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मेरे मां-पापा ईरान में हैं…” मुरादाबाद की फायजा की अपील – PM मोदी कुछ करें, वरना डर से टूट जाऊंगी

ईरान-इस्राइल तनाव के बीच मुरादाबाद की ईरानी मूल की महिला फायजा ने PM मोदी से मांगी मदद, हमदान में फंसे परिजनों की सलामती को लेकर दिन-रात बेचैनी

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ईरान में फंसे परिवार की सलामती को लेकर मुरादाबाद की महिला की अपील – PM मोदी कुछ करें
ईरान में फंसे परिजनों के लिए दुआ करती मुरादाबाद की फायजा, पीएम मोदी से की शांति की अपील

मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश – जब दुनिया की राजनीति जंग के मोड़ पर आ जाए, तो सबसे ज़्यादा दर्द उन परिवारों को होता है जो सरहद के दोनों तरफ बंटे होते हैं। मुरादाबाद की प्रकाशनगर कॉलोनी में रहने वाली ईरानी मूल की महिला फायजा ऐसी ही एक आवाज़ हैं, जो आज बेहद चिंतित हैं – क्योंकि उनका पूरा परिवार ईरान के हमदान शहर में फंसा हुआ है।

फायजा की शादी भारतीय युवक दिवाकर से हुई थी और अब वह मुरादाबाद में अपने पति के साथ एक छोटा कैफे चलाती हैं। लेकिन उनका दिल और ध्यान इस वक्त सिर्फ ईरान में है, जहां इस्राइल-ईरान तनाव ने उनके परिवार को खतरे में डाल दिया है।

“रात-रात भर नींद नहीं आती,” भावुक फायजा कहती हैं। “हर खबर दिल दहला देती है। मैं मां, पापा और भाई-बहनों से संपर्क करने की हर कोशिश कर चुकी हूं, लेकिन वहां इंटरनेट बंद है, व्हाट्सएप काम नहीं करता। जब कभी जवाब आता भी है तो बस ‘हम ठीक हैं’ जैसे दो शब्द होते हैं।”

ईरान में फंसे परिवार की सलामती को लेकर मुरादाबाद की महिला की अपील – PM मोदी कुछ करें


हमदान में हालात अभी शांत हैं, लेकिन डर कायम है। फायजा बताती हैं, “अब तक वहां हमला नहीं हुआ, लेकिन पूरा इलाका सहमा हुआ है। लोग घरों में बंद हैं और भविष्य को लेकर अनिश्चितता है। हर पल डर लगता है कि कुछ भी हो सकता है।”

इस परिस्थिति में फायजा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक भावुक अपील की है। उनका कहना है, “PM मोदी सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक हैं। अगर वो चाहें तो ईरान और इस्राइल के बीच मध्यस्थता कर सकते हैं। मुझे यकीन है कि उनकी पहल से शांति बहाल हो सकती है।”

फायजा की कहानी सिर्फ एक महिला की नहीं है, बल्कि उन हजारों लोगों की है जो विदेशों में रहकर अपने वतन में चल रहे संकटों से मानसिक रूप से प्रभावित होते हैं। हर घंटे बढ़ता तनाव, हर अलर्ट, हर बुलेटिन – उनके लिए किसी दिल के टुकड़े जैसा होता है।

Uttar Pradesh

गोरखनाथ मंदिर हमला आईएसआईएस से जुड़े थे मुर्तजा के रिश्ते इंजीनियर बना लोन वुल्फ आतंकी

IIT मुंबई से केमिकल इंजीनियरिंग कर चुका मुर्तजा अब्बासी ISIS की विचारधारा से प्रभावित होकर बना आतंकी, बांके से किया था पीएसी जवानों पर हमला

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गोरखनाथ मंदिर में हमले के बाद पकड़ा गया आरोपी मुर्तजा, जांच में हुआ ISIS से कनेक्शन का खुलासा

उत्तर प्रदेश के गोरखनाथ मंदिर पर अप्रैल 2022 में हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। हमले का मुख्य आरोपी, मुर्तजा अहमद अब्बासी, एक पढ़ा-लिखा युवा था जिसने IIT मुंबई से केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी। लेकिन, पढ़ाई के इस उजाले के पीछे एक खतरनाक अंधेरा छिपा था — कट्टरपंथी सोच और आतंकी मानसिकता


3 अप्रैल 2022 की शाम करीब सवा सात बजे गोरखनाथ मंदिर की सुरक्षा में तैनात PAC जवानों पर हुए इस हमले ने जैसे यूपी पुलिस और इंटेलिजेंस तंत्र को हिला दिया। हमलावर ने धारदार बांके से जवानों को निशाना बनाया और “अल्लाह हू अकबर” के नारे लगाते हुए सुरक्षा कर्मियों से हथियार छीनने की भी कोशिश की। दो जवान गंभीर रूप से घायल हुए, और हमलावर को मौके पर ही काबू में किया गया।

दूसरे ही दिन, ADG गोरखपुर जोन अखिल कुमार ने इसे आतंकी हमला माना और जांच का दायरा बढ़ा। जल्द ही यह स्पष्ट हुआ कि यह कोई सामान्य मानसिक रोगी नहीं, बल्कि एक सुनियोजित आतंकी हमले की पटकथा थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर ATS, STF और खुफिया एजेंसियों ने जांच शुरू की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

The convicted terrorist, जिसे अब NIA और ATS कोर्ट से मौत की सजा मिल चुकी है, ने ISIS से ऑनलाइन संपर्क बनाए थे। FATF की हालिया रिपोर्टों में भी यह खुलासा हुआ है कि कैसे आतंकियों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम्स से फंडिंग हो रही है — और गोरखनाथ हमला इसका ज्वलंत उदाहरण बन चुका है।

जांच के दौरान यह भी सामने आया कि “The lone-wolf attacker” के पास से गोरखनाथ मंदिर का नक्शा, अरबी मजहबी किताबें, और जाकिर नाइक से जुड़ी कट्टरपंथी सामग्री बरामद हुई। वह न केवल ISIS की विचारधारा से जुड़ा था बल्कि मुंबई, नेपाल, कोयंबटूर, जामनगर और दिल्ली जैसे कई शहरों में सक्रिय नेटवर्क से भी संपर्क में था।

30 जनवरी 2023 को विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने IPC की धारा 121 और 307 के तहत मुर्तजा को दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई। यह निर्णय आतंक के खिलाफ एक सख्त संदेश है, लेकिन साथ ही यह भी बताता है कि कैसे एक पढ़ा-लिखा युवा भी डिजिटल कट्टरपंथ के जाल में फंस सकता है।

आज जब FATF जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं आतंकी फंडिंग पर सवाल उठा रही हैं, यह मामला एक बार फिर याद दिलाता है कि आतंकवाद केवल सीमाओं से नहीं, विचारधाराओं से भी आता है — और उसे जड़ से खत्म करना ही एकमात्र रास्ता है।

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India

9 जुलाई को भारत बंद बैंक से बसें सब ठप जानिए क्या खुलेगा और क्या रहेगा पूरी तरह बंद

10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों ने मिलकर बुलाया भारत बंद — सरकारी सेवाओं पर पड़ेगा सीधा असर, निजी स्कूल-कॉलेज और ऑफिस रहेंगे खुले

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भारत बंद के समर्थन में सड़कों पर उतरते कर्मचारी और मजदूर संगठन, सरकारी सेवाएं रहेंगी प्रभावित

देशभर में बुधवार, 9 जुलाई को एक बड़े भारत बंद का आह्वान किया गया है, जिसमें 25 करोड़ से अधिक मज़दूर और कर्मचारी शामिल हो सकते हैं। इस बंद का असर बैंकों, पोस्ट ऑफिस, कोयला खदानों, सार्वजनिक परिवहन और अन्य सरकारी सेवाओं पर साफ़ दिखेगा। वहीं, स्कूल, कॉलेज और निजी दफ्तरों को इससे बाहर रखा गया है।

किसने बुलाया भारत बंद?
इस बंद का आयोजन 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच और उनसे जुड़े किसान-मजदूर संगठनों ने किया है। इस संयुक्त हड़ताल का उद्देश्य है केंद्र सरकार की “मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी और कॉरपोरेट समर्थक नीतियों” का विरोध करना।

क्या हैं प्रदर्शनकारियों की मांगें?

  • चार नए लेबर कोड वापस लिए जाएं
  • यूनियन बनाने और हड़ताल का अधिकार बहाल किया जाए
  • युवाओं के लिए सरकारी नौकरी के अवसर बढ़ाए जाएं
  • मनरेगा की मज़दूरी बढ़ाई जाए और इसे शहरी क्षेत्रों में भी लागू किया जाए
  • शिक्षा, स्वास्थ्य और नागरिक सेवाओं में बजट बढ़ाया जाए
  • सार्वजनिक क्षेत्र में रिटायर्ड कर्मियों की जगह नई भर्तियाँ हों
  • प्रवासी मजदूरों के अधिकार सुरक्षित किए जाएं

कौन-कौन हो रहा है शामिल?

इस भारत बंद में औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्रों के कर्मचारी हिस्सा ले रहे हैं। मुख्य संगठनों में शामिल हैं:

  • AITUC (ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस)
  • CITU (सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस)
  • INTUC, HMS, SEWA, LPF, UTUC
    इसके अलावा, संयुक्त किसान मोर्चा और ग्रामीण मजदूर यूनियनें भी समर्थन में सड़कों पर उतरेंगी।

किन सेवाओं पर पड़ेगा असर?

  • बैंकिंग और बीमा
  • डाक सेवाएं
  • कोयला खनन और औद्योगिक उत्पादन
  • राज्य परिवहन सेवाएं
  • सरकारी विभाग और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयाँ

क्या रहेगा खुला?

  • स्कूल और कॉलेज सामान्य रूप से चलेंगे
  • निजी दफ्तरों में कामकाज जारी रहेगा
  • ट्रेनों की सेवाएं बंद नहीं होंगी, परंतु कुछ देरी संभव है

हिंद मजदूर सभा के हरभजन सिंह सिद्धू के अनुसार, “बैंक, डाक, कोयला खनन, फैक्ट्रियाँ और राज्य परिवहन सेवाएं बंद का बड़ा असर झेलेंगी।”

क्या यह बंद महज़ विरोध है या जनता की आवाज़?
देश में बढ़ती बेरोज़गारी, महंगाई, और सार्वजनिक संसाधनों में कटौती को लेकर आम जनता पहले ही परेशान है। ऐसे में यह भारत बंद न सिर्फ़ एक चेतावनी है, बल्कि सरकार के सामने जनता की ‘संयुक्त ताक़त’ का प्रदर्शन भी है।

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Hyderabad

अमेरिका में छुट्टियां मना रहे भारतीय परिवार की दर्दनाक मौत कार में लगी भीषण आग ने ली चारों की जान

हैदराबाद से गए परिवार की डलास लौटते समय सड़क हादसे में जली हुई कार में मौत, दो मासूम बच्चों समेत कोई नहीं बचा — डीएनए से पहचान की कोशिश में जुटी पुलिस

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Indian Family Dies
हादसे के बाद जली हुई कार का दृश्य, जिसमें भारतीय परिवार की दर्दनाक मौत हो गई

अमेरिका में छुट्टियां मना रहे एक भारतीय परिवार के लिए खुशियों भरी यात्रा अचानक एक दिल दहला देने वाली त्रासदी में बदल गई। हैदराबाद के रहने वाले तेजस्विनी और श्री वेंकट अपने दो छोटे बच्चों के साथ अमेरिका के डलास शहर में छुट्टियाँ मनाने गए थे। लेकिन जब वे अपने रिश्तेदारों से मिलने अटलांटा गए और वापसी में लौट रहे थे, तभी एक दर्दनाक हादसा हो गया।

यह हादसा ग्रीन काउंटी में हुआ, जहाँ सामने से आ रही एक मिनी-ट्रक ने गलत दिशा में चलकर उनकी कार को सीधा टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि कार में तुरंत आग लग गई और पूरा परिवार उसमें फंस गया। आग की लपटों में घिरी कार कुछ ही मिनटों में राख में तब्दील हो गई। परिवार के चारों सदस्य जिंदा जल गए।


स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, कार में से सिर्फ जली हुई हड्डियाँ ही बरामद की गई हैं, जिनकी पहचान अब डीएनए विश्लेषण के जरिए की जा रही है। शवों को परिवार को सौंपने से पहले फॉरेंसिक प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

यह कोई पहली बार नहीं है जब अमेरिका में भारतीय मूल के लोग ऐसे हादसों का शिकार हुए हों। सितंबर 2024 में, टेक्सास के एना शहर में चार भारतीय नागरिकों की कार में आग लगने से मौत हो गई थी, जब एक तेज़ रफ्तार ट्रक ने उनकी एसयूवी को पीछे से टक्कर मारी थी। उसमें आर्यन रघुनाथ ओरमपाटी, फारूक शेख, लोकेश पला‍चरला और दर्शिनी वासुदेवन की जान चली गई थी।

वहीं अगस्त 2024 में भी एक भारतीय मूल के दंपत्ति और उनकी बेटी की एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई थी, जबकि उनका किशोर बेटा किसी तरह ज़िंदा बच गया था।

इन घटनाओं ने प्रवासी भारतीय समुदाय के बीच गहरी चिंता और भय पैदा कर दिया है। भारत में भी इस हादसे की खबर ने भावनात्मक माहौल बना दिया है। सोशल मीडिया पर शोक संदेशों की बाढ़ आ गई है, और विदेश मंत्रालय से लगातार संपर्क किया जा रहा है।

अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है — क्या इतनी दूर परदेस में सुरक्षा के नाम पर भारतीयों के लिए कुछ किया जा सकता है? और क्या इन हादसों से सबक लेकर अमेरिकी ट्रैफिक सिस्टम में कुछ बदलाव होंगे?

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