Politics
बीजेपी सांसद जगन्नाथ सरकार के ‘नो बार्ब्ड वायर’ बयान पर बवाल – बंगाल की सियासत में मचा तूफान
बंगाल के रानाघाट से सांसद जगन्नाथ सरकार ने कहा – “अगर बीजेपी सत्ता में आई तो भारत-बांग्लादेश के बीच नहीं रहेगा कांटेदार बाड़”, विपक्ष ने बताया राष्ट्रीय सुरक्षा पर हमला।
पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बयान ने हलचल मचा दी है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद जगन्नाथ सरकार ने कहा कि अगर उनकी पार्टी बंगाल में सत्ता में आती है तो “भारत और बांग्लादेश के बीच कांटेदार बाड़ की जरूरत नहीं रहेगी”। इस बयान के बाद विपक्ष, खासकर तृणमूल कांग्रेस (TMC), ने बीजेपी पर तीखा हमला बोला है।
क्या कहा जगन्नाथ सरकार ने?
रानाघाट के सांसद जगन्नाथ सरकार ने 30 अक्टूबर को कृष्णागंज में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा –
“हम वादा करते हैं कि अगर हम इस बार चुनाव जीतते हैं, तो भारत-बांग्लादेश को अलग करने वाली कांटेदार तार की बाड़ अब नहीं रहेगी। हम पहले एक थे, और भविष्य में फिर एक होंगे।”
जब यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो हड़कंप मच गया। विपक्ष ने इस बयान को देश की सीमाओं की अखंडता से खिलवाड़ बताया। हालांकि, खुद जगन्नाथ सरकार ने बाद में सफाई दी कि उनके बयान का गलत अर्थ निकाला गया है।
उन्होंने कहा – “अभी जरूरत है बाड़ की, लेकिन जब बंगाल ‘शोनार बांग्ला’ बन जाएगा और बांग्लादेश हमारे विकास को देखेगा, तो उन्हें खुद महसूस होगा कि अब किसी बाड़ की जरूरत नहीं।”
अभिषेक बनर्जी का तीखा हमला
टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने इस बयान को लेकर बीजेपी पर करारा प्रहार किया। उन्होंने ‘X’ (पूर्व ट्विटर) पर लिखा –
“बीजेपी का दोहरा चरित्र सामने आ गया है। एक ओर अमित शाह पश्चिम बंगाल सरकार पर सीमा सुरक्षा को लेकर आरोप लगाते हैं, वहीं उनके अपने सांसद सीमा मिटाने की बात कर रहे हैं!”
अभिषेक ने आगे लिखा कि “बीजेपी की चुप्पी इस बात का संकेत है कि यह बयान पार्टी की सहमति से दिया गया है।”

बीजेपी नेताओं की खामोशी
बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता इस विवाद पर चुप्पी साधे हुए हैं। पार्टी की विधायक अग्निमित्रा पॉल ने कहा – “वरिष्ठ नेता इस मामले को देखेंगे।”
हालांकि, सूत्रों के अनुसार, पार्टी हाईकमान इस बयान से असहज है क्योंकि यह सीधे उनके “घुसपैठ रोकने” वाले एजेंडे से टकराता है।
बयान के पीछे की राजनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जगन्नाथ सरकार का यह बयान दरअसल मटुआ समुदाय को साधने की कोशिश है, जो सीमा पार से आए हिंदू शरणार्थियों का बड़ा वोट बैंक है।
लेकिन यह बयान बीजेपी के ही राष्ट्रवादी और सख्त सीमा नियंत्रण वाले रुख से विरोधाभासी दिखता है।
वर्तमान में पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विवाद जारी है। बीजेपी इसे “घुसपैठियों को छांटने” की प्रक्रिया बता रही है, जबकि टीएमसी इसे “छिपे हुए NRC” के रूप में देख रही है।
बीजेपी की उलझन
बंगाल में चुनावी माहौल गर्म है, और बीजेपी को मटुआ वोट बैंक संभालने की चुनौती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में इन्हीं वोटों ने पार्टी को 18 सीटें दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन अब हालात बदल गए हैं — टीएमसी ने इस समुदाय में दोबारा पकड़ बना ली है।
ऐसे में बीजेपी के लिए एक तरफ घुसपैठ विरोधी अभियान चलाना और दूसरी तरफ मटुआ समुदाय को नाराज न करना, दोनों को संतुलित रखना मुश्किल हो रहा है।
निष्कर्ष
जगन्नाथ सरकार का “नो बार्ब्ड वायर” बयान सिर्फ एक राजनीतिक टिप्पणी नहीं, बल्कि बंगाल की सियासत में बीजेपी की वैचारिक दुविधा को उजागर करता है। जहाँ एक ओर पार्टी खुद को राष्ट्रवादी और सीमा-सुरक्षा केंद्रित बताती है, वहीं दूसरी ओर उसके नेता ऐसे बयान देकर विरोधियों को हथियार दे रहे हैं।
अब देखना यह होगा कि पार्टी इस विवाद से कैसे निकलती है — सफाई देकर या चुप रहकर।
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