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दिल्ली सरकार का ऐतिहासिक फैसला: अब गैर-अनुरूपित क्षेत्रों के निजी स्कूलों को भी मिलेगी मान्यता
शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने घोषणा की कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने गैर-अनुरूपित (Non-Conforming) क्षेत्रों में चल रहे निजी अनुदान-रहित स्कूलों को मान्यता देने का फैसला किया है — जिससे हज़ारों बच्चों को शिक्षा का संवैधानिक अधिकार मिलेगा।
दिल्ली सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने शुक्रवार को घोषणा की कि अब राजधानी के गैर-अनुरूपित क्षेत्रों (Non-Conforming Areas) में संचालित निजी अनुदान-रहित (Private Unaided) स्कूलों को भी मान्यता (Recognition) दी जाएगी।
यह फैसला मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में लिया गया है, जो न केवल प्रशासनिक सुधार है बल्कि शिक्षा के लोकतंत्रीकरण की दिशा में एक बड़ी पहल है।
10 साल पुरानी समस्या का समाधान
शिक्षा मंत्री ने बताया कि बीते एक दशक से यह मुद्दा फाइलों में दबा हुआ था, जिसके कारण हज़ारों बच्चों को अपने ही इलाके में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित रहना पड़ा।
उन्होंने कहा —
“पिछली सरकारों ने पक्षपात करते हुए कुछ स्कूलों को ही मान्यता दी, बाकी को नजरअंदाज कर दिया। हमारी सरकार ने इस भेदभाव को खत्म कर दिया है।”

आवेदन प्रक्रिया और समयसीमा
- निदेशालय शिक्षा (DoE) का ऑनलाइन पोर्टल 1 नवंबर 2025 से 30 नवंबर 2025 तक खुला रहेगा।
- इस अवधि में सभी स्कूल मान्यता के लिए आवेदन कर सकेंगे।
- आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद उन स्कूलों की सूची जारी की जाएगी जो मान्यता के सभी मानदंडों को पूरा करते हैं।
करीब 500 स्कूल आएंगे दायरे में
इस नीति के तहत लगभग 500 स्कूल अब शिक्षा निदेशालय के अधीन आ जाएंगे।
इससे न केवल संस्थानों को वैधता मिलेगी, बल्कि बच्चों की शिक्षा पर निगरानी और पारदर्शिता भी बढ़ेगी।
प्रत्येक वर्ष DoE को EWS/DG/CWSN श्रेणी में लगभग 2 लाख आवेदन मिलते हैं, जिनमें से लगभग 40,000 सीटें ही उपलब्ध होती हैं।
नई मान्यता नीति से करीब 20,000 अतिरिक्त सीटें जुड़ने की उम्मीद है — जिससे गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को समान अवसर मिलेगा।
संविधान और RTE कानून के अनुरूप
आशीष सूद ने कहा कि यह कदम संविधान के अनुच्छेद 21-A और Right to Education (RTE) Act, 2009 के पूर्ण पालन की दिशा में है।
“किसी भी बच्चे को केवल प्रशासनिक या स्थानिक कारणों से शिक्षा से वंचित नहीं किया जाएगा,” उन्होंने कहा।
मान्यता के मानदंड और फायदे
DoE के अनुसार, स्कूलों को मान्यता के लिए निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी होंगी —
- सुरक्षित और मानक इंफ्रास्ट्रक्चर
- प्रशिक्षित शिक्षक स्टाफ
- फीस की पारदर्शिता
- सुरक्षा और स्वच्छता मानकों का अनुपालन
मान्यता मिलने के बाद स्कूलों को सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी स्तर तक अपग्रेड करने की अनुमति भी दी जाएगी, जिससे छात्रों को लगातार शिक्षा का अवसर मिल सकेगा।

अभिभावकों के लिए सलाह
शिक्षा मंत्री ने माता-पिता से अपील की कि वे बच्चों को केवल DoE-मान्यता प्राप्त स्कूलों में ही दाखिला दिलाएं।
क्योंकि मान्यता प्राप्त स्कूल ही बच्चों के लिए —
- सर्टिफिकेट की वैधता,
- सुरक्षा अनुपालन,
- और सरकारी लाभों की पात्रता सुनिश्चित करते हैं।
“यह प्रशासनिक सुधार नहीं, न्याय है” — आशीष सूद
सूद ने कहा —
“यह सिर्फ एक नीति नहीं, बल्कि बच्चों के भविष्य के साथ न्याय है। जिन संस्थानों को दशकों तक नज़रअंदाज़ किया गया, अब उन्हें बराबरी का हक मिला है।”
उन्होंने यह भी कहा कि पिछली बार ऐसी मान्यता प्रक्रिया 2013 में हुई थी, जिसमें केवल कुछ चुनिंदा स्कूलों को ही स्वीकृति मिली थी।
अब यह प्रक्रिया पारदर्शी, जवाबदेह और समान अवसर वाली होगी।
निष्कर्ष
दिल्ली सरकार का यह कदम न केवल शिक्षा व्यवस्था में नया अध्याय जोड़ेगा, बल्कि “Education for All” के संवैधानिक वादे को और मजबूत करेगा।
यह पहल न केवल बच्चों के लिए शिक्षा का दरवाज़ा खोलेगी बल्कि स्कूलों के लिए वैधता, जिम्मेदारी और पारदर्शिता का नया युग शुरू करेगी।
