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“Even masks not enough”: दिल्ली की ‘सेवियर’ प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी — वर्चुअल हियरिंग की सलाह वकीलों को
दिल्ली में हवा का ज़हर ‘खतरनाक’ स्तर पर पहुँचा — AQI 400 से ऊपर; जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा बोले, “ये स्थायी नुकसान करेगा, मास्क भी काफी नहीं।”
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर एक बार फिर खतरनाक सीमा पार कर चुका है। गुरुवार सुबह एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) कई इलाकों में 400 के पार पहुंच गया, जिससे हवा “severe category” में दर्ज की गई।
इस चिंताजनक स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट ने भी कड़ा रुख अपनाया है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: “मास्क भी काफी नहीं”
गुरुवार (13 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट में एक सुनवाई के दौरान जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा (Justice P.S. Narsimha) ने वकीलों से कहा —

“आप सब यहाँ क्यों आ रहे हैं? हमारे पास वर्चुअल हियरिंग की सुविधा है, कृपया उसका उपयोग करें। यह प्रदूषण स्थायी नुकसान करेगा। मास्क भी काफी नहीं हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि इस विषय पर वे मुख्य न्यायाधीश (CJI) से भी चर्चा करेंगे, ताकि वकीलों और न्यायिक कर्मचारियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उपाय किए जा सकें।
दिल्ली की हवा ‘ज़हर’ बनी
गुरुवार सुबह 8 बजे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ (Severe) श्रेणी में रही।
- बवाना: AQI 460 (सबसे खराब)
- इंडिया गेट और कर्तव्य पथ: AQI 396 (Very Poor)
- NSIT द्वारका: AQI 216 (Poor category में सबसे कम)
बुधवार शाम 4 बजे दिल्ली का औसत AQI 418 दर्ज किया गया था — जो कि इस मौसम में अब तक का सबसे ऊँचा स्तर है।
GRAP-III के बावजूद हालात खराब
दिल्ली-NCR में Graded Response Action Plan (GRAP)-III पहले से लागू है, जिसमें निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध, डीज़ल वाहनों पर रोक और सड़क पर पानी का छिड़काव जैसे कदम शामिल हैं।
फिर भी प्रदूषण में सुधार नहीं दिख रहा है।
सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख पंजाब और हरियाणा पर
बुधवार को हुई पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकारों से पूछा कि पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए उन्होंने अब तक क्या कदम उठाए हैं।
कोर्ट ने दोनों राज्यों को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल Commission for Air Quality Management (CAQM) की रिपोर्ट में कहा गया —
“पराली जलाना अब भी गंभीर चिंता का विषय है। यह दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण में 10% से लेकर 30% तक योगदान देता है।”
वाहन और धूल भी हैं बड़े कारण
CAQM ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि दिल्ली में वाहन प्रदूषण (vehicular emissions) अभी भी PM 2.5 के सबसे बड़े स्रोत हैं।
इसके अलावा निर्माण गतिविधियाँ और सड़क धूल भी प्रदूषण के स्तर को बढ़ा रही हैं।
दिल्ली में ज़िंदगी ‘मास्क के भीतर’
दिल्लीवासियों ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराज़गी और चिंता दोनों जताई हैं। कई लोगों ने लिखा कि “अब N95 भी बेअसर लग रहा है।”
एक यूज़र ने कहा — “यह गैस चैंबर बन गया है। सुबह उठना भी डरावना लगता है।”
कब सुधरेगी हवा?
मौसम विभाग के अनुसार, अगले तीन दिनों में हल्की हवा चलने की संभावना है, जिससे वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार हो सकता है। लेकिन अगर पराली जलना और वाहनों का धुआं जारी रहा, तो दिल्ली की हवा फिलहाल राहत नहीं देने वाली।
