का दौरा भी पड़ा था।
वह खुद को “सरकारी परियोजनाओं का निर्माता” बताता था और दावा करता था कि उसकी मेहनत का पैसा दबा लिया गया।

बच्चों की सुरक्षित वापसी, माता-पिता की राहत

पुलिस और फायर ब्रिगेड ने बड़ी सावधानी से बच्चों को बाहर निकाला। उन्हें तुरंत सेवन हिल्स अस्पताल ले जाया गया, जहां जांच के बाद सभी को डिस्चार्ज कर दिया गया।
बच्चों के माता-पिता की आंखों में राहत के आंसू थे। एक अभिभावक ने कहा, “हमें लगा अब हम अपने बच्चे को नहीं देख पाएंगे, लेकिन मुंबई पुलिस ने हमें जिंदगी का सबसे बड़ा तोहफा दिया है।”

सोशल मीडिया पर पुलिस की तारीफ

घटना के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने मुंबई पुलिस की त्वरित कार्रवाई की सराहना की। कई यूजर्स ने लिखा कि “मुंबई पुलिस ने फिर साबित कर दिया कि क्यों इसे देश की सबसे पेशेवर पुलिस फोर्स कहा जाता है।”

निष्कर्ष

यह पूरी घटना एक चेतावनी है कि मानसिक तनाव और आर्थिक विवाद कभी भी ऐसे खतरनाक रूप ले सकते हैं। लेकिन जिस सटीकता और साहस से मुंबई पुलिस ने यह ऑपरेशन संभाला, उसने एक बड़ी त्रासदी को टाल दिया।
17 मासूम बच्चों की जान बचाने वाले इन पुलिसकर्मियों ने वाकई एक बार फिर ‘मुंबई पुलिस — सदैव सतर्क’ का अर्थ साबित कर दिया।

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