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झारखंड में पूर्व मंत्री योगेंद्र साव के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच ED की 8 ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी
हजारीबाग और रांची में एक बार फिर ED का एक्शन अवैध खनन रंगदारी और ज़मीन कब्जे के जरिए कमाई गई संपत्ति की जांच तेज

झारखंड की सियासत एक बार फिर प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निशाने पर है। शुक्रवार सुबह से ही पूर्व मंत्री योगेंद्र साव उनकी विधायक पत्नी अंबा प्रसाद और उनके करीबी सहयोगियों के खिलाफ हजारीबाग और रांची में कुल 8 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई है। यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत की जा रही है और इसका सीधा संबंध अवैध कमाई रंगदारी वसूली बालू खनन और ज़मीन कब्जे जैसे मामलों से जुड़ा है।
सूत्रों के अनुसार, यह जांच झारखंड पुलिस द्वारा दर्ज की गई 15 से ज्यादा FIRs के आधार पर शुरू हुई है, जिनमें साव और उनके करीबी लोगों पर IPC की विभिन्न धाराओं और आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज हैं। ED पहले भी मार्च 2024 में इनके खिलाफ 20 स्थानों पर छापेमारी कर चुकी है, जिसमें अहम दस्तावेज़ और डिजिटल एविडेंस बरामद हुए थे।
इस बार की कार्रवाई में ED को संदेह है कि अपराध की कमाई को फर्जी कंपनियों और बेनामी संपत्तियों में निवेश किया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन नेताओं और उनके सहयोगियों ने सरकारी ज़मीनों पर अवैध कब्जा, खनन माफिया से सांठगांठ, और ठेकेदारों से वसूली जैसे गंभीर अपराधों के जरिए करोड़ों रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित की है।
BJP से जुड़े सूत्रों ने इस छापेमारी को ‘राजनीतिक बदले’ की कार्रवाई कहने से इनकार किया है, जबकि विपक्षी दलों ने इसे “सियासी दबाव बनाने की कोशिश” करार दिया है। वहीं, ED अधिकारियों का कहना है कि जांच तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर की जा रही है, जिसमें किसी प्रकार की राजनीति नहीं है।
हाल ही में ED ने महिरा ग्रुप की ₹557 करोड़ की संपत्ति भी अटैच की थी। झारखंड जैसे राज्य में जहां अवैध खनन और राजनीतिक गठजोड़ लंबे समय से चर्चा में रहे हैं, वहां इस तरह की कार्रवाई कानून और व्यवस्था की बहाली के लिहाज़ से अहम मानी जा रही है।
अगर आरोप साबित होते हैं, तो यह झारखंड की राजनीति के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है, खासकर उस समय में जब राज्य में चुनावी तैयारियों की हलचल शुरू हो रही है।