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Cricket

Sourav Ganguly के ये 5 रिकॉर्ड आज भी कायम हैं… एक पारी में 117 रन से लेकर 239 रनों का जलवा, कोई तोड़ भी पाएगा?

भारतीय क्रिकेट के ‘दादा’ सौरव गांगुली के जन्मदिन पर जानिए वो 5 अविश्वसनीय रिकॉर्ड्स जो आज भी क्रिकेट इतिहास में मिसाल बने हुए हैं।

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Sourav Ganguly Birthday Special: 5 cricket records still untouched by the legend
सौरव गांगुली — एक ऐसा नाम जिसने भारतीय क्रिकेट को आत्मविश्वास देना सिखाया और कई अटूट रिकॉर्ड्स छोड़े।

Sourav Ganguly यानी भारतीय क्रिकेट का वो चेहरा, जिसने मैदान पर आक्रामकता, आत्मविश्वास और नेतृत्व को परिभाषित किया। The Prince of Kolkata ने न सिर्फ एक कप्तान के रूप में भारत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि अपने बल्ले से ऐसे कारनामे किए जो आज भी रिकॉर्ड बुक्स में चमकते हैं। 8 जुलाई 2025 को ‘दादा’ 53 साल के हो गए हैं और इस खास मौके पर Dainik Diary आपको बता रहा है उनके 5 ऐसे रिकॉर्ड्स जो आज भी कायम हैं — और शायद ही कोई उन्हें तोड़ पाए।

Sourav Ganguly Birthday Special: 5 cricket records still untouched by the legend


1. चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल की सबसे बड़ी पारी

वर्ष 2000 में खेले गए Champions Trophy फाइनल में, सौरव गांगुली ने 117 रनों की धमाकेदार पारी खेली थी। यह आज भी किसी चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल की सबसे बड़ी व्यक्तिगत पारी मानी जाती है। उस समय ‘दादा’ का बल्ला बोलता नहीं, गरजता था।

2. भारतीय बाएं हाथ के बल्लेबाज़ की सबसे बड़ी टेस्ट पारी

The Former Indian Captain का टेस्ट करियर भी उतना ही शानदार रहा। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ Bangalore टेस्ट में 239 रनों की धैर्यपूर्ण पारी खेली थी — जो आज तक किसी भी भारतीय लेफ्ट हैंडेड बल्लेबाज की सबसे बड़ी पारी है।

Sourav Ganguly Birthday Special: 5 cricket records still untouched by the legend


3. पहले वनडे में शतक ठोकने वाले इकलौते भारतीय कप्तान

जब गांगुली को कप्तानी सौंपी गई, तो उन्होंने अपने पहले ही वनडे मुकाबले में 111 रनों की पारी खेली थी। आज तक कोई भी Indian Captain ऐसा डेब्यू मैच नहीं खेल सका।

4. लगातार चार ICC नॉकआउट मुकाबलों में अर्धशतक

ICC टूर्नामेंट में परफॉर्म करना हमेशा दबाव भरा होता है, लेकिन ‘दादा’ ने चार लगातार नॉकआउट मैचों में अर्धशतक जड़े थे — जो आज भी एक अद्वितीय ICC रिकॉर्ड है।

5. भारत को विदेशी ज़मीन पर जीत दिलाने वाले पहले आक्रामक कप्तान

सौरव गांगुली ही थे जिन्होंने भारतीय टीम को विदेशी धरती पर टेस्ट सीरीज़ ड्रॉ और जीतना सिखाया। 2003-04 में Australia Tour पर भारत ने सीरीज़ ड्रॉ की, जिसमें उनका नेतृत्व सराहनीय रहा। The Leader Who Taught India to Win Abroad — यही पहचान थी उनकी।

MS Dhoni और Virat Kohli जैसे कप्तानों ने भी माना है कि गांगुली ने ही भारतीय टीम को आक्रामक बनना सिखाया।

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Sports

T20 वर्ल्ड कप की दौड़ में स्कॉटलैंड की जोरदार वापसी नीदरलैंड को 6 रन से हराया

ओली हेयर्स की अर्धशतकीय पारी और स्कॉटिश गेंदबाज़ों की घातक रणनीति ने बढ़ाई वर्ल्ड कप में क्वालिफाई करने की उम्मीदें

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Scotland Beats Netherlands by 6 Runs in T20 World Cup Qualifier | Dainik Diary
स्कॉटलैंड की टीम ने नीदरलैंड को रोमांचक मुकाबले में हराया, वर्ल्ड कप क्वालिफिकेशन की उम्मीदें तेज़

स्कॉटलैंड की क्रिकेट टीम ने मंगलवार को T20 वर्ल्ड कप क्वालिफायर मुकाबले में नीदरलैंड को 6 रन से हराकर टूर्नामेंट में खुद को मज़बूती से बनाए रखा है। इस रोमांचक मुकाबले में स्कॉटिश गेंदबाज़ों ने आखिरी ओवर तक दबाव बनाए रखा और टीम को महत्वपूर्ण जीत दिलाई।

मैच की शुरुआत स्कॉटलैंड के लिए बेहद खराब रही जब ओपनर जॉर्ज मंसी को तीसरी गेंद पर नोआ क्रोज़ ने कैच आउट कर दिया। इसके बाद ब्रैंडन मैकमुलन, माइकल लीस्क, मैथ्यू क्रॉस, मार्क वॉट, और सफयान शरीफ भी जल्दी-जल्दी पवेलियन लौटे। लेकिन ओली हेयर्स ने 52 रनों की अहम पारी खेलकर पारी को संभाला। रिची बेरिंगटन (28 रन) और चार्ली टियर (32 रन) ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे स्कॉटलैंड ने 148/9 का स्कोर खड़ा किया।

गेंदबाज़ों ने किया कमाल, जीत दिलाई स्कॉटलैंड को

नीदरलैंड की पारी की शुरुआत में ही ब्रैंडन मैकमुलन ने मैक्स ओ’डॉड और जैक लायन-कैशे को आउट कर झटका दिया। फिर सफयान शरीफ ने माइकल लेविट को बोल्ड कर दिया।

इसके बाद क्रिस ग्रीव्स ने कप्तान स्कॉट एडवर्ड्स, बास डी लीडे (LBW), और तेजा निदामनुरु के विकेट लेकर मैच स्कॉटलैंड की ओर मोड़ दिया। आखिरी ओवरों में ब्रैड क्यूरी ने रूलोफ वैन डर मर्वे को आउट कर जीत की पुष्टि की।

हालांकि नोआ क्रोज़ (52*) और आर्यन दत्त (6*) अंत तक जमे रहे, लेकिन स्कॉटलैंड ने 6 रन से यह मुकाबला अपने नाम किया।

वर्ल्ड कप में स्कॉटलैंड की उम्मीदें ज़िंदा

डग वॉटसन की कोचिंग में स्कॉटलैंड की यह पहली जीत रही, क्योंकि गुएर्नसे के खिलाफ पहला मैच बारिश के कारण रद्द हो गया था। अब टीम के पास एक जीत और एक ड्रॉ है। वहीं उनके अगले मुकाबले इटली से बुधवार को और जर्सी से शुक्रवार को होंगे।

अभी जर्सी तीन अंकों के साथ शीर्ष पर है, जबकि स्कॉटलैंड और इटली के दो-दो अंक हैं। शीर्ष दो टीमें अगले साल भारत और श्रीलंका में होने वाले T20 वर्ल्ड कप 2026 के लिए क्वालिफाई करेंगी।

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Sports

जिसने ज़िंदगी से जंग जीत ली वो टेस्ट मैच क्या चीज़ है आकश दीप की कहानी

पिता की मौत भाई की असमय विदाई और बहन का कैंसर — इन सबके बीच आकश दीप ने क्रिकेट के ज़रिए लिखा जुनून और जज़्बे का नया अध्याय

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Akash Deep: दर्द, संघर्ष और दस विकेट की ऐतिहासिक कहानी
कठिनाइयों से निकले हीरे — आकश दीप ने बहन के नाम की ऐतिहासिक जीत

इंग्लैंड के एजबेस्टन टेस्ट में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद जब उन्होंने चेतेश्वर पुजारा से कहा कि वह इस जीत को अपनी बहन को समर्पित करना चाहते हैं, तो एक पल के लिए मैदान पर सन्नाटा छा गया। उनकी बहन कैंसर से जूझ रही है और ये जीत उसके चेहरे पर मुस्कान लाने का कारण बनी।

यह वही आकश दीप हैं, जिन्होंने कभी पिता को ब्रेन स्ट्रोक से खोया, और फिर छोटे भाई को एक मामूली सर्दी-जुकाम के बाद, जो गांव के डॉक्टरों की लापरवाही की भेंट चढ़ गया। बिहार के छोटे से कस्बे से ताल्लुक रखने वाले इस युवा को न तो सुविधाएँ मिलीं और न ही सही प्लेटफॉर्म, लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी।

शुरुआती दौर में घर से क्रिकेट खेलने पर पाबंदी थी। पिता की नज़रों में यह एक “बर्बादी” का रास्ता था। लेकिन आकश दीप ने रोज़गार की तलाश का बहाना बनाया और छोटे क्लबों से क्रिकेट खेलना शुरू किया, वहीं से जो भी पैसा मिलता, घर भेजते रहे। उस समय शायद उन्होंने भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन जसप्रीत बुमराह की गैरमौजूदगी में वही भारत की तेज़ गेंदबाज़ी की कमान संभालेंगे।

बेंगाल टीम में जब पहली बार उन्होंने जगह बनाई, तब वह तकनीकी रूप से उतने सधे हुए नहीं थे। लेकिन तब मोहम्मद शमी से हुई एक मुलाकात ने उनके करियर की दिशा बदल दी। शमी ने उन्हें फिटनेस और निरंतरता का महत्व बताया। नतीजा ये हुआ कि आकश दीप ने एक ऐसी गेंदबाज़ी शैली विकसित की, जिसमें ऊँचा रिलीज़ पॉइंट, तेज़ आर्म एक्शन और सीम मूवमेंट शामिल है — और इसी के बूते उन्होंने इंग्लैंड के जो रूट और ओली पोप जैसे धुरंधरों को क्लीन बोल्ड कर दिया।

Border-Gavaskar Trophy 2024-25 के दौरान ऑस्ट्रेलिया में जब वो लगातार अच्छे स्पेल के बावजूद विकेट से चूकते रहे, तब स्टीव स्मिथ ने भी उनकी तारीफ की थी। लेकिन किस्मत ने फिर उन्हें अस्पतालों में भेज दिया — IPL 2025 के दौरान वे Lucknow Super Giants की ओर से खेलते हुए हर रात अपनी बहन से मिलने अस्पताल जाते थे।

अब Birmingham टेस्ट में उन्होंने इतिहास रच दिया। भारत के लिए Umesh Yadav के बाद किसी तेज़ गेंदबाज़ का यह पहला दस विकेट का मैच है — और बुमराह के पास भी यह रिकॉर्ड नहीं है।

आकश दीप का सपना सिर्फ एक था — बहन के चेहरे पर मुस्कान देखना। और आज, ना सिर्फ़ उनकी बहन, बल्कि पूरा देश उनके जुनून और संघर्ष को सलाम कर रहा है।

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Cricket

धोनी के इस सबसे बड़े फैन ने रांची में बसाई माही की दुनिया जर्सी से लेकर जन्मदिन तक हर पल है सिर्फ MSD के नाम

बिहार से रांची आए सुबोध ने 13 साल से धोनी को ही बना लिया जीवन का केंद्र आज फार्महाउस के बगल में चला रहे हैं ‘खुशमाही’ ट्रेनिंग सेंटर

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MS Dhoni’s Biggest Fan Subodh Kushwaha Opens Training Centre Near Ranchi Farmhouse
धोनी के फार्महाउस के पास ‘खुशमाही’ नाम से क्रिकेट सेंटर चलाते सुबोध, जिन्होंने माही को बनाया है अपनी ज़िंदगी का केंद्र

भारत के पूर्व कप्तान और क्रिकेट आइकन महेंद्र सिंह धोनी का जन्मदिन हर साल उनके फैंस के लिए किसी त्योहार से कम नहीं होता। लेकिन रांची के एक फैन की कहानी बाकी सबसे अलग है। बिहार के हाजीपुर से आए सुबोध कुशवाहा ने अपने जीवन के 13 साल सिर्फ माही के नाम कर दिए। उनके लिए धोनी खिलाड़ी नहीं, भगवान हैं—जिनसे जुड़ने के लिए उन्होंने अपना सब कुछ छोड़ दिया और रांची में एक नई शुरुआत की।

हर सुबह होती है माही के दर्शन से

सुबोध का कमरा किसी मंदिर से कम नहीं। हरमू रोड स्थित किराए के कमरे की दीवारों पर धोनी के पोस्टर, तस्वीरें, और ऑटोग्राफ वाली जर्सी लगी हैं। सुबोध कहते हैं, “मेरी सुबह तभी होती है जब मैं माही को देख लेता हूं। वो मेरे लिए प्रेरणा हैं, विश्वास हैं, मेरी ताकत हैं।”


क्रिकेट छोड़, बच्चों को बना रहे माही जैसा

धोनी की ही तरह सुबोध ने भी क्रिकेट खेलना शुरू किया और ईशान किशन जैसे खिलाड़ियों के साथ टूर्नामेंट्स खेले। हालांकि टीम इंडिया तक पहुंचना संभव नहीं हो सका, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अब वह रांची के सिमलिया में ‘खुशमाही’ क्रिकेट ट्रेनिंग सेंटर चलाते हैं—और खास बात ये कि यह सेंटर माही के फार्म हाउस के बगल में है।

सुबोध मानते हैं कि धोनी भले ही रोज़ सामने न हों, लेकिन उनकी सोच, उनका अनुशासन और प्रेरणा हर बच्चे तक पहुंचे—यही उनका मिशन है।

2021 में पूरी हुई बरसों की आराधना

साल 2021 सुबोध के लिए सपना सच होने जैसा था। पहली बार उन्हें MS Dhoni से मुलाकात का मौका मिला। इसके बाद उनके रिश्ते में गहराई आई। दुबई में जब IPL हो रहा था, तब धोनी ने मोनू कुमार के ज़रिए उन्हें एक ऑटोग्राफ की हुई जर्सी भेजी। सुबोध कहते हैं, “वो सिर्फ जर्सी नहीं थी, माही का आशीर्वाद था।”

सपना है जन्मदिन माही के साथ मनाने का

हर साल 7 जुलाई को सुबोध माही का जन्मदिन मनाते हैं, केक काटते हैं, बच्चों के साथ खास कार्यक्रम रखते हैं। लेकिन उनके दिल में एक ही ख्वाहिश है—कभी धोनी के साथ केक काट सकें, एक बार जन्मदिन साथ मना सकें।

उनके जूनियर क्रिकेटर्स भी मानते हैं कि सुबोध की माही के लिए दीवानगी सच्ची श्रद्धा है। हर ट्रेनिंग में वह धोनी के खेल, सोच और विनम्रता का उदाहरण देकर बच्चों को सिखाते हैं।

सुबोध की कहानी सिर्फ फैन की नहीं, साधना की मिसाल है

सुबोध की ज़िंदगी उस प्रेम और जुनून की मिसाल है जो इंसान को कुछ भी कर गुजरने की ताकत देता है। जब एक फैन की भक्ति इतनी सच्ची हो कि खुद माही भी उसे पहचानने लगें, तो वह सिर्फ दीवानगी नहीं, एक जीवन की साधना बन जाती है।

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