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करिश्मा कपूर की व्हाट्सएप चैट और प्रिया की वसीयत ने खोला 30 हजार करोड़ की जायदाद की जंग का नया राज़
दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान करिश्मा कपूर और सुंजय कपूर से जुड़े नए दस्तावेज़ आए सामने, प्रिया कपूर की वसीयत पर सवाल
बॉलीवुड अभिनेत्री करिश्मा कपूर और दिवंगत बिजनेसमैन सुंजय कपूर का रिश्ता एक बार फिर सुर्खियों में है। दिल्ली हाईकोर्ट में चल रही 30,000 करोड़ की संपत्ति को लेकर कानूनी जंग ने नया मोड़ ले लिया है। अदालत में पेश हुए नए दस्तावेज़ों ने पूरे मामले को और उलझा दिया है।
व्हाट्सएप चैट्स बनीं बड़ा सबूत
ताज़ा फाइलिंग में यह खुलासा हुआ है कि करिश्मा कपूर और सुंजय कपूर के बीच निजी स्तर पर बातचीत होती रही थी। कोर्ट रिकॉर्ड्स के मुताबिक, इन चैट्स में सुंजय ने करिश्मा और उनके बच्चों के लिए पुर्तगाल की नागरिकता दिलाने की प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा की थी। उन्होंने यह भी समझाया था कि ऐसा करने पर भारतीय नागरिकता छोड़नी पड़ेगी, क्योंकि भारत में डुअल सिटिजनशिप की अनुमति नहीं है।
अदालत का आदेश
बुधवार को जस्टिस ज्योति सिंह ने करिश्मा कपूर के बच्चों की ओर से दाखिल सिविल सूट पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किए। अदालत ने सभी प्रतिवादियों को दो हफ्तों में लिखित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। साथ ही, प्रिया सचदेवा कपूर—जो सुंजय कपूर की विधवा हैं—को आदेश दिया गया कि वह दिवंगत की सभी चल और अचल संपत्तियों की पूरी लिस्ट अदालत में जमा करें।

वसीयत पर उठे सवाल
करिश्मा कपूर के वकील और सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने दावा किया कि प्रिया कपूर ने फर्जी वसीयत तैयार की है। उन्होंने तर्क दिया कि यह वसीयत न तो रजिस्टर्ड थी और न ही सही प्रक्रिया से सामने आई। वहीं, प्रिया कपूर की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव नायर ने कहा कि यह केस टिकाऊ नहीं है क्योंकि करिश्मा कपूर के बच्चे पहले से ही पारिवारिक ट्रस्ट के लाभार्थी हैं और हाल ही में उन्हें 1,900 करोड़ रुपये की संपत्ति मिल चुकी है।
नायर ने अदालत में कहा—“यह नहीं है कि वे सड़क पर छोड़ दिए गए हैं। मैं एक विधवा हूं और मेरे पास छह साल का बच्चा है। पंद्रह साल तक ये लोग कहीं नजर नहीं आए।”
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परिवार के भीतर मतभेद
मामले में नया मोड़ तब आया जब सुंजय कपूर की मां रानी कपूर ने भी आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने कहा, “कुछ तो गड़बड़ है। मैं 80 साल की हूं और अपने पोते-पोतियों को लेकर चिंतित हूं। मैंने कई बार वसीयत की कॉपी मांगी लेकिन मुझे कभी नहीं मिली।”
अगली सुनवाई
दिल्ली हाईकोर्ट अब इस केस पर 9 अक्टूबर को फिर सुनवाई करेगा। तब तक अदालत अस्थायी राहत (ad-interim injunction) पर विचार करेगी। यह विवाद भारत के सबसे बड़े प्राइवेट एस्टेट विवादों में से एक माना जा रहा है और इसमें हर सुनवाई के साथ नए खुलासे सामने आ रहे हैं।
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