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बिहार हार के बाद कांग्रेस का बड़ा आरोप: “69 लाख वोट हटे, यह खुली वोट चोरी है”
NDA की प्रचंड जीत के एक दिन बाद कांग्रेस का दावा—ECI ने केंद्र सरकार के दबाव में मतदाता सूचियों से लाखों नाम हटाए, विपक्षी वोटरों को बनाया गया निशाना
बिहार चुनाव के नतीजे सामने आते ही जहां NDA खेमे में खुशी की लहर है, वहीं विपक्ष में तीखी नाराज़गी और आक्रोश देखने को मिल रहा है। महागठबंधन को मिली करारी हार के ठीक एक दिन बाद कांग्रेस ने फिर से “वोट चोरी” का आरोप दोहराया है, और इस बार सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा किया है।
कांग्रेस का दावा है कि चुनाव से पहले और मतदान के दौरान बड़े पैमाने पर मतदाता सूची में हेरफेर किया गया, जिसके चलते विपक्ष के लाखों वोट मिटा दिए गए। पार्टी ने इसे “संगठित वोट चोरी” करार दिया है।
कांग्रेस का बड़ा दावा: 69 लाख वोट हटाए गए
कांग्रेस ने अपने आधिकारिक X पोस्ट में लिखा—
“मोदी–शाह के इशारे पर चुनाव आयोग ने बिहार में SIR के जरिए 69 लाख वोट हटाए।
जिन लोगों के वोट हटाए गए, वे सभी विपक्षी वोटर थे। यह साफ–साफ वोट चोरी है।”
SIR यानी Special Revision of Electoral Roll, जिसके तहत आयोग मतदाता सूचियों में संशोधन करता है।
कांग्रेस का आरोप है कि इस प्रक्रिया के नाम पर लाखों असली वोटरों को सूची से बाहर कर दिया गया, और कई जगहों पर फर्जी या डुप्लीकेट वोट जोड़े गए।
NDA की ऐतिहासिक जीत और विपक्ष का अविश्वास
इस बार बिहार की जनता ने भारी बहुमत से NDA को सत्ता की ओर लौटाया है, लेकिन विपक्षी दलों का कहना है कि यह जीत “जनादेश नहीं, बल्कि चुनावी धांधली का नतीजा” है।
कांग्रेस नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि—
- कई बूथों पर मतदाता सूची समय पर उपलब्ध नहीं कराई गई
- बड़ी संख्या में लोगों को मतदान केंद्रों पर अपने नाम नहीं मिले
- EVM और VVPAT मिलान को लेकर कई शिकायतें अनसुनी रह गईं
पार्टी का कहना है कि बिहार में एक “आदर्श लोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया” का पालन नहीं किया गया।
चुनाव आयोग ने क्या कहा?
चुनाव आयोग की तरफ़ से इस मामले पर अभी आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि ECI “आरोपों को तथ्यहीन और राजनीतिक बयानबाज़ी” मानता है।
हालाँकि, कांग्रेस ने मांग की है कि—
- पूरे चुनाव की स्वतंत्र जांच हो
- हटाए गए 69 लाख नामों की सूची सार्वजनिक की जाए
- SIR प्रक्रिया की ऑडिट रिपोर्ट जारी की जाए

क्या यह 2024 की बहस का नया अध्याय है?
पिछले लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने “वोट चोरी” का मुद्दा जोर–शोर से उठाया था।
2025 के बिहार चुनाव के बाद फिर से यही आरोप सामने आने से लगता है कि यह बहस यहीं खत्म होने वाली नहीं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि—
- विपक्ष की लगातार हार
- NDA की मजबूत चुनावी मशीनरी
- और मतदाता सूची को लेकर उठते सवाल
इन सबसे आने वाले चुनावों में ये मुद्दे और तेज़ हो सकते हैं।
ज़मीनी हकीकत क्या कहती है?
बिहार में मतदान के बाद कई जिलों से रिपोर्ट आई थी कि हजारों मतदाता अपने बूथ पर पहुंचे, लेकिन उन्हें “नाम कट चुका है” कहकर लौटाया गया।
मुजफ्फरपुर की एक महिला मतदाता की शिकायत—
“हम हर चुनाव में वोट देते हैं, लेकिन इस बार हमारा नाम ही नहीं मिला। यह कैसे हो सकता है?”
ऐसी शिकायतें भले अलग–अलग जिलों से आईं हों, लेकिन आंकड़े अभी भी अस्पष्ट हैं।
कांग्रेस इन्हें “साजिश” मानती है, जबकि NDA इन्हें “प्राकृतिक प्रक्रियागत त्रुटि” कह रहा है।
आगे क्या?
कांग्रेस केंद्रीय चुनाव आयोग पर “दबाव में काम करने” का आरोप लगा रही है और इस पूरे मामले को संसद में भी उठाने की तैयारी कर चुकी है।
वहीं NDA ने कहा है कि—
“जब हार मिलती है, तो विपक्ष का पुराना बहाना यही होता है—EVM और वोट चोरी।”
अभी सबसे बड़ा सवाल यही है कि—
क्या कांग्रेस अपने दावों को ठोस सबूतों के साथ पेश कर पाएगी?
या यह सिर्फ़ चुनावी राजनीति का नया मोर्चा है?
बिहार में जनता ने फैसला सुना दिया है, लेकिन “वोट चोरी” की लड़ाई अब राजनीतिक गलियारों में और तेज़ होने वाली है।
अधिक अपडेट के लिए DAINIK DIARY

Rafat Ali Khan
November 15, 2025 at 12:52 pm
Nice contents
Rafat Ali Khan
November 15, 2025 at 12:52 pm
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