International
BRICS समिट 2025 पाकिस्तान पर घेरा ट्रंप को चेतावनी ईरान के पक्ष में खुला समर्थन 4 बड़े संदेश
रियो डी जेनेरियो में हुए ब्रिक्स सम्मेलन के घोषणापत्र ने सीमा पार आतंकवाद से लेकर अमेरिकी टैरिफ तक पर कड़ा रुख अपनाया वहीं ईरान को मिला खुला समर्थन।

ब्राजील के खूबसूरत शहर रियो डी जेनेरियो में BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान जो घोषणापत्र जारी हुआ, उसमें विश्व राजनीति को झकझोर देने वाले कई संकेत छिपे हैं। ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका सहित 11 सदस्य देशों के इस संगठन ने न सिर्फ आतंकवाद पर तीखा संदेश दिया, बल्कि अमेरिकी नीतियों, खासकर डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ युद्धों को लेकर भी अप्रत्यक्ष आलोचना की।
सबसे बड़ा संकेत आया पाकिस्तान को लेकर, जहां ब्रिक्स ने पहलगाम आतंकी हमले की कठोर निंदा करते हुए सीमापार आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ने की बात कही। हालांकि घोषणापत्र में किसी देश का नाम सीधे नहीं लिया गया, लेकिन आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाहों और उनकी सीमापार मूवमेंट का ज़िक्र साफ करता है कि निशाना इस्लामाबाद पर ही था।
दूसरी ओर, घोषणापत्र में अमेरिकी टैरिफ नीति पर भी चिंता जताई गई। ‘अंधाधुंध टैरिफ नीति’ से वैश्विक व्यापार व्यवस्था को नुकसान होने की बात कहते हुए, BRICS देशों ने व्यापार में बहुपक्षीयता और निष्पक्षता की आवश्यकता पर बल दिया। हालांकि ट्रंप का नाम सीधे नहीं लिया गया, लेकिन उनका जवाब भी देर नहीं लगा। Truth Social पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ने चेतावनी दी — “BRICS की नीतियों से जुड़ने वाले देशों पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगेगा। कोई अपवाद नहीं होगा।”
तीसरा बड़ा संदेश ईरान को समर्थन के रूप में उभरा। BRICS ने हालिया इज़राइल-अमेरिका द्वारा ईरानी सैन्य ठिकानों पर किए गए हमलों की निंदा करते हुए तेहरान के साथ खड़े होने की बात कही। हालांकि ईरान ने इज़रायल को लेकर घोषणापत्र के कुछ शब्दों पर आपत्ति जताई, लेकिन उसने फिर भी घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए। यह दिखाता है कि BRICS देशों में विचारों का अंतर होने के बावजूद वे अमेरिका और पश्चिमी प्रभाव के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं।

और आखिरी, लेकिन महत्वपूर्ण मुद्दा — चीन और रूस की गैरमौजूदगी। पहली बार, शी जिनपिंग जैसे मजबूत नेता सम्मेलन से अनुपस्थित रहे। वहीं व्लादिमीर पुतिन, जो यूक्रेन युद्ध में वॉर क्राइम्स के आरोपी हैं, वीडियो लिंक से शामिल हुए। इससे BRICS की नेतृत्व क्षमता और उसकी राजनीतिक धार को लेकर सवाल उठने लगे हैं, लेकिन इसके बावजूद घोषणापत्र ने एक ‘संयुक्त आवाज़’ के रूप में खुद को पेश किया।
BRICS का रियो घोषणापत्र इस बात की पुष्टि करता है कि संगठन अब केवल विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का मंच नहीं, बल्कि एक वैश्विक शक्ति संतुलन बन चुका है। आतंकवाद, ट्रेड वार्स और सामरिक रणनीति जैसे मुद्दों पर इसकी एकजुटता अब पूरी दुनिया को गंभीरता से सोचने पर मजबूर कर रही है।
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दुनिया में उथल-पुथल टेक्सास में बाढ़ से 100 से अधिक मौतें अफगानिस्तान पर भारत का रुख सख्त ट्रंप की यूक्रेन नीति में यू-टर्न
टेक्सास में भयावह बाढ़ से 28 बच्चों समेत 104 की मौत, भारत ने अफगान प्रस्ताव से बनाई दूरी, अमेरिका ने सीरिया और यूक्रेन पर बदला रुख

8 जुलाई 2025 को दुनियाभर से आईं कई बड़ी घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति और मानवीय संकटों को फिर सुर्खियों में ला दिया। टेक्सास की बाढ़ हो, अफगानिस्तान पर भारत का यूएन में रुख या फिर अमेरिका की बदलती यूक्रेन और सीरिया नीति — हर खबर ने दुनिया का ध्यान खींचा।
टेक्सास में तबाही: 100 से ज्यादा मौतें, 28 बच्चे शामिल
अमेरिका के टेक्सास राज्य में स्वतंत्रता दिवस वीकेंड पर आई भीषण बाढ़ ने अब तक 104 लोगों की जान ले ली है, जिनमें 28 बच्चे और 56 महिलाएं शामिल हैं। सबसे ज्यादा नुकसान Kerr County में हुआ, जहां का Camp Mystic — एक सदी पुराना गर्ल्स समर कैंप — पूरी तरह बह गया।
84 शव बरामद हो चुके हैं, जबकि 11 लोग अब भी लापता हैं। स्थानीय प्रशासन ने बताया कि बाढ़ से पहले कुछ समर कैंप्स को सावधानीपूर्वक खाली नहीं कराया गया, जिससे यह त्रासदी और भी गंभीर हो गई।
भारत ने अफगानिस्तान पर UN प्रस्ताव से बनाई दूरी
संयुक्त राष्ट्र महासभा में अफगानिस्तान पर लाए गए प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग से दूरी बनाते हुए ‘अलग रुख’ अपनाया है। भारत का कहना है कि केवल “Business as usual” वाले दृष्टिकोण से अफगान जनता की समस्याओं का हल नहीं निकलेगा।
The situation in Afghanistan’ शीर्षक वाले प्रस्ताव को 116 देशों ने समर्थन दिया, जबकि अमेरिका और इज़राइल ने विरोध किया और भारत समेत 12 देशों ने मतदान से दूरी बनाई।
ट्रंप का यूक्रेन पर यू-टर्न अब कह रहे हैं हथियार भेजने होंगे
पिछले हफ्ते जहां अमेरिका ने यूक्रेन को एयर डिफेंस मिसाइल और गाइडेड आर्टिलरी भेजने पर रोक लगाई थी, वहीं अब पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद कहा है कि हमें यूक्रेन को हथियार भेजने होंगे। यह बयान अमेरिकी रक्षा विभाग की उस चिंता के बाद आया है जिसमें घटते सैन्य भंडार को लेकर सवाल उठाए गए थे।
सीरिया के नए राष्ट्रपति के संगठन से हटाया गया ‘आतंकवादी टैग’
सीरिया में बशर अल-असद के पतन के बाद बने अहमद अल-शरा के नेतृत्व में नए शासन को लेकर अमेरिका ने बड़ी घोषणा की है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि इस संगठन से आतंकवादी संगठन का दर्जा हटाया जा रहा है, जिससे सीरिया के साथ “नई शुरुआत” की जा सके।
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इज़राइल ने यमन के 3 बंदरगाहों और एक पावर प्लांट पर किया हवाई हमला रेड सी में फिर बढ़ा तनाव
हुदैदा, रस ईसा और सलीफ बंदरगाहों के साथ रस कांतीब पावर प्लांट पर हुए हमले; हूती विद्रोहियों के हमलों के जवाब में इज़राइल की बड़ी सैन्य कार्रवाई

रेड सी (Red Sea) क्षेत्र में तनाव एक बार फिर चरम पर है। सोमवार सुबह, 7 जुलाई 2025 को इज़राइली रक्षा बलों (IDF) ने यमन के तीन महत्वपूर्ण बंदरगाहों और एक पावर प्लांट पर हवाई हमले किए। यह कार्रवाई लगभग एक महीने बाद की गई जब पिछले हफ्ते हुदैदा के पास एक वाणिज्यिक जहाज पर हमला हुआ और उसका दल जहाज छोड़कर भाग गया।
इज़राइल ने जिन ठिकानों पर हमले किए उनमें शामिल हैं
- हुदैदा (Hodeidah) बंदरगाह
- रस ईसा (Ras Isa)
- सलीफ (Salif) पोर्ट
- रस कांतीब (Ras Qantib) पावर प्लांट
इज़राइली सेना के अनुसार, यह जवाबी कार्रवाई हूती विद्रोहियों (Houthi Rebels) द्वारा इज़राइली हितों पर लगातार हो रहे हमलों के बाद की गई है। IDF के मुताबिक, इन हमलों का उद्देश्य हूती ठिकानों को कमजोर करना है, जो अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्गों को खतरे में डाल रहे हैं।
गैलेक्सी लीडर शिप बना विवाद का केंद्र
इज़राइल ने यह भी पुष्टि की कि रस ईसा पोर्ट में स्थित Galaxy Leader नामक जहाज को निशाना बनाया गया, जिसे नवंबर 2023 में हूती विद्रोहियों ने जब्त कर लिया था। IDF ने दावा किया है कि इस जहाज पर हूती आतंकवादियों ने रडार सिस्टम स्थापित किया है जिससे वे अंतरराष्ट्रीय समुद्री यातायात पर नजर रख रहे थे

हूती समर्थित मीडिया का आरोप
यमन के हूती नियंत्रित चैनल अल-मसीरा टीवी (Al-Masirah TV) ने बताया कि इज़राइली हमलों से पहले तीनों बंदरगाहों को खाली करने की चेतावनी दी गई थी। इसके बाद हुदैदा पर मिसाइलों की बारिश शुरू हो गई। टीवी रिपोर्ट में दावा किया गया कि आम नागरिकों को समय रहते बाहर निकालने की कोशिश की गई, लेकिन हमलों से भारी नुकसान हुआ है।
हमास-इज़राइल संघर्षविराम वार्ता भी बेनतीजा
इसी बीच, हमास और इज़राइल के बीच संघर्षविराम को लेकर पहली अप्रत्यक्ष बातचीत भी संपन्न हुई, लेकिन फिलिस्तीनी सूत्रों के अनुसार वार्ता में कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया। यह घटनाक्रम यमन पर इज़राइल के हमले के साथ ही सामने आया है, जिससे यह साफ है कि इज़राइल अब क्षेत्रीय स्तर पर बहु-आयामी रणनीति अपना रहा है।
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भारत के साथ डील के करीब हैं डोनाल्ड ट्रंप ने बताया क्यों नहीं लगाया टैरिफ
अमेरिका ने 14 देशों को भेजा टैरिफ लेटर, लेकिन भारत को छोड़ा डेयरी और कृषि क्षेत्र बना वार्ता में रोड़ा

वॉशिंगटन-नई दिल्ली व्यापार वार्ता में नया मोड़ आया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद यह साफ किया कि 14 देशों पर टैरिफ थोपने के बावजूद भारत को इससे बाहर रखा गया है क्योंकि अमेरिका, भारत के साथ एक व्यापक व्यापार समझौते के बेहद करीब है।
व्हाइट हाउस से जारी एक बयान में ट्रंप ने कहा हमने यूनाइटेड किंगडम और चीन के साथ डील की है। भारत के साथ भी हम डील करने के बेहद करीब हैं।” यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका ने जापान साउथ कोरिया बांग्लादेश और थाईलैंड जैसे बड़े सहयोगियों को टैरिफ लेटर भेजकर 1 अगस्त से लागू होने वाले हाई टैरिफ की चेतावनी दी है।
भारत को क्यों दी जा रही है छूट
द 45th प्रेसिडेंट ऑफ अमेरिका’, जो अब दोबारा चुनावी मैदान में हैं, इस रणनीति के जरिए नई दिल्ली से व्यापारिक तालमेल को प्राथमिकता दे रहे हैं। लेकिन अमेरिका और भारत के बीच सबसे बड़ा मतभेद डेयरी और कृषि उत्पादों पर टैरिफ को लेकर है। अमेरिका चाहता है कि भारत इन क्षेत्रों में रियायत दे, जबकि भारत की दलील है कि इन क्षेत्रों में छूट देना देश की खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण आजीविका के लिए खतरनाक हो सकता है।
कृषि पर रियायत: भारत के लिए मुश्किल फैसला
भारत की $3.9 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में कृषि का सीधा योगदान भले ही 16% हो, लेकिन यह देश की लगभग आधी आबादी का पेट भरती है। अमेरिका से सस्ते कृषि और डेयरी उत्पादों के आयात से स्थानीय उत्पादकों को नुकसान हो सकता है, जिससे कीमतें गिर सकती हैं और राजनीतिक विवाद खड़ा हो सकता है।
ट्रंप की रणनीति और चुनावी राजनीति
ट्रंप की यह व्यापारिक चाल सिर्फ आर्थिक नहीं बल्कि राजनीतिक भी मानी जा रही है। वे 2024 की तरह 2028 के चुनावी अभियान के लिए अमेरिका फर्स्ट नीति को फिर से सामने लाने की कोशिश में हैं। भारत को टैरिफ से बाहर रखना एक तरफ जहां व्यापारिक संतुलन की दिशा है, वहीं दूसरी तरफ भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत बनाने का प्रयास भी है।
क्या जल्द होगी भारत-अमेरिका डील
सूत्रों की मानें तो भारत और अमेरिका के व्यापार वार्ताकार एक अंतरिम ट्रेड डील को अंतिम रूप देने की तैयारी में हैं, लेकिन यह तब तक संभव नहीं होगा जब तक डेयरी और कृषि जैसे मुद्दों पर सहमति नहीं बनती। नई दिल्ली ने स्पष्ट संकेत दिया है कि इन क्षेत्रों को किसी भी मुक्त व्यापार समझौते से बाहर रखा जाना चाहिए।
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