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Donald Trump फिर कड़े करेंगे H-1B वीज़ा नियम — भारतीय प्रोफेशनल्स पर बड़ा असर

$100,000 फीस बढ़ाने के बाद अब डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन H-1B वीज़ा सिस्टम में और सख्ती लाने की तैयारी में; दिसंबर 2025 तक नया नियम लागू हो सकता है

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“Donald Trump प्रशासन फिर लाएगा H-1B वीज़ा पर सख्ती — भारतीय पेशेवरों में चिंता बढ़ी”
“Donald Trump प्रशासन फिर लाएगा H-1B वीज़ा पर सख्ती — भारतीय पेशेवरों में चिंता बढ़ी”

अमेरिका में काम करने का सपना देखने वाले हजारों भारतीय युवाओं के लिए एक बार फिर चिंता की खबर आई है।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति और 2024 चुनावी दौड़ में फिर से उतर चुके डोनाल्ड ट्रंप की टीम अब H-1B वीज़ा प्रोग्राम में और कड़े बदलाव करने की तैयारी में है।

हाल ही में वीज़ा आवेदन शुल्क को $100,000 तक बढ़ाए जाने के बाद अब ट्रंप प्रशासन इस प्रोग्राम के “रिफॉर्मिंग द H-1B नॉन-इमिग्रेंट वीज़ा क्लासिफिकेशन प्रोग्राम” नामक प्रस्ताव के तहत कई नई पाबंदियां लाने जा रहा है।

क्या है नया प्रस्ताव

Department of Homeland Security (DHS) ने अपने रेगुलेटरी एजेंडा में एक नया रूल-चेंज ड्राफ्ट किया है।

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इसमें कहा गया है कि सरकार वीज़ा कैप से छूट पाने वाले नियोक्ताओं की पात्रता दोबारा तय करेगी, उन कंपनियों पर ज्यादा निगरानी रखेगी जिन्होंने नियमों का उल्लंघन किया है, और थर्ड-पार्टी प्लेसमेंट्स पर भी सख्त नियंत्रण किया जाएगा।

प्रस्ताव में लिखा गया —

“इन बदलावों का उद्देश्य H-1B प्रोग्राम की पारदर्शिता और ईमानदारी बढ़ाना है, और अमेरिकी कर्मचारियों के वेतन एवं कार्य-परिस्थितियों की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करना है।”

इससे अमेरिका में काम करने वाले हजारों भारतीय इंजीनियरों, आईटी एक्सपर्ट्स और छात्रों पर सीधा असर पड़ सकता है।

कौन होंगे सबसे ज्यादा प्रभावित

अभी तक विश्वविद्यालयों, गैर-लाभकारी शोध संस्थानों और स्वास्थ्य संगठनों को H-1B वीज़ा कैप से छूट (Exemption) मिलती थी।
लेकिन अगर ट्रंप प्रशासन इन कैप छूटों को सीमित करता है, तो स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं और कई हेल्थकेयर संगठनों में काम करने वाले विदेशी प्रोफेशनल्स को झटका लग सकता है।

“Donald Trump प्रशासन फिर लाएगा H-1B वीज़ा पर सख्ती — भारतीय पेशेवरों में चिंता बढ़ी”


Newsweek की रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2025 तक यह नियम लागू किया जा सकता है, हालांकि आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है।

भारत पर बड़ा प्रभाव

भारत से हर साल लाखों छात्र और आईटी प्रोफेशनल्स H-1B वीज़ा के लिए आवेदन करते हैं।
Infosys, Tata Consultancy Services और Wipro जैसी भारतीय कंपनियों के कई कर्मचारी इसी वीज़ा पर अमेरिका में काम कर रहे हैं।
ऐसे में यह नई नीति भारत की टेक इंडस्ट्री और युवा प्रोफेशनल्स की योजनाओं पर सीधा असर डाल सकती है।

पहले भी उठ चुके हैं कदम

ट्रंप प्रशासन ने अपने पहले कार्यकाल (2017–2021) में भी H-1B वीज़ा प्रक्रिया को सख्त किया था।
तब उन्होंने लॉटरी सिस्टम की जगह वेज-आधारित चयन प्रणाली (Wage-Based Selection System) लाने का प्रस्ताव रखा था, ताकि उच्च वेतन देने वाली नौकरियों को प्राथमिकता दी जा सके।
अब उसी नीति को और कड़ा करने की कोशिश की जा रही है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह कदम अमेरिका में “American Jobs First” एजेंडा को मजबूत करने की कोशिश है, ताकि स्थानीय मतदाताओं में यह संदेश जाए कि वे विदेशी कामगारों की जगह अमेरिकी नागरिकों को प्राथमिकता देंगे।

कब लागू हो सकता है नया नियम

Federal Register में प्रकाशित प्रस्ताव के अनुसार, दिसंबर 2025 तक इसका फाइनल वर्ज़न जारी किया जा सकता है।
हालांकि, यदि जो बाइडेन प्रशासन या कोई न्यायिक चुनौती सामने आती है, तो इसे लागू होने में देरी भी हो सकती है।

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