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पहलगाम आतंकी हमले पर असदुद्दीन ओवैसी का बयान सोशल मीडिया पर चर्चा में
AIMIM प्रमुख ओवैसी ने कहा – “मैं ख्वाबों में नहीं, हकीकत में जीता हूं”

पहलगाम (जम्मू-कश्मीर) में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को हिला दिया था। बाइसारन घाटी, जिसे “मिनी स्विट्ज़रलैंड” कहा जाता है, पर आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाकर गोलियां बरसाईं। इस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए। गोलियों की तड़तड़ाहट के बीच पर्यटक इधर-उधर भागे लेकिन खुले मैदान में उन्हें कहीं भी छिपने की जगह नहीं मिली।
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हमले के बाद केंद्र सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। इसके साथ ही भारत ने पाकिस्तान पर और दबाव बनाते हुए दशकों पुराने सिंधु जल संधि को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दिया और पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने का फैसला किया। हालांकि हालात और बिगड़े जब पाकिस्तान ने ड्रोन के जरिए भारत के नागरिक क्षेत्रों पर हमला करना शुरू किया। आखिरकार 10 मई को दोनों देशों के बीच एक समझौते के तहत जमीनी, हवाई और समुद्री कार्रवाई को तत्काल रोक दिया गया।

इस पूरे घटनाक्रम के बीच असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM प्रमुख) का बयान सुर्खियों में रहा। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकार ने उनसे सवाल पूछा कि अगर वे प्रधानमंत्री होते तो पहलगाम हमले के बाद क्या कदम उठाते। इस पर ओवैसी ने बेबाकी से कहा –
“मेरे भाई, ये ख्वाब देखने का मुझे शौक नहीं। मैं हकीकत में जीता हूं और अपनी सीमा जानता हूं। हमारा मकसद सिर्फ सत्ता में बैठना या मंत्री बनना नहीं है।”
ओवैसी ने सवाल किया कि भारत ने पाकिस्तान को जवाब देना क्यों बंद कर दिया। उन्होंने कहा, “पहलगाम के बाद हमारे पास सख्त जवाब देने का मौका था। लेकिन अचानक ऑपरेशन क्यों रोक दिया गया? पूरा देश निर्णायक कदम उठाने को तैयार था, फिर क्यों रुका? अब संसद में PoK पर चर्चा होती है, लेकिन मौके पर कार्रवाई क्यों रोकी गई?”
ओवैसी के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। कुछ लोग उनके बयान को व्यावहारिक मान रहे हैं तो कुछ उनकी आलोचना करते हुए कह रहे हैं कि ऐसे वक्त में देश को एकजुटता की ज़रूरत है, न कि राजनीति की।
गौरतलब है कि असदुद्दीन ओवैसी हमेशा से अपने तीखे सवालों और बेबाक अंदाज़ के लिए जाने जाते हैं। वे पहले भी पाकिस्तान और आतंकी घटनाओं पर केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते रहे हैं। इस बार भी उनका बयान सियासी हलकों और आम जनता के बीच गहरी चर्चा का विषय बन गया है।
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