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Bihar Chunav 2025: वोट डालना हुआ अब थोड़ा मुश्किल! 2003 से पहले बने वोटरों को देने होंगे नए सर्टिफिकेट
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग की बड़ी कार्रवाई, वोटर लिस्ट में नाम बनाए रखने के लिए पुराने वोटरों को साबित करनी होगी अपनी पात्रता।

बिहार चुनाव 2025 से पहले देश की चुनाव प्रणाली में एक बड़ा बदलाव सामने आया है। चुनाव आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) के तहत नए नियम लागू किए हैं, जिससे 2003 से पहले के मतदाताओं को अब दोबारा अपनी नागरिकता और पात्रता साबित करनी होगी। यह कदम, वोटर लिस्ट में सुधार और गलत जानकारी को हटाने के उद्देश्य से उठाया गया है, लेकिन इसने कई पुराने मतदाताओं की चिंता भी बढ़ा दी है।
क्या है नया आदेश?
चुनाव आयोग ने अपने मंगलवार को जारी निर्देश में कहा कि 2003 से पहले मतदाता सूची में नाम दर्ज करवाने वालों को अब अपनी पात्रता के लिए दस्तावेजों का प्रमाण देना होगा। साथ ही, 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्म लेने वाले वोटरों को माता या पिता की जन्म तिथि या जन्म स्थान का प्रमाण प्रस्तुत करना अनिवार्य कर दिया गया है। जबकि 2 दिसंबर 2004 के बाद जन्म लेने वाले नागरिकों को दोनों अभिभावकों की जन्मतिथि और जन्मस्थान का प्रमाण देना होगा।
चुनाव आयोग की मंशा क्या है?
यह नया कदम नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत मतदाता पात्रता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लागू किया गया है। चुनाव आयोग के अनुसार, इस प्रक्रिया से मतदाता सूची में मौजूद फर्जी नामों, दोहराव और अवैध प्रविष्टियों को हटाया जा सकेगा। 1952 से 2004 के बीच आयोग ने 13 बार इस विशेष शक्ति का प्रयोग किया है और यह चौदहवीं बार किया जा रहा है।
चुनाव से पहले क्यों लिया गया ये फैसला?
सूत्रों की मानें तो बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को देखते हुए यह एक रणनीतिक कदम है ताकि मतदाता सूची अधिक पारदर्शी और वास्तविक हो। राज्य में अक्सर मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर विवाद उठते रहे हैं, ऐसे में यह पहल साफ-सुथरे चुनाव की दिशा में अहम साबित हो सकती है।
क्या होंगे इसके प्रभाव?
यह फैसला एक तरफ जहां फर्जी वोटरों और दोहरे पंजीकरण पर रोक लगाएगा, वहीं दूसरी ओर पुराने और ग्रामीण मतदाताओं के लिए यह एक नया बोझ भी बन सकता है। कई लोगों के पास जन्म से जुड़े दस्तावेज नहीं होते, ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आयोग इस प्रक्रिया को कैसे सरल बनाता है।