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Narayana Murthy का 72 घंटे काम का सुझाव फिर विवादों में डॉक्टर बोले—‘ये प्रोडक्टिव नहीं, हेल्थ के लिए खतरनाक है’
इंफोसिस फाउंडर ने चीन के 9-9-6 मॉडल का फिर समर्थन किया, डॉक्टरों ने कहा—लंबा वर्कवीक नींद, दिल, दिमाग और इम्यूनिटी को बुरी तरह नुकसान पहुंचाता है
इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति एक बार फिर चर्चा में हैं।
उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान दावा किया कि भारत की आर्थिक प्रगति के लिए युवाओं को चीन की तरह ‘9-9-6 वर्क कल्चर’ अपनाना चाहिए—यानी सुबह 9 से रात 9 बजे तक, हफ़्ते में 6 दिन, कुल 72 घंटे काम।
2023 में भी उन्हाेंने 70 घंटे वर्कवीक की सलाह दी थी, जिस पर सोशल मीडिया में भारी विवाद हुआ था।
इस बार भी इंटरनेट दो हिस्सों में बंट गया है—कुछ लोग मूर्ति के विचार को “कठोर पर आवश्यक” मानते हैं, जबकि बड़ी संख्या में लोग इसे “वर्क-लाइफ बैलेंस खत्म करने वाला कदम” बता रहे हैं।
इस बहस के बीच कई डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी देते हुए कहा कि लंबे काम के घंटे न सिर्फ मानसिक रूप से, बल्कि शारीरिक रूप से भी बेहद नुकसानदेह हैं।

डॉक्टरों की चेतावनी—72 घंटे काम शरीर को अंदर से तोड़ देता है
Bh ubneshwar के मणिपाल अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप नारायण साहू ने कहा—
“72 घंटे काम शुरू में तो अच्छा लगता है, लेकिन यह आपके शरीर को अंदर से तोड़ देता है।
लगातार काम से स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल बढ़ जाता है, जिससे चिड़चिड़ापन, एंग्जायटी, थकान और बर्नआउट होने लगता है।”
सबसे पहले नींद पर हमला
डॉक्टर के अनुसार—
- लंबे समय तक काम करने से नींद की अवधि और गुणवत्ता दोनों घट जाती हैं।
- इससे कॉन्सेंट्रेशन, मेमोरी और निर्णय लेने की क्षमता कमजोर होती है।
“नींद, भोजन और व्यायाम—तीनों पर पड़ता है असर”
बैंगलुरु के Manipal Hospital के डॉक्टर प्रमोद वी सत्य ने कहा—
“अच्छे स्वास्थ्य की तीन बुनियादें हैं—नींद, डाइट और एक्सरसाइज।
60–72 घंटे का वर्कवीक इन तीनों को बिगाड़ देता है।
इसका असर डायबिटीज, मोटापा, हाई BP और थकान के रूप में सामने आता है।”
उन्होंने बताया कि गहरी Non-REM नींद के दौरान शरीर ऐसे केमिकल बनाता है जो मूड, फोकस और इमोशनल बैलेंस को स्थिर रखते हैं।
नींद खराब होने पर—
✔ माइग्रेन
✔ IBS
✔ एंग्जायटी
✔ पैनिक अटैक
✔ नर्व पेन
जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
लंबे समय तक बैठने या खड़े रहने से भी बढ़ता है जोखिम
डॉ. साहू के अनुसार—
- लगातार बैठने से बैक पेन, गर्दन दर्द, सिरदर्द और मसल स्टिफ़नेस बढ़ जाते हैं।
- लंबे घंटों तक तनाव में रहने से हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों का जोखिम भी बढ़ता है।
डॉ. सत्य ने जोड़ा—
“नियमित एक्सरसाइज न होने से हृदय, फेफड़े और मसल्स कमजोर होते जाते हैं।
शरीर धीरे-धीरे मेटाबॉलिक और कार्डियोवस्कुलर रिस्क की ओर बढ़ने लगता है।”

अनियमित भोजन, जंक फूड और मोटापा—लंबे काम का सीधा असर
लंबे काम के घंटे का असर खाने की आदतों पर भी होता है:
- लोग नाश्ता छोड़ देते हैं
- देर से भोजन करते हैं
- झटपट जंक फूड पर निर्भर हो जाते हैं
डॉक्टरों के अनुसार, यह आदतें—
✔ फैटी लिवर
✔ हाई कोलेस्ट्रॉल
✔ इंसुलिन रेजिस्टेंस
✔ मोटापा
✔ शुगर का खतरा
बढ़ा देती हैं।
इम्यूनिटी भी कमजोर, बीमारियाँ जल्दी पकड़ती हैं
डॉ. साहू का कहना है—
“लगातार ओवरवर्क से इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ जाता है।
शरीर जल्दी बीमार पड़ता है, रिकवरी धीमी हो जाती है और क्रॉनिक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।”
निष्कर्ष—72 घंटे का वर्कवीक ‘उत्पादकता’ नहीं, एक ‘हेल्थ हैज़र्ड’ है
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है:
“लंबे घंटे काम करना देश नहीं बनाता, बल्कि बीमार लोग तैयार करता है।”
वे कहते हैं कि—
- सीमित कार्य घंटे
- पर्याप्त नींद
- संतुलित भोजन
- नियमित व्यायाम
- और मानसिक स्वास्थ्य
किसी भी व्यक्ति और देश की दीर्घकालिक प्रगति के लिए सबसे जरूरी हैं।
