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देवनहल्ली भूमि अधिग्रहण विवाद पर सीएम सिद्धारमैया ने मांगा 10 दिन का समय, बोले – “कानून के खिलाफ नहीं जा सकते”
1,185 दिनों से विरोध कर रहे किसानों की मांगे अब भी अधर में, एयरोस्पेस पार्क के लिए 1,777 एकड़ भूमि अधिग्रहण पर सरकार का रुख स्पष्ट नहीं

बेंगलुरु: देवनहल्ली तालुक के 13 गांवों के किसानों की ज़मीन पर प्रस्तावित एयरोस्पेस पार्क के खिलाफ जारी आंदोलन को लेकर 4 जुलाई को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। हालांकि, इस बहुप्रतीक्षित बैठक में कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका।
कर्नाटक सरकार ने कहा है कि अधिग्रहण रद्द करने पर अंतिम निर्णय लेने के लिए उसे 10 दिन और चाहिए। इससे पहले, अप्रैल 2025 में भूमि अधिग्रहण का फाइनल नोटिफिकेशन जारी किया जा चुका है, जिसके चलते सरकार किसी भी कदम से पहले कानूनी सलाह लेना चाहती है।
1,777 एकड़ ज़मीन और 1,185 दिन का संघर्ष
चन्नारायपटना होबली के किसानों का कहना है कि वे 1,777 एकड़ भूमि अधिग्रहण के खिलाफ पिछले तीन वर्षों से अधिक समय से आंदोलनरत हैं। उनकी मांग है कि परियोजना को पूरी तरह रद्द किया जाए, क्योंकि इससे उनकी आजीविका पर संकट आ गया है।
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, “अब जबकि अंतिम अधिसूचना जारी हो चुकी है, तो उसके कानूनी पक्षों की समीक्षा आवश्यक है। इस पर विशेषज्ञों के साथ चर्चा के लिए 10 दिन का समय मांगा गया है।”
बैठक में कौन-कौन थे मौजूद?
3 जुलाई को हुई बैठक में मुख्यमंत्री के साथ-साथ उद्योग मंत्री एम.बी. पाटिल, खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्री के.एच. मुनियप्पा, शहरी विकास मंत्री बयरथी सुरेश, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव नसीर अहमद, मुख्य सचिव डॉ. शालिनी राजनेश और कानूनी सलाहकार पोंनन्ना भी शामिल रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा, “हम लोकतंत्र और संवाद में विश्वास करते हैं। हम किसी आंदोलन को दबा नहीं रहे हैं। मैं खुद किसान आंदोलनों का हिस्सा रहा हूं और अब भी किसानों के साथ संवाद करने को तैयार हूं।”
राकेश टिकैत भी आए किसानों के समर्थन में
बैठक से पहले संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के राष्ट्रीय नेता राकेश टिकैत ने भी आंदोलनरत किसानों से मुलाकात की और ‘Save Our Lands’ नामक राज्य स्तरीय सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि किसान अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे और सरकार को यह बात स्पष्ट रूप से समझ लेनी चाहिए।
15 जुलाई तक आंदोलन और तेज होने के आसार
चूंकि सरकार ने तत्काल कोई निर्णय नहीं लिया है, इसलिए किसानों ने ऐलान किया है कि वे 15 जुलाई तक आंदोलन को और तेज करेंगे। विरोध स्वरूप भूख हड़ताल, पदयात्रा और सड़कों पर प्रदर्शन की रणनीति बनाई जा रही है।