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हरमन से शैफाली तक: 16 शेरनियों ने कैसे बदला भारतीय क्रिकेट का भविष्य
Women’s World Cup 2025 की 16 पायोनियर्स—हरमनप्रीत कौर की लीडरशिप से शैफाली वर्मा की कमबैक तक—जिन्होंने जेंडर बायस, आर्थिक चुनौतियों और सामाजिक धारणाओं को ध्वस्त कर भारत को पहला सीनियर ICC महिला विश्व कप दिलाया
नवी मुंबई के डॉ. डी.वाई. पाटिल स्टेडियम में 2025 की वह सांझ सिर्फ एक ट्रॉफी लिफ्ट नहीं थी—वह 16 भारतीय बेटियों के साहस, आँसू और अटूट यकीन का सार्वजनिक स्वीकार था। भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने जब सीनियर ICC विश्व कप जीता, तो एक पीढ़ी का इंतज़ार खत्म हुआ और दूसरी पीढ़ी के सपनों को पंख मिले। “Her grit, her game, her glory”—यह कहानी उन 16 पथप्रदर्शक खिलाड़ियों की है जिन्होंने खेल के बाहर भी लाखों घरों में सोच बदल दी।
1) हरमनप्रीत कौर: नेतृत्व जिसकी धड़कन टीम है
मोगा, पंजाब से आई हरमनप्रीत का 171* (2017) एक मिथक नहीं, एक मानक था। 2025 में उनका रोल सिर्फ रन बनाना नहीं, दबाव के नीचे शांत रहकर बाकी 15 खिलाड़ियों को अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता तक पहुँचाना था। पिता के “good batsman” टी-शर्ट से लेकर WBBL में एडम गिलक्रिस्ट की प्रशंसा तक, हर मोड़ ने उन्हें “कप्तान—जो भरोसा जगाए” में ढाला। यही भरोसा फाइनल के आख़िरी ओवर तक दिखाई दिया।
2) स्मृति मंधाना: संगली की स्माइलिंग स्ट्राइकर
16 की उम्र में इंटरनेशनल क्रिकेट और एक दशक में ODI नं.1—स्मृति की पहचान है एलिगेंस के साथ ठोस स्थिरता। वह ओपनिंग में सिर्फ रन नहीं लातीं, टीम की टेम्पो सेट करती हैं। 2025 में उनके साझेदारी निर्माण की कला—चाहे शैफाली के साथ हो या प्रतिका के साथ—भारत की कई मुश्किल चेज़ का आधार बनी।
3) जेमिमा रोड्रिग्स: बैटिंग + ब्रेथरूम
बांद्रा की गलियों की यह मुस्कुराती एनर्जी-पैक्ड बैटर 2025 सेमीफ़ाइनल में 127* की मैच-विनिंग पारी के साथ “फिनिशर-जो-गिनती-बैठाकर-खेलती-है” के रूप में उभरी। टीम के लिए रोल चाहे ओपनिंग हो या लोअर-मिडिल—जेमिमा की खासियत है मैच की नब्ज़ पकड़ लेना।
4) दीप्ति शर्मा: आगरा का ऑलराउंड आश्वासन
एक सटीक थ्रो से शुरू हुई कहानी आज भारत की रीढ़ है। दीप्ति की ऑफ-स्पिन, सटीक फील्डिंग और परिस्थितियों के मुताबिक बैटिंग—तीनों ने मिलकर नॉकआउट्स में भारत को वह “कंट्रोल” दिया, जो चैंपियन टीमों की पहचान होता है।
5) रिचा घोष: सिलिगुड़ी की सिक्सर-सील
खिड़कियों के शीशे टूटे, पर हौसला नहीं। RCB के साथ पावर-गेम में निखार और भारत के लिए नई परिभाषा—विकेटकीपर जो 15 गेंदों में मैच पलट दे। 2025 में डेथ ओवर्स की उनकी हिटिंग ने विपक्ष को पावरप्ले जितना ही डराया।

6) हरलीन देओल: “वह” कैच और उससे आगे
नॉर्थम्प्टन का वह बाउंड्री-कैच सिर्फ हाइलाइट नहीं, माइंडसेट था—“मुमकिन है।” 2025 में हरलीन ने नंबर-3 की जिम्मेदारी से लेकर इनर-सर्कल की फुर्ती तक, कई छोटे-पर-निर्णायक पल अपने नाम किए।
7) प्रतिका रावल: दिल्ली की स्कॉलर-ओपनर
छत पर टेपबॉल नेट, 92% बोर्ड्स—और मैदान पर तेज़ शुरुआत। प्रतिका ने मंधाना के साथ पावरप्ले को प्रोडक्टिव बनाया। चोट ने अभियान छोटा किया, पर उनकी पद्धतिगत बल्लेबाजी—स्ट्राइक-रोटेशन + सेलेक्टिव अटैक—टीम का दीर्घकालिक संपत्ति बनेगी।
8) उमा चेेत्री: नॉर्थ-ईस्ट की उम्मीद
गोलाघाट, असम से भारत की जर्सी तक—उमा का डेब्यू याद दिलाता है कि प्रतिनिधित्व मायने रखता है। धोनी जैसे रोल मॉडल से प्रेरित विकेटकीपिंग और दबाव में शांत रहना—यह संयोजन 2025 में टीम के लिए बहुमूल्य रहा, खासकर जब रिचा को आराम चाहिए था।
9) क्रांति गौड़: बुंदेलखंड की तेज़ रफ्तार
सुविधाएँ कम, संकल्प अधिक—इंग्लैंड के खिलाफ 6-52 जैसी स्पेल्स बताती हैं कि भारत का फास्ट-बोलिंग टैंक और गहराया है। क्रांति की हिट-द-डेक लंबाई और पुरज़ोर आत्मविश्वास ने बड़े मंच पर बड़ा असर डाला।
10) स्नेह राणा: कमबैक की परिभाषा
गुजरात जायंट्स से रिलीज़ होने के बाद RCB में लेट-रिप्लेसमेंट, और फिर भारत के लिए ऑलराउंड मैजिक—राणा का सफ़र सिखाता है, करियर में “राइट टाइम” लाने के लिए “राइट माइंड” ज़रूरी है। ब्रिस्टल 80* की जुझारू स्मृति 2025 में भी कई बचाव-पलों में दिखी।
11) रेनुका सिंह ठाकुर: स्विंग की कहानी
बाहरी स्विंग से अंदर जाते हुए लेट-सीम तक—रेनुका ने नई गेंद से विरोधियों को लगातार “रीसेट” कराया। शुरुआती ब्रेकथ्रूज़ ने भारत को मैच की स्क्रिप्ट लिखने का समय दिया—और यही चैंपियन व्यवहार है।
12) अरुंधति रेड्डी: “लंबा इंतजार, बड़ा असर”
T20I से ODI तक आने में समय लगा, पर 2025 में अरुंधति ने एथलेटिक फील्डिंग, हार्ड लेंथ और लोअर-ऑर्डर कैमियो से अपनी जगह पक्की की। उनका “फ्लेक्स रोल”—जहाँ ज़रूरत, वहाँ योगदान—भारत के टैक्टिकल बैलेंस की कुंजी बना।
13) राधा यादव: बड़ौदा की डायनेमो
रिकॉर्ड 27 लगातार T20Is में विकेट—यह सिर्फ स्टैट नहीं, आदत है। राधा की स्लोअर-ड्रिफ्ट, फ्लाइट और 30-यार्ड में बुलेट-थ्रो—तीनों ने 2025 में मध्य ओवर्स को भारत का “लॉक-जोन” बना दिया।
14) अमनजोत कौर: “पिता का तराशा बल्ला” और आज की धाक
बचपन में बढ़ई पिता का खुद तराशा बैट, और आज वर्ल्ड-कप मंच पर नो.8 के बाद भी मैच-रिस्क्यूइंग स्कोर। अमनजोत बताती हैं—ग्रिट, स्किल के बराबर है।

15) श्री चरनी: एथलेटिक्स की तेजी, स्पिन की सटीकता
गचिबौली से WPL तक—मेग लैन्निंग का भरोसा, और भारत के लिए लेफ्ट-आर्म स्पिन स्लॉट का समाधान। उनकी लूप और पॉजिशनिंग ने दाएं हाथ की बैटर्स को लगातार कन्फ्यूज रखा।
16) शैफाली वर्मा: कमबैक इज़ ए स्टेट-ऑफ-माइंड
बाल कटवाकर लड़कों के बीच खेलना, सचिन का रिकॉर्ड तोड़ना, और 2025 में फिर “सीमित ओवर्स का तूफ़ान” बन जाना—शैफाली ने दिखाया कि टेम्परामेंट के साथ अटैक भी टिकाऊ हो सकता है। पावरप्ले में 35(20) जैसा स्टार्ट, अंत में 10 रन कम-ज़्यादा का फर्क बना देता है—और भारत ने यही माइक्रो-एज बार-बार निकाला।
क्यों यह 16 की टोली “पायोनियर्स” है
- आइकन से इंस्पिरेशन तक: हरमन का 171*, राणा का 80*, राधा की फील्डिंग—इन हाइलाइट्स ने क्रिकेट को लड़कियों की रोज़मर्रा की आकांक्षा बनाया।
- रोल-डेप्थ: भारत के पास अब हर मैच-परिस्थिति का स्पेशलिस्ट है—नई गेंद (रेनुका), मिडल-ओवर्स चोक (दीप्ति-राधा-राणा), डेथ-हिटिंग (रिचा/शैफाली), एंकरिंग (स्मृति/जेमिमा)।
- जियो-डायवर्सिटी: मोगा, संगली, गोलाघाट, घुवारा—टैलेंट मैप पूरे भारत में फैला। यह भविष्य की पाइपलाइन को चौड़ा करता है।
- मानसिक मजबूती: जेमिमा का ड्रॉप होकर वापसी में 127*, अमनजोत का चोट से उभरना, राणा का लगातार “रीसेट”—यह टीम मानसिक फिटनेस की भी चैम्पियन है।
आगे का रोडमैप
BCCI की गर्ल्स U-19/अकादमी स्ट्रेंथनिंग से लेकर WPL की बेंच डेप्थ तक—यह जीत सिस्टम-इफेक्ट पैदा करेगी। स्कूलों में लड़कियों के लिए विजिबिलिटी बढ़ेगी, स्टेट बोर्ड्स में टैलेंट-स्काउटिंग स्टैंडर्डाइज़ होगा। सबसे बढ़कर—माता-पिता अब “क्रिकेट खेलने दो, बेटी है इसलिए नहीं—काबिल है इसलिए” वाली सोच अपनाएँगे। यही इस जीत की सबसे बड़ी ट्रॉफी है।
निष्कर्ष:
यह 16 सिर्फ नाम नहीं, नई परिभाषा हैं—कि भारतीय महिला क्रिकेट अब “अंडरडॉग” नहीं, “ट्रेंडसेटर” है। हरमन की टोली ने जो दरवाज़ा खोला, आने वाले सालों में हजारों लड़कियाँ उसे चौड़ा करेंगी। यही ‘Her grit, her game, her glory’ का असली अर्थ है।
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