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Politics

Palghar Lynching विवाद में BJP की U-turn से हलचल, कौन हैं काशीनाथ चौधरी जिन पर उठा सियासी तूफ़ान?

NCP(SP) से आए काशीनाथ चौधरी की BJP में एंट्री 24 घंटे में रोकी गई—MVA ने 2020 पालघर लिंचिंग केस का मुद्दा उठाकर सरकार को घेरा, चौधरी बोले—मेरे ख़िलाफ़ राजनीतिक साज़िश।

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BJP U-turn on Palghar Lynching Accused Kashinath Chaudhari | Full Political Controversy Explained | Dainik Diary
पालघर लिंचिंग विवाद के बीच BJP का U-turn—काशीनाथ चौधरी बोले, ‘मैं साज़िश का शिकार।’

महाराष्ट्र की राजनीति में अचानक तेज़ उबाल आ गया है। 2020 के चर्चित पालघर साधु लिंचिंग मामले की अनुगूँज एक बार फिर गूंज उठी, और इस बार विवाद के केंद्र में हैं—काशीनाथ चौधरी, जो हाल ही में NCP(SP) छोड़कर BJP में शामिल हुए थे।

लेकिन हैरानी यह रही कि सिर्फ़ 24 घंटे बाद ही BJP ने उनकी इंडक्शन को ‘स्टे’ कर दिया। इसकी वजह—MVA गठबंधन द्वारा उठाया गया पुराना आरोप कि बीजेपी ने खुद ही चौधरी को “मुख्य आरोपी” बताया था.

चौधरी ने इस पूरे विवाद को “निर्मम राजनीतिक साज़िश” बताया है।


BJP का U-turn: 24 घंटे में क्यों रोकना पड़ा निर्णय?

सोमवार को चौधरी की BJP में शामिल होने की घोषणा हुई, और मंगलवार शाम तक राजनीतिक हलचल इतनी बढ़ गई कि पार्टी को बैकफुट पर आना पड़ा।

MVA की तरफ़ से आरोप लगा:

  • BJP ने 2020 में ही चौधरी को “मुख्य आरोपी” कहा था
  • अब उन्हीं को पार्टी में शामिल करना—नैतिक और राजनीतिक विरोधाभास

हमेशा की तरह सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा आग की तरह फैल गया। कई नेताओं ने 2020 के बयान की क्लिप्स और फ़ोटो शेयर करते हुए BJP को घेरा।


कौन हैं काशीनाथ चौधरी?

  • पूर्व NCP(SP) नेता
  • पालघर जिला परिषद सदस्य
  • पालघर के ग्रामीण नेटवर्क में मजबूत पकड़
  • स्थानीय राजनीति में लंबे समय से सक्रिय
  • 2020 में पालघर लिंचिंग की जांच के दौरान नाम चर्चा में आया

चौधरी का दावा है कि उनका नाम सिर्फ़ राजनीतिक कारणों से घसीटा गया था।

उन्होंने साफ कहा:
“मैं पूरी तरह निर्दोष हूँ। मेरे परिवार पर बेवजह मानसिक और सामाजिक दबाव डाला जा रहा है। यह सब राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है।”


2020 पालघर लिंचिंग केस क्या था? (संक्षेप में)

18 अप्रैल 2020 को लॉकडाउन के दौरान दो साधुओं और उनके ड्राइवर की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी।

यह मामला देशभर में चर्चा में रहा क्योंकि—

  • पुलिस की मौजूदगी में भीड़ हिंसक हुई
  • फेक अफवाहों के कारण भीड़ उग्र हुई
  • राजनीतिक पार्टियों ने इस घटना पर एक-दूसरे पर निशाना साधा

उस समय BJP ने कई नेताओं के नाम उठाए, जिनमें चौधरी भी शामिल थे।

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MVA का BJP पर हमला: “राजनीति में दोहरा चेहरा”

MVA ने तीखे शब्दों में कहा:

  • BJP पहले चौधरी को “मुख्य आरोपी” बताए
  • बाद में उन्हीं को पार्टी में शामिल कर ले
  • यह दिखाता है कि सत्ता के लिए BJP किसी भी हद तक जा सकती है

कुछ नेताओं ने इसे “राजनीतिक पाखंड” तक कहा।


चौधरी का पलटवार: “मुझे बलि का बकरा बनाया जा रहा है”

मीडिया से बात करते हुए चौधरी ने कहा:

“मेरे खिलाफ़ 2020 में कोई ठोस सबूत नहीं मिला था। फिर भी राजनीतिक पार्टियों ने मुझे बदनाम करने की कोशिश की। अब भी वही हो रहा है। सारा हमला सिर्फ़ मेरे परिवार पर भार डालने के लिए है।”

उन्होंने यह भी कहा कि वे आगे कानूनी कार्रवाई पर विचार कर रहे हैं।


BJP का मौजूदा रुख: ‘हम पुनः समीक्षा करेंगे’

BJP ने अपने बयान में कहा—

  • मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए इंडक्शन रोका गया
  • पार्टी नेतृत्व अब मामले की समीक्षा करेगा
  • चौधरी की भूमिका और पुराने आरोपों का पुनर्मूल्यांकन होगा

ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी 2024 लोकसभा और 2026 विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए कोई जोखिम नहीं लेना चाहती।


क्या यह विवाद लंबा चलेगा?

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि—

  • विपक्ष इस मुद्दे को विधानसभा तक लेकर जाएगा
  • BJP को अपनी पुरानी बयानबाजी के कारण मुश्किल सवालों का सामना करना पड़ेगा
  • चौधरी की राजनीतिक भविष्य पर भी यह विवाद असर डाल सकता है

MVA इसे “नैरेटिव वर्सेस नैरेटिव” वाली लड़ाई के रूप में आगे बढ़ा रहा है।

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