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एयर इंडिया विमान हादसे पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा – “पायलट के पिता को बेटे पर लगे आरोपों का बोझ नहीं उठाना चाहिए”

सुप्रीम कोर्ट ने एयर इंडिया ड्रीमलाइनर हादसे में मृत पायलट कमांडर सुमीत सभरवाल के पिता की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। अदालत ने विदेशी मीडिया की “गंदी रिपोर्टिंग” पर भी नाराजगी जताई।

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Supreme Court Issues Notice to Centre on Air India Crash Pilot’s Father Plea | Dainik Diary
सुप्रीम कोर्ट ने कहा – “एक पिता को बेटे पर लगे आरोपों का बोझ नहीं उठाना चाहिए”; एयर इंडिया विमान हादसे की स्वतंत्र जांच की मांग पर केंद्र को नोटिस।

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एयर इंडिया बोइंग ड्रीमलाइनर विमान हादसे में मारे गए पायलट कमांडर सुमीत सभरवाल के पिता की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। अदालत ने कहा कि “एक पिता को अपने बेटे पर लगे ऐसे आरोपों का बोझ नहीं उठाना चाहिए।”

यह मामला 12 जून को हुए उस एयर इंडिया विमान हादसे से जुड़ा है, जिसमें 260 लोगों की मौत हुई थी। विदेशी मीडिया ने हादसे के तुरंत बाद इसे “पायलट की गलती” बताने वाली रिपोर्टें प्रकाशित की थीं।

“विदेशी मीडिया की रिपोर्टिंग शर्मनाक”

न्यायमूर्ति सूर्या कांत और जॉयमाल्या बागची की दो सदस्यीय पीठ ने इस रिपोर्टिंग पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, “बिना जांच पूरी हुए किसी पायलट को दोषी ठहराना न केवल अनुचित है, बल्कि यह उन परिवारों के साथ क्रूरता है जो पहले ही अपनों को खो चुके हैं।”

अदालत ने कहा कि हादसे की सच्चाई का पता लगाने के लिए एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच जरूरी है। “हम ऐसी स्थिति नहीं बनने देंगे जहां मृत व्यक्ति की प्रतिष्ठा को मीडिया ट्रायल के जरिए धूमिल किया जाए,” जजों ने कहा।

पिता की याचिका में क्या कहा गया

मृत पायलट के पिता पुष्कर राज सभरवाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि इस हादसे की जांच किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से कराई जाए, ताकि यह साफ हो सके कि उनके बेटे की कोई गलती नहीं थी।
उन्होंने कहा कि “विदेशी मीडिया की गलत रिपोर्टिंग” से न केवल उनके बेटे की साख पर असर पड़ा है बल्कि पूरे परिवार को मानसिक पीड़ा हुई है।

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अदालत की टिप्पणी

अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा, “हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे मामलों में मृत व्यक्तियों की गरिमा बनी रहे। कोई पिता यह बोझ नहीं उठाए कि उसका बेटा किसी हादसे का दोषी ठहराया गया, जब सच्चाई अब तक सामने ही नहीं आई।”

पीठ ने केंद्र सरकार, नागरिक उड्डयन मंत्रालय और एयर इंडिया को नोटिस जारी करते हुए कहा कि वे आठ सप्ताह के भीतर अपने जवाब दाखिल करें। अदालत ने यह भी पूछा कि क्या डीजीसीए (DGCA) या किसी अन्य एजेंसी ने अब तक कोई प्रारंभिक जांच रिपोर्ट जारी की है।

“यह न्याय के प्रति समाज की जिम्मेदारी है”

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह केवल एक परिवार का मामला नहीं है, बल्कि न्याय और मानवीय संवेदना की कसौटी है। “हर बार जब किसी हादसे में कोई पायलट या चालक मारा जाता है, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि वह अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए जान गंवाता है,” अदालत ने कहा।

हादसे की पृष्ठभूमि

12 जून को हुई इस भीषण दुर्घटना में एयर इंडिया बोइंग ड्रीमलाइनर विमान टेकऑफ के दौरान नियंत्रण खो बैठा और रनवे से फिसलकर आग की लपटों में घिर गया। हादसे में 260 यात्रियों की मौत हुई, जबकि दर्जनों घायल हुए। प्रारंभिक रिपोर्टों में तकनीकी खराबी और मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों का उल्लेख किया गया था।

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