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अमित शाह ने अपनाया स्वदेशी Zoho Mail सबको चौंकाने वाला ट्रंप स्टाइल ऐलान
Union Home Minister अमित शाह ने अमेरिकी दबाव और टैरिफ पॉलिसी के बीच ‘मेड इन इंडिया’ Zoho Mail का चुनाव किया, ट्वीट में दिया अनोखा संदेश

भारत में लंबे समय से ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘डिजिटल इंडिया’ की बात होती रही है। अब इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है देश के गृह मंत्री अमित शाह ने। बुधवार को शाह ने अपने आधिकारिक ईमेल प्लेटफॉर्म को बदलते हुए घोषणा की कि वह अब विदेशी सेवाओं पर निर्भर न रहकर देशी सॉफ़्टवेयर कंपनी Zoho के ईमेल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करेंगे।
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शाह ने ट्वीट करते हुए लिखा –
“Hello everyone, I have switched to Zoho Mail. Kindly note the change in my email address… For future correspondence kindly use this address.”
इस संदेश की खासियत सिर्फ़ Zoho Mail अपनाना नहीं थी, बल्कि यह भी था कि शाह ने अपने बयान को एक अलग ही अंदाज़ में रखा। उनका ट्वीट पढ़ते ही लोगों को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति Donald Trump की याद आ गई, जो इसी अंदाज़ में अपने संदेशों को प्रस्तुत करते थे।
स्वदेशी को बढ़ावा
Zoho, जो कि Sridhar Vembu द्वारा स्थापित भारतीय कंपनी है, आज दुनिया भर में एक भरोसेमंद SaaS (Software as a Service) प्लेटफ़ॉर्म के रूप में जानी जाती है। सरकार द्वारा डेटा सुरक्षा और स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देने की अपील के बीच शाह का यह कदम प्रतीकात्मक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है।

अमेरिकी दबाव और भारतीय जवाब
हाल ही में अमेरिका ने भारत पर कई तरह के व्यापारिक दबाव बनाए हैं, जिसमें tariffs भी शामिल हैं। ऐसे में शाह का Zoho Mail का चयन सीधे-सीधे ‘स्वदेशी को अपनाओ’ का संदेश देता है। यह कदम युवाओं और सरकारी संस्थानों को भी प्रेरित कर सकता है कि वे विदेशी विकल्पों की जगह भारतीय तकनीक को प्राथमिकता दें।
सोशल मीडिया पर चर्चा
जैसे ही शाह का ट्वीट सामने आया, ट्विटर (अब X) पर Zoho Mail ट्रेंड करने लगा। कई यूज़र्स ने इसे “Digital Freedom Move” बताया तो कई ने कहा कि यह आने वाले समय की दिशा तय कर सकता है। दिलचस्प बात यह रही कि शाह का सिग्नेचर स्टाइल “ट्रंप टच” सोशल मीडिया पर मीम्स का विषय भी बन गया।
Zoho का बढ़ता प्रभाव
Zoho पहले ही छोटे-मोटे व्यवसायों से लेकर बड़ी कंपनियों तक अपनी सेवाओं के लिए लोकप्रिय है। अब जब भारत के गृह मंत्री ने इसे अपनाया है, तो यह माना जा रहा है कि अन्य मंत्रालय और सरकारी संस्थाएं भी इसी रास्ते पर चल सकती हैं।
भारत में इससे पहले नितिन गडकरी, रविशंकर प्रसाद और कई अन्य नेताओं ने भी स्वदेशी तकनीक की वकालत की है। शाह का यह कदम इसी श्रृंखला में एक और मजबूत पहल है।