Education
लखनऊ में फूटा शिक्षामित्रों का गुस्सा: 20 साल की सेवा के बाद भी नहीं मिली स्थायी नौकरी
CTET पास शिक्षामित्रों का इको गार्डन में जोरदार प्रदर्शन, सरकार से मांगी सहायक शिक्षक पद पर स्थायी नियुक्ति
लखनऊ के इको गार्डन में मंगलवार को उत्तर प्रदेश के कोने-कोने से आए हजारों CTET-उत्तीर्ण शिक्षामित्रों ने एकजुट होकर सरकार के खिलाफ जमकर आवाज बुलंद की। ये प्रदर्शनकारी वर्षों से राज्य के सरकारी स्कूलों में सेवा दे रहे हैं, लेकिन आज भी उन्हें सिर्फ ₹10,000 के मासिक मानदेय पर काम करना पड़ रहा है — जो कि आज के समय में एक दिहाड़ी मजदूर की आमदनी से भी कम है।
CTET शिक्षामित्रों का लखनऊ में बड़ा प्रदर्शन | स्थायी नियुक्ति की मांग तेज
राज्य अध्यक्ष गुड्डू सिंह के नेतृत्व में हुए इस विरोध प्रदर्शन में शिक्षामित्रों ने आरोप लगाया कि बीते दो दशकों से वे सरकारी स्कूलों की रीढ़ बने हुए हैं। कभी किसी अनुपस्थित शिक्षक की जिम्मेदारी निभाई तो कभी मध्यान्ह भोजन योजना और नामांकन अभियान जैसे प्रशासनिक कार्यों में योगदान दिया, फिर भी उन्हें न तो समान वेतन मिला और न ही स्थायी शिक्षक पद की गारंटी।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, TET अथवा CTET उत्तीर्ण शिक्षामित्र सहायक शिक्षक पद के लिए योग्य माने जाते हैं। बावजूद इसके, आज भी उत्तर प्रदेश में 50,000 से अधिक शिक्षामित्र बिना नियमित नियुक्ति के काम कर रहे हैं।
गुड्डू सिंह ने बताया कि वर्ष 2017 से अब तक वे न केवल अफसरों से, बल्कि मंत्रियों और मुख्यमंत्री से भी मिल चुके हैं। कई बार आश्वासन मिले, लेकिन कोई ठोस हल नहीं निकला। “हम शिक्षक से कम नहीं हैं, लेकिन हमारी स्थिति दयनीय है। यह अन्याय अब और बर्दाश्त नहीं,” उन्होंने कहा।
ज्ञात हो कि प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में वर्तमान में 85,000 से अधिक सहायक शिक्षक और प्रधानाध्यापक पद रिक्त हैं। इसके बावजूद सरकार द्वारा नई भर्ती प्रक्रिया की कोई स्पष्ट योजना नहीं बनाई गई है, जिससे शिक्षामित्रों में और अधिक असंतोष पनप रहा है।
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने शीघ्र स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू नहीं की, तो यह आंदोलन राज्यव्यापी संघर्ष में बदल सकता है। यह सिर्फ रोजगार का नहीं, बल्कि सम्मान और न्याय का भी प्रश्न है।