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बिहार चुनाव एग्जिट पोल: महागठबंधन की जमीन खिसकी, NDA को बहुमत के आसार – क्या PK फैक्टर बना गेमचेंजर?
एग्जिट पोल्स में एनडीए को मिली बड़ी बढ़त, आरजेडी और कांग्रेस को झटका, प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी के सीमित असर की चर्चा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के एग्जिट पोल नतीजों ने सियासी हलचल मचा दी है। इस बार अधिकांश सर्वेक्षणों ने एनडीए (NDA) को भारी बहुमत के आसार बताए हैं, जबकि महागठबंधन (Grand Alliance) का प्रदर्शन 2020 के मुकाबले काफी कमजोर नजर आ रहा है।
पटनाः आठ प्रमुख एग्जिट पोल एजेंसियों — दैनिक भास्कर, मेट्रिज, पीपल्स इनसाइट, चाणक्य स्ट्रैटेजीज़ और पीपल्स पल्स — ने भविष्यवाणी की है कि एनडीए 130 से 167 सीटों के बीच जीत हासिल कर सकता है, जबकि महागठबंधन को सिर्फ 73 से 108 सीटें मिलने का अनुमान है। औसतन देखें तो एनडीए को करीब 146 सीटें और विपक्षी गठबंधन को 90 सीटें मिलने का अनुमान है।
आरजेडी और कांग्रेस के लिए झटका
लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल (RJD), जो पिछले चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, इस बार बड़ी गिरावट झेल सकती है। एग्जिट पोल्स के अनुसार, आरजेडी को 57 से 69 सीटें मिलने की संभावना है — जो 2020 की 75 सीटों से कम है।
वहीं, कांग्रेस की स्थिति और भी खराब मानी जा रही है। पिछले चुनाव में 19 सीटें जीतने वाली कांग्रेस इस बार सिर्फ 11 से 14 सीटों तक सिमट सकती है।

भाजपा और जेडीयू में बढ़त
भारतीय जनता पार्टी (BJP) को 67 से 70 सीटें मिलने का अनुमान है, जो पिछले चुनाव से थोड़ा कम है, लेकिन फिर भी एनडीए गठबंधन में यह प्रमुख ताकत बनी रहेगी।
वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) की किस्मत इस बार कुछ बेहतर दिख रही है। जेडीयू, जिसने 2020 में सिर्फ 43 सीटें जीती थीं, इस बार 58 से 71 सीटों तक पहुंच सकती है।
प्रशांत किशोर और जनसुराज पार्टी का सीमित असर
राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की जनसुराज पार्टी को लेकर इस बार काफी चर्चा थी, लेकिन एग्जिट पोल्स का कहना है कि उनकी पार्टी का असर बहुत सीमित रहेगा।
कुछ सर्वेक्षणों ने जनसुराज को 0 से 5 सीटों तक का अनुमान दिया है, जबकि औसतन आंकड़ा 2 सीटों का है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इन कुछ सीटों पर भी जनसुराज ने महागठबंधन के वोट काटे, जिससे विपक्ष पीछे रह गया।
क्या PK फैक्टर ने बदला खेल?
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, PK फैक्टर यानी प्रशांत किशोर की एंट्री ने इस चुनाव में विपक्षी वोट बैंक में सेंध लगाई। उन्होंने जिन मुद्दों पर जनता से सीधा संवाद किया — जैसे बेरोजगारी, शिक्षा और पंचायत स्तर की जवाबदेही — वे ग्रामीण मतदाताओं के बीच प्रभावी रहे।
हालांकि, सीटों के लिहाज से जनसुराज का प्रदर्शन मामूली रहेगा, लेकिन इससे विपक्षी गठबंधन की सीटों में गिरावट देखी जा सकती है।
बिहार की सियासत में संभावनाओं का नया दौर
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर नतीजे एग्जिट पोल्स के अनुरूप रहे तो बिहार में नीतीश कुमार की राजनीतिक यात्रा को एक नया अध्याय मिल सकता है। वहीं, लालू यादव की आरजेडी और कांग्रेस को अब नए नेतृत्व और रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।
एग्जिट पोल्स भले ही हमेशा सटीक साबित न हों, लेकिन उन्होंने यह संकेत जरूर दे दिया है कि बिहार की जनता इस बार स्थिरता और अनुभव के पक्ष में मतदान कर सकती है।
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