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PM मोदी ने ‘छठ ड्रामा’ टिप्पणी पर राहुल गांधी को दिया करारा जवाब, बोले – “छठी मइया का अपमान करने वालों को बिहार माफ नहीं करेगा”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार छठ महापर्व को UNESCO की Intangible Cultural Heritage सूची में शामिल कराने की कोशिश कर रही है, जबकि कांग्रेस और आरजेडी इस आस्था के पर्व का अपमान कर रही हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच छठ पर्व को लेकर सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा NDA पर “छठ ड्रामा” कहकर हमला करने के एक दिन बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को पलटवार किया।
मोदी ने महागठबंधन (कांग्रेस-आरजेडी) पर तीखा हमला करते हुए कहा कि “जब मैं छठ महापर्व को UNESCO की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर (Intangible Cultural Heritage) सूची में शामिल कराने की कोशिश कर रहा हूं, तब कांग्रेस और आरजेडी के नेता ‘छठी मइया’ का अपमान कर रहे हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं छठ के गीत सुनता हूं, यात्रा के दौरान भी। एक बार नागालैंड की एक बेटी द्वारा गाया गया छठ गीत सुना तो मन भावुक हो गया। लेकिन जब मैं इस पर्व को उसका सम्मान दिलाने की कोशिश कर रहा हूं, तो कांग्रेस और आरजेडी इसे ‘नाटक’ कह रही हैं। क्या ये छठी मइया का अपमान नहीं है?”
बिहार चुनावी पिच पर छठ का असर
प्रधानमंत्री मोदी की यह टिप्पणी स्पष्ट संकेत है कि एनडीए बिहार चुनाव में आस्था और संस्कृति के मुद्दे को केंद्र में रखेगा। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में छठ पर्व सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि एक सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है।
छठ को यूनेस्को की सूची में शामिल करने की पहल, बिहार के लाखों मतदाताओं के लिए भावनात्मक जुड़ाव का विषय बन गई है। मोदी ने कहा, “यह त्योहार हमारी मातृशक्ति की भक्ति, अनुशासन और त्याग का प्रतीक है। इसे राजनीतिक नजरिए से देखना उनके त्याग का अपमान है।”
राहुल गांधी का बयान और विवाद
बुधवार को राहुल गांधी ने एक जनसभा में कहा था कि “एनडीए छठ पर्व और यमुना की सफाई के नाम पर वोट मांग रही है। चुनाव खत्म होते ही ये सब ड्रामा बंद हो जाता है।”
उनके इस बयान पर बीजेपी नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। भाजपा प्रवक्ता शहनवाज़ हुसैन ने कहा था, “छठ पर्व बिहार की आत्मा है। राहुल गांधी को इसकी पवित्रता समझ नहीं आएगी, क्योंकि कांग्रेस के नेताओं ने हमेशा हिंदू आस्था का मज़ाक उड़ाया है।”

छठ महापर्व: आस्था का विज्ञान और संस्कृति का संगम
छठ महापर्व सूर्य उपासना का त्योहार है, जिसमें महिलाएं सूर्य देव और छठी मइया की पूजा करती हैं। बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड से लेकर नेपाल के तराई इलाकों तक यह पर्व बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
छठ की विधि में कठोर व्रत, स्वच्छता और अनुशासन का पालन होता है। इसी कारण इसे “पर्यावरण और स्वास्थ्य से जुड़ा सबसे वैज्ञानिक पर्व” भी कहा जाता है।
मोदी सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में इस पर्व से जुड़े गीत, संगीत और पारंपरिक विधियों को भारतीय सांस्कृतिक विरासत के रूप में संरक्षित करने के प्रयास किए हैं।
UNESCO हेरिटेज टैग की पहल
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत सरकार ने UNESCO के समक्ष प्रस्ताव रखा है कि “छठ महापर्व को Intangible Cultural Heritage सूची में शामिल किया जाए।”
उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि दुनिया जाने कि भारत की यह परंपरा कितनी अद्भुत और अनूठी है। यह कोई धार्मिक अनुष्ठान मात्र नहीं, बल्कि मातृत्व, प्रकृति और अनुशासन का उत्सव है।”
राजनीतिक संदेश और बिहार की नब्ज
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मोदी का यह बयान न केवल राहुल गांधी के ‘छठ ड्रामा’ वाले तंज का जवाब है, बल्कि बिहार की जनता के दिल को छूने वाली रणनीति भी है।
बिहार की राजनीति में छठ का प्रभाव गहरा है। चाहे पटना की गंगा घाट हों या छोटे गांवों के तालाब — हर जगह यह पर्व लोगों को एकता और परंपरा से जोड़ता है।
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